दिल्ली में ठप हो सकता है सफाई का काम, MCD का बजट मुश्किल में, कर्मचारियों को नहीं मिल पाएगा वेतन
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र /अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में बजट पेश करने में हो रही देरी ने गंभीर प्रशासनिक और वित्तीय संकट की स्थिति पैदा कर दी है। यह मुद्दा निगम के कार्यों की कुशलता और कर्मचारियों के वेतन से लेकर शहर की बुनियादी सेवाओं तक कई पहलुओं पर प्रभाव डाल सकता है।दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद नई सरकार के गठन से ही लगातार सभी कार्य विवादों में जा रहे हैं। पहले महापौर का चुनाव और फिर बाद में स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव विवादों में रहा है। अब निगम का बजट विवादों में पड़ गया है।
मुख्य मुद्दे:
बजट पेश करने की समय सीमा:
- दिल्ली नगर निगम के एक्ट के बजट रेगुलेशन 1958 के अनुच्छेद चार के अनुसार 10 दिसंबर से पहले स्थायी समिति में बजट पेश करने का प्रविधान है।
- 15 फरवरी से पहले निगम को अपनी टैक्स दरें अधिसूचित करनी होती हैं।
- 31 मार्च तक बजट पास करना होता है। अभी संशय निगम के बजट पेश होने पर ही है। ऐसे में जब बजट पेश ही नहीं होगा तो टैक्स की दरें अधिसूचित कैसे होंगी और बजट पास कैसे होगा इससे निगम अधिकारी चिंतित है।
इन प्रक्रियाओं में देरी से निगम की सेवाएं प्रभावित होंगी और अप्रैल से कोई खर्च संभव नहीं होगा।
स्थायी समिति का गठन न होना:
- स्थायी समिति के 18 सदस्यों का निर्वाचन हो चुका है, लेकिन गठन में विवाद है।
- पिछली परंपरा के अनुसार, बजट को सीधे सदन में पेश करने पर ऑडिट विभाग की आपत्ति की संभावना है।
महापौर और स्थायी समिति विवाद:
- भाजपा और आप के पार्षदों के बीच सत्ता संघर्ष ने समिति के गठन को विवादित बना दिया।
- सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, जिससे महापौर शैली ओबेरॉय और एलजी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े हुए हैं।
प्रभाव:
सेवाओं पर असर:
- अगर बजट पेश और पारित नहीं हुआ, तो निगम कर्मचारियों का वेतन नहीं मिलेगा।
- ठेकेदारों के भुगतान, वाहनों के संचालन, और कूड़ा उठाने जैसी सेवाएं ठप हो सकती हैं।
प्रशासनिक अस्थिरता:
- सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला स्थायी समिति और बजट प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता बढ़ा रहा है।
- निगम के कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वित्तीय संकट:
- डेढ़ लाख कर्मचारियों और अधिकारियों का वेतन रुकेगा।
- ठेकेदारों और आवश्यक सेवाओं के लिए आवंटन नहीं हो सकेगा।
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विवाद का कारण:
- भाजपा और आप के बीच सत्ता संघर्ष ने बजट प्रक्रिया को बाधित किया है।
- स्थायी समिति का गठन न होना प्रमुख कारण है, जिससे बजट पेश करने की प्रक्रिया में रुकावट आई।
समाधान की संभावना:
- निगमायुक्त द्वारा बजट को सीधे सदन में पेश करने का निर्णय लिया जा सकता है, लेकिन इसे लेकर भी कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियां हो सकती हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक यह संकट जारी रहने की आशंका है।
दिल्ली नगर निगम के पूर्व मुख्य विधि अधिकारी अनिल गुप्ता का कहना है कि जब बजट पेश ही नहीं होगा तो 31 मार्च तक बजट पास नहीं हो सकेगा। इससे एक अप्रैल से निगम कोई भी खर्च नहीं कर सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे निगम के डेढ़ लाख कर्मियों और अधिकारियों का वेतन जारी अप्रैल से नहीं हो सकेगा। साथ ही ठेकेदारों को भुगतान और निगम के स्वयं के चलने वाले वाहन का पेट्रोल आदि पर खर्च नहीं हो सकेगा।
यह संकट न केवल प्रशासनिक अव्यवस्था को उजागर करता है, बल्कि शहर की सामान्य सेवाओं और नागरिकों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है। अगर इसे जल्द हल नहीं किया गया, तो एमसीडी की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ेगा।
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