निचिरेन शोशु कट्टरपंथी संप्रदाय के लीडर मदर टेरेसा को नरक की ओर ले जाने वाली शैतान बताया
निचिरेन शोशू एक जापानी बौद्ध संप्रदाय है, जो 13वीं शताब्दी के बौद्ध भिक्षु निचिरेन की शिक्षाओं पर आधारित है। यह संप्रदाय अपनी धार्मिक प्रथाओं और शिक्षाओं के लिए विश्वभर में अनुयायी रखता है। अर्जेंटीना में इसके अनुयायी 20वीं सदी के मध्य में बढ़े, लेकिन 1990 के दशक के अंत में यह विवादों में आ गया। यह घटना 1990 के दशक के अंत में अर्जेंटीना में धार्मिक सहिष्णुता और कानूनी प्रक्रियाओं के उल्लंघन से जुड़े विवादों को दर्शाती है।
निचिरेन शोशू की शिक्षाएं और अनुष्ठान अर्जेंटीना की मुख्यधारा की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं से भिन्न थे, जिससे सामाजिक टकराव बढ़ा। 1997 में अर्जेंटीना में निचिरेन शोशू के नेता रेव. इतो द्वारा मदर टेरेसा पर की गई विवादास्पद टिप्पणी ने न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया पैदा की।
रेव. इटो ने मदर टेरेसा को "लोगों को नरक की ओर ले जाने वाली शैतान" कहा, जो अर्जेंटीना जैसे देश में बेहद संवेदनशील विषय बन गया, जहां मदर टेरेसा के मानवीय प्रयासों को गहरा सम्मान प्राप्त था।अर्जेंटीना सरकार ने निचिरेन शोशू (एक जापानी बौद्ध संप्रदाय) के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उसकी कॉर्पोरेट पंजीकृत स्थिति रद्द कर दी और धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
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मुख्य कारण:
मदर टेरेसा की आलोचना:
- रेव. इटो ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा की निंदा करते हुए कहा कि वह “लोगों को नरक की ओर ले जाने वाली शैतान” हैं और उन्होंने अपनी टिप्पणी अर्जेंटीना के निचिरेन शोशू प्रकाशन सेनजेत्सु के सितंबर 1997 के अंक में प्रकाशित की। रेव. इटो की टिप्पणी ने उस राष्ट्र में मीडिया की ओर से व्यापक निंदा को उकसाया जो मदर टेरेसा के मानवीय प्रयासों के लिए उनके प्रति गहरी श्रद्धा रखता है।
कानूनी उल्लंघन:
- अप्रैल 1998 में, निचिरेन शोशू ने ब्यूनस आयर्स में बिना आवश्यक परमिट के एक धार्मिक केंद्र स्थापित किया।
- स्थानीय निवासियों ने इसे अवैध करार देते हुए इसका विरोध किया और सरकार से कार्रवाई की मांग की।
- निचिरेन शोशू ने बिना अर्जेंटीना सरकार परमिशन के ब्यूनस आयर्स में एक धर्मांतरण केंद्र खोला। जब स्थानीय निवासियोंको पता चला की वे उनके देश के ताने बाने को बिगाड़ रहा है लोगो ने निचिरेन शोशु कट्टरपंथी संप्रदाय की अवैध गतिविधियों का विरोध कर याचिका दायर की और किया। अर्जेंटीना सरकार ने संप्रदाय पर प्रतिबंध लगाकर नागरिकों के विरोध का जवाब दिया।
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सरकारी प्रतिक्रिया:
- पंजीकरण रद्द:अर्जेंटीना सरकार ने जुलाई 1998 में निचिरेन शोशू के 1995 में किए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया।
- धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध:बिना अनुमति के धार्मिक केंद्र खोलने और सांप्रदायिक विवाद बढ़ाने की वजह से आगे की गतिविधियों को रोक दिया गया।
व्यापक प्रभाव:
- इस प्रकरण ने धार्मिक संगठनों को कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने और सामुदायिक संवेदनशीलताओं का सम्मान करने के महत्व को रेखांकित किया।
- निचिरेन शोशू की गतिविधियों पर लगाए गए प्रतिबंध ने यह भी दिखाया कि सरकार धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करती है, लेकिन संवैधानिक और सामाजिक नियमों का उल्लंघन अस्वीकार्य है।
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