क्या निचिरेन शोशु संप्रदाय हुंडी और हवाला के पैसे से नेपाल में निर्माण कर रहा है धर्मांतरण मंदिर ?
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / मिडिया रिपोर्ट
दक्षिण कोरिया के बाद, अब नेपाल की राजधानी काठमांडू के भक्तपुर क्षेत्र में भी निचिरेन शोशू संप्रदाय द्वारा फर्जी मंदिरों के निर्माण और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों की खबरें सामने आ रही हैं। यह न केवल धार्मिक संगठनों के नैतिक मूल्यों पर सवाल उठाता है, बल्कि समाज में धार्मिक सहिष्णुता और पारदर्शिता को भी प्रभावित करता है। निचिरेन शोशू संप्रदाय पर नेपाल में फर्जी मंदिरों के निर्माण और धर्मांतरण गतिविधियों के आरोप गंभीर चिंता का विषय हैं।
निचिरेन शोशू संप्रदाय की काठमांडू में मंदिर निर्माण की तस्वीर -6 |
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निचिरेन शोशू संप्रदाय की काठमांडू में मंदिर निर्माण की तस्वीर -1 |
यह संप्रदाय, जो जापानी बौद्ध धर्म से संबंधित है, अब नेपाल में कथित तौर पर सरकार की आंखों में धूल झोंककर अपने एजेंडे को बढ़ावा दे रहा है। इतना ही नहीं सूत्रों के अनुसार 14 दिसंबर 2024 को सुबह 10:30 बजे, काठमांडू के सिफ़ल चबाहिल में एक बैठक आयोजित हो रही है।यह बैठक जापान में गुरु की नियुक्ति और उनके प्रभाव क्षेत्र को बढ़ाने की योजना पर केंद्रित हो सकती है।ऐसी बैठकों में अक्सर संगठन के विस्तार और धर्मांतरण अभियानों को मजबूत करने की रणनीतियां बनाई जाती हैं।
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यह जापानी बौद्ध धर्म का एक प्रमुख संप्रदाय है, लेकिन कथित तौर पर यह नेपाल में गैरकानूनी ढंग से मंदिर निर्माण और धर्मांतरण जैसे आरोपों में घिर गया है।भक्तपुर क्षेत्र में इसके द्वारा की जा रही गतिविधियां स्थानीय समाज के धार्मिक मूल्यों पर प्रभाव डाल सकती हैं।नेपाल जैसे विविध धार्मिक समाज में ऐसी गतिविधियां सांप्रदायिक तनाव को जन्म दे सकती हैं।नेपाल सरकार और स्थानीय प्रशासन को इन आरोपों की गहन जांच करनी चाहिए।फर्जी मंदिर निर्माण और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।समाज में शांति और सहिष्णुता बनाए रखने के लिए सभी धार्मिक संगठनों को अपने कार्यों में पारदर्शिता लानी होगी।
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निचिरेन शोशू संप्रदाय की काठमांडू में मंदिर निर्माण की तस्वीर -4 |
नेपाल में निचिरेन शोशू के फर्जी मंदिर और धर्मांतरण के आरोप
मंदिर के नाम पर धर्मांतरण का प्रयास:
- नेपाल में, जो कि हिंदू बहुल देश है, निचिरेन शोशू संप्रदाय कथित तौर पर "मंदिर निर्माण" के नाम पर बौद्ध धर्म के प्रचार और धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल है।
- इन मंदिरों को "धार्मिक केंद्र" के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, इनका मुख्य उद्देश्य स्थानीय आबादी को धर्मांतरण के लिए प्रभावित करना है।
हवाला और हुंडी के माध्यम से धन की तस्करी: निचिरेन शोशू संप्रदाय के लोगों पर आरोप है कि वे टूरिस्ट वीजा का दुरुपयोग करके नेपाल में अवैध रूप से प्रवेश करते हैं और हवाला और हुंडी के माध्यम से धन की तस्करी करते हैं। यह धन संप्रदाय की अवैध गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- नेपाल में, निचिरेन शोशू संप्रदाय धार्मिक स्थल निर्माण के नाम पर फर्जी मंदिर बना रहा है।
- इन मंदिरों को धर्म और कल्याणकारी कार्यों के नाम पर स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इनका असली उद्देश्य धर्मांतरण को बढ़ावा देना है।
- यह मंदिर स्थानीय लोगों को गुमराह करने के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग करते हैं, जो नेपाल की धार्मिक संवेदनशीलता के लिए खतरा है।
फर्जी मंदिरों का निर्माण: रिसर्च निचिरेन शोशु इश्यूज
- जैसे दक्षिण कोरिया में निचिरेन शोशू ने कल्याणकारी सुविधाओं की आड़ में मंदिरों का निर्माण किया, उसी तरह नेपाल में भी फर्जी धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
- स्थानीय सूत्रों का दावा है कि इन मंदिरों का वास्तविक उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और आध्यात्मिकता के बजाय आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव स्थापित करना है।
- धर्मांतरण का तरीका:
- गरीब और वंचित समुदायों को वित्तीय सहायता, मुफ्त भोजन, और शिक्षा का वादा देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- इसके अलावा, आध्यात्मिक शांति और समृद्धि का झांसा देकर लोगों को बौद्ध धर्म के निचिरेन शोशू संप्रदाय से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
नेपाल में यह मामला क्यों चिंताजनक है?
सांस्कृतिक विविधता पर खतरा:
- नेपाल, जो अपनी समृद्ध हिंदू और बौद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है, वहां धर्मांतरण जैसी गतिविधियां सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
स्थानीय विरोध:
- निचिरेन शोशू की इन गतिविधियों का स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
- स्थानीय लोगों का मानना है कि यह गतिविधियां धर्म की आड़ में सांस्कृतिक अतिक्रमण का प्रयास हैं।
नेपाल सरकार की निष्क्रियता:
- कई स्थानीय संगठनों का कहना है कि नेपाल सरकार इन फर्जी मंदिरों और धर्मांतरण की गतिविधियों को रोकने में विफल रही है, जिससे इन संगठनों को बढ़ावा मिल रहा है।
दक्षिण कोरिया में समान गतिविधियां
नेपाल में जो कुछ हो रहा है, वह दक्षिण कोरिया में निचिरेन शोशू संप्रदाय द्वारा किए गए फर्जी कल्याणकारी गतिविधियों की याद दिलाता है:
- दक्षिण कोरिया में, निचिरेन शोशू ने मंदिरों का निर्माण कर स्थानीय लोगों को धर्मांतरण के लिए लक्षित किया।
- वहां भी गरीब और वंचित समुदायों को मदद का वादा कर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया गया।
- इसके पीछे का उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता की आड़ में अपने प्रभाव का विस्तार करना था।
समाधान और दृष्टिकोण
सरकारी निगरानी:
- नेपाल सरकार और स्थानीय प्रशासन को इन गतिविधियों की सख्त निगरानी करनी चाहिए।
- फर्जी मंदिरों और धर्मांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए।
स्थानीय संगठनों की भागीदारी:
- स्थानीय धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों को इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और लोगों को गुमराह होने से बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय ध्यान:
- नेपाल और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में निचिरेन शोशू की गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी ध्यान देना चाहिए और इन पर पारदर्शिता की मांग करनी चाहिए।
धार्मिक स्वतंत्रता और जिम्मेदारी:
- जबकि धर्म का प्रचार और धार्मिक स्वतंत्रता हर किसी का अधिकार है, लेकिन इसे धोखे, लालच, और आर्थिक प्रलोभनों के माध्यम से लागू करना नैतिक और कानूनी रूप से गलत है।
निष्कर्ष
दक्षिण कोरिया के बाद अब नेपाल में निचिरेन शोशू संप्रदाय की फर्जी मंदिर और धर्मांतरण जैसी गतिविधियां इस बात को दर्शाती हैं कि धर्म का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है। नेपाल जैसे सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील देश में यह गतिविधियां न केवल सामाजिक असंतोष पैदा कर सकती हैं, बल्कि देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को भी खतरे में डाल सकती हैं। सरकार और समाज को इन गतिविधियों पर समय रहते कार्रवाई करनी होगी ताकि धर्म का उपयोग शांति और सहिष्णुता के लिए हो, न कि सांस्कृतिक और आर्थिक वर्चस्व के लिए।
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