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    “नेपाल में निचिरेन शोशू संप्रदाय की गतिविधियों को लेकर गहराते सवाल — क्या धार्मिक स्वतंत्रता और आर्थिक पारदर्शिता पर असर पड़ रहा है?”


    नेपाल में निचिरेन शोशू संप्रदाय की गतिविधियां आर्थिक धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा








    ✍️ We News 24 / विशेष रिपोर्ट / काठमांडू संवाददाता

    काठमांडू: जापान से संचालित धार्मिक संस्था निचिरेन शोशू संप्रदाय को लेकर नेपाल में कई रिपोर्ट्स और सूत्रों के हवाले से सवाल उठते रहे हैं। हमारे संवाददाता द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार, इस संस्था की नेपाल में जारी गतिविधियों को लेकर धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से गहरी चिंताएं सामने आ रही हैं।

    सूत्रों का कहना है कि इस संस्था की कुछ गतिविधियाँ नेपाल के धार्मिक, कर और आप्रवासन कानूनों के परिप्रेक्ष्य में जांच के दायरे में आ सकती हैं।



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     इसमें आर्थिक अनियमितताओं, अवैध गतिविधियों, कर चोरी, और धर्मांतरण से जुड़े प्रयास शामिल हैं।  यह स्पष्ट है कि नेपाल में निचिरेन शोशू संप्रदाय के संदिग्ध कार्यों को लेकर गंभीर चिंताएँ उठ रही हैं। यह मुद्दा न केवल स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करता है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। यदि इस संस्था के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं, कर चोरी, और अवैध धर्मांतरण जैसे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह नेपाल के कानूनी और सामाजिक ढांचे के लिए एक चुनौती बन सकता है।


    नेपाल में निचिरेन शोशू संप्रदाय की गतिविधियां आर्थिक धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा



    प्रमुख बिंदु:

    1. वित्तीय पारदर्शिता को लेकर सवाल

    • रिपोर्ट्स के अनुसार, निचिरेन शोशू के नेपाल में अनुमानित वार्षिक व्यय लगभग 5 करोड़ येन (लगभग 3.5 करोड़ नेपाली रुपये) है।

    • आरोप है कि इस धन का उपयोग संगठन के कुछ प्रमुख सदस्यों के जीवन-स्तर को ऊँचा रखने और निजी जरूरतों के लिए किया जा रहा है — जैसे बिजनेस क्लास यात्रा, उच्चस्तरीय होटल में ठहराव, और लक्जरी गाड़ियों का प्रयोग।

    2. व्यावसायिक गतिविधियों पर नजर

    • कोटेत्सु जापानी रेस्तरां, एम्बेसडर होटल (लाजिम्पाट), और जापानी करागे रेस्तरां जैसे व्यापारों को लेकर यह जानकारी सामने आई है कि इनके माध्यम से कथित तौर पर गैर-पारंपरिक वित्तीय लेन-देन किए जा रहे हैं, जो नेपाल के मौजूदा बैंकिंग और कर प्रणाली के अनुकूल नहीं हैं।

    3. संस्थान और वीज़ा से जुड़े सवाल

    • Fuji Japanese Language Center और Fuji Buddhist College जैसे संस्थानों की वास्तविक उपस्थिति और पंजीकरण को लेकर प्रश्न उठाए गए हैं।

    • सूत्रों के अनुसार, इन संस्थानों का प्रयोग कथित रूप से स्टूडेंट वीज़ा के तहत जापानी नागरिकों को लाकर धार्मिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए हो सकता है।

    4. धार्मिक गतिविधियों की प्रकृति

    • काठमांडू के सिफल-चाबहिल क्षेत्र में निचिरेन शोशू का एक छोटा केंद्र संचालन में है, जहां सप्ताहांत पर कुछ जापानी श्रद्धालु “गोंग्यो” प्रार्थना में भाग लेते हैं।

    • स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नेपाली नागरिकों की भागीदारी में हाल के वर्षों में कमी आई है।

    5. शैक्षिक संस्थानों के साथ संपर्क

    • लुम्बिनी यूनिवर्सिटी से जुड़े एक वरिष्ठ व्यक्ति पर सहयोग करने के आरोप सामने आए हैं। हालांकि इसकी पुष्टि की आवश्यकता है, लेकिन यह मुद्दा उच्च शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

    6. हुण्डी और वित्तीय लेन-देन पर सवाल

    • कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि कोटेत्सु रेस्तरां और अन्य व्यापारिक केंद्रों से संबंधित लेन-देन नेपाल के भीतर रिपोर्ट न करके सीधे जापान में किया जा रहा है, जिससे राजस्व हानि हो सकती है।




    सिफारिशें और संभावित समाधान:

    1. निगरानी और जांच:
      नेपाल सरकार को इन सभी गतिविधियों की पारदर्शी जांच करानी चाहिए — विशेषकर वित्तीय लेन-देन, पंजीकरण की स्थिति और वीज़ा नियमों के अनुपालन की।

    2. कानूनी स्पष्टता:
      अगर कोई व्यक्ति या संस्था नेपाल के कानूनों का उल्लंघन कर रही है, तो उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

    3. धार्मिक संतुलन बनाए रखना:
      यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि धार्मिक गतिविधियाँ स्थानीय संस्कृति और कानूनों के अनुरूप हों और किसी भी प्रकार की जबरन या प्रलोभन आधारित धर्मपरिवर्तन की घटनाएँ न हों।

    4. आर्थिक पारदर्शिता:
      संबंधित संस्थानों के वित्तीय ऑडिट सुनिश्चित किए जाएं ताकि विदेशी अनुदान या फंडिंग का उपयोग स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड में आ सके।

    5. अंतरराष्ट्रीय सहयोग:
      यदि रिपोर्ट्स में उठाए गए मुद्दे सही साबित होते हैं, तो नेपाल सरकार को जापान के अधिकारियों के साथ संपर्क स्थापित कर साझा जांच करनी चाहिए।



    निचिरेन शोशू की एक बैठक पर चर्चा — नेपाल में विस्तार की संभावित योजनाएं?

    सूत्रों के अनुसार, 14 दिसंबर 2024 को काठमांडू के सिफल-चाबहिल क्षेत्र में निचिरेन शोशू से जुड़ी एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें संगठन के कुछ प्रमुख सदस्य और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल हुए। बैठक के आयोजन स्थल के रूप में होटल हार्दिक नेपाल का नाम सामने आया है, हालांकि इसकी पुष्टि आधिकारिक रूप से होना बाकी है।

    बैठक में जिन प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति की बात कही जा रही है, उनमें हातानाका, ओकुसा कोह्जी, कोह्जी ओह्कुरा और उनकी पत्नी, यासुमुरा सहित नेपाल और भारत के कुछ अन्य लोग शामिल बताए गए हैं।

    इस बैठक का उद्देश्य संगठन की संरचनात्मक योजनाओं, आंतरिक पदाधिकारियों की नियुक्ति और नेपाल में भविष्य की गतिविधियों की रूपरेखा पर चर्चा बताया गया है।


    🗺️ नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में नेटवर्क का विस्तार

    सूत्रों का दावा है कि निचिरेन शोशू की गतिविधियां अब केवल काठमांडू तक सीमित नहीं हैं। संगठन की उपस्थिति नेपाल के अन्य प्रमुख शहरों तक बढ़ती दिख रही है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

    • सुर्खेत

    • पोखरा

    • बुटवल

    • नेपालगंज

    • गाईघाट

    • इटहरी

    यह विस्तार संगठन के क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर नई चर्चा को जन्म देता है।


    ⚖️ संभावित कानूनी और सामाजिक प्रभाव

    🛑 धार्मिक संतुलन पर प्रभाव:

    • धार्मिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि किसी भी प्रकार का अनैच्छिक या प्रलोभन आधारित धर्मांतरण होता है, तो इससे नेपाल के सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे पर असर पड़ सकता है।

    💰 आर्थिक पारदर्शिता और कानून का पालन:

    • कथित तौर पर हुण्डी के ज़रिए किए जा रहे वित्तीय लेन-देन और कर नियमों की अनदेखी के आरोपों पर अगर सच्चाई पाई जाती है, तो यह आर्थिक और विधिक दृष्टिकोण से गंभीर हो सकता है।

    🌐 अंतरराष्ट्रीय छवि पर असर:

    • नेपाल में किसी भी विदेशी संगठन द्वारा पारदर्शिता के अभाव में गतिविधियां चलाना, देश की अंतरराष्ट्रीय साख पर भी असर डाल सकता है, खासकर धार्मिक स्वतंत्रता और शासन व्यवस्था के मानकों को लेकर।


    सुझाव और संभावित समाधान

    1. सरकारी निगरानी और जांच:

      • नेपाल सरकार को इस संस्था की गतिविधियों, वित्तीय स्रोतों, और कानूनी पंजीकरण की स्थिति की निष्पक्ष और विस्तृत जांच करनी चाहिए।

    2. कानूनी प्रक्रियाएं सुनिश्चित करना:

      • यदि कोई व्यक्ति या संस्था नेपाली क़ानूनों का उल्लंघन करती पाई जाती है, तो उस पर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए।

    3. धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण:

      • धार्मिक गतिविधियों में स्वेच्छा, पारदर्शिता और स्थानीय संस्कृति के प्रति सम्मान अनिवार्य होना चाहिए।

    4. अंतरराष्ट्रीय समन्वय:

      • जापान समेत अन्य संबंधित देशों को नेपाल में अपने नागरिकों की गतिविधियों की जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे अपने स्तर पर आवश्यक कार्रवाई कर सकें।

    5. सामाजिक जागरूकता:

      • स्थानीय समुदायों को किसी भी प्रकार की ग़लत सूचना, जबरन धर्मांतरण या आर्थिक शोषण के खिलाफ सतर्क और जागरूक रहना चाहिए।

    निष्कर्ष:

    निचिरेन शोशू संप्रदाय की नेपाल में गतिविधियों को लेकर जो रिपोर्टें सामने आ रही हैं, वे कई स्तरों पर पारदर्शिता और वैधानिकता की मांग करती हैं। यह आवश्यक है कि धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ राष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित की जाए। समय रहते उचित जांच, निगरानी और संवाद ही किसी भी संभावित समस्या को रोका जा सकता है।


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