क्या मेयर पति आरिफ का कब्जा से सीतामढ़ी नगर निगम में लोकतंत्र के लिए खतरा है?
We News 24 Hindi / एडिट दीपक कुमार
बिहार:- सीतामढ़ी नगर निगम में महापौर और उपमहापौर के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में हुई एक समीक्षात्मक बैठक के दौरान उपमहापौर को कार्यालय कक्ष से निकाल दिया गया, जिसके बाद उन्होंने महापौर पर पद के दुरुपयोग और नगरपालिका नियमावली का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
उपमहापौर आशुतोष ने आरोप लगाया कि महापौर रौनक जंहा के पति, आरिफ हुसैन, जो एक आम नागरिक हैं, नगर निगम के कार्यों में अनुचित हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महापौर के पति को बैठकों में बैठने की अनुमति दी जाती है, जबकि नियमानुसार केवल महापौर, उपमहापौर और सरकारी कर्मचारियों को ही बैठकों में शामिल होना चाहिए। उपमहापौर ने यह भी कहा कि महापौर के पति सरकारी संसाधनों, जैसे सुरक्षा गार्ड और वाहनों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
इसके अलावा, उपमहापौर ने यह आरोप भी लगाया कि नगर निगम के विकासात्मक कार्यों को लेकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महापौर के निर्देश पर केवल चुनिंदा क्षेत्रों में ही विकास कार्य किए जा रहे हैं, जबकि पूरे नगर निगम क्षेत्र के विकास की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थाई सशक्त समिति और स्वास्थ्य समिति के गठन में भी पक्षपात किया गया है।
महापौर रौनक जहां परवेज ने इन आरोपों का अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, नगर आयुक्त प्रमोद कुमार पांडे ने बताया कि बैठक का उद्देश्य नगर निगम के विकासात्मक कार्यों को गति देना था। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक की सूचना सभी संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई थी।
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इस मामले ने सीतामढ़ी नगर निगम में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर तनाव पैदा कर दिया है। उपमहापौर ने इस मामले की जांच की मांग की है और कहा है कि वह इस मामले को उच्च स्तर तक ले जाएंगे। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या महापौर इन आरोपों का जवाब देती हैं।
इस विवाद में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निकलकर आते हैं:
- महापौर के पति का हस्तक्षेप: अगर वे नगर निगम की बैठक में शामिल हो रहे हैं और निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं, तो यह नियमों के विपरीत है।
- विकास कार्यों में पक्षपात: आरोप है कि विकास योजनाओं को चुनिंदा इलाकों तक सीमित रखा जा रहा है, जिससे नगर निगम के अन्य क्षेत्रों की उपेक्षा हो रही है।
- सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग: सुरक्षा गार्ड और वाहनों का कथित रूप से महापौर के पति द्वारा इस्तेमाल किया जाना भी एक गंभीर आरोप है।
- नगर आयुक्त की भूमिका: नगर आयुक्त ने बैठक का उद्देश्य स्पष्ट किया, लेकिन महापौर के आदेशों पर उनके विरोध का जिक्र भी हुआ है।
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यह मामला नगर निगम की आंतरिक राजनीति और प्रशासनिक अनियमितताओं से जुड़ा हुआ नजर आ रहा है। उपमहापौर के आरोपों से स्पष्ट होता है कि महापौर के कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं, खासकर उनके पति के नगर निगम के काम काज में हस्तक्षेप को लेकर।
महापौर के पति आरिफ हुसैन की बैठक में मौजूदगी और उनके इशारों पर निर्णय लिए जाने की बात अगर सही है, तो यह नगरपालिका नियमावली का सीधा उल्लंघन हो सकता है। इसके अलावा, विकास कार्यों में कथित पक्षपात और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग के आरोप भी गंभीर हैं।
हालांकि, यह देखना होगा कि नगर आयुक्त या अन्य सरकारी अधिकारी इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। क्या उपमहापौर इस मुद्दे को कानूनी रूप से चुनौती देंगे या राजनीतिक रूप से ही इसका समाधान खोजेंगे? साथ ही, क्या राज्य सरकार या विपक्षी दल इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया देंगे?
यह मामला प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर काफी गंभीर लगता है। उपमहापौर के आरोप अगर सही साबित होते हैं, तो यह एक बड़ा प्रशासनिक उल्लंघन हो सकता है। नगर निगम में महापौर के पति का हस्तक्षेप और सरकारी संसाधनों का कथित दुरुपयोग वाकई में जांच का विषय बन सकता है।
क्या आपको लगता है कि यह मामला सिर्फ नगर निगम की गुटबाजी का हिस्सा है, या फिर इसमें वाकई कुछ ठोस प्रशासनिक अनियमितता है? साथ ही, क्या विपक्षी दल या नगर निगम के अन्य पार्षदों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी है?
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