आईआईटी पटना में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में प्रगति"
We News 24 Hindi / रिपोर्टिंग सूत्र / रईस अहमद
बिहटा:- आईआईटी पटना में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में प्रगति" (ASAGE’25) का आयोजन 6 फरवरी 2025 से शुरू हुआ। यह सम्मेलन सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी पटना द्वारा आयोजित किया गया है।
इसका उद्घाटन प्रोफेसर टी. एन. सिंह, निदेशक आईआईटी पटना, प्रोफेसर बी. के. माहेश्वरी, प्रेसीडेंट, इसेट (इंडियन सोसायटी ऑफ अर्थ-क्वैक टेक्नॉलजी), डॉ. वी. रामचन्द्र, प्रेसीडेंट, इंडियन कंक्रीट इंस्टिट्यूट, डॉ. अमित कुमार वर्मा, हेड ऑफ डिपार्टमेंट, सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग, डॉ. वैभव सिंघल और अरविंद प्रकाश झा, कॉन्वेनर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। यह आईआईटी पटना में पहली बार स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल क्षेत्र में आयोजित हो रहा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
इस सम्मेलन में 6 से 8 फरवरी 2025 तक 24 विशेष सत्र, 24 की-नोट टॉक, और 170 से अधिक पेपर प्रस्तुत किए जाएंगे। देश और विदेश के 250 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें अकादमिक, उद्योग और सरकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं, इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। यह सम्मेलन कंस्ट्रक्शन और जियो-टेक्निकल इंजीनियरिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योग के पेशेवरों को नवीनतम शोध और प्रगति पर विचार साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।
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प्रोफेसर टी. एन. सिंह ने अपने संबोधन में स्ट्रक्चरल विकास में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और दोनों क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग मजबूत और टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि जियोटेक्निकल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कैसे एक साथ काम करती हैं, जिससे डिजाइनों को वास्तविकता में बदला जा सके। उन्होंने कहा कि ASAGE’25 जैसे सम्मेलन नवाचार और सहकार्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह सम्मेलन न केवल इंजीनियरिंग शोधकर्ताओं और पेशेवरों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और अनुसंधानों को समझने और लागू करने का भी एक प्रमुख मंच है।
सम्मेलन की मुख्य बातें:
- अंतरराष्ट्रीय भागीदारी: विभिन्न देशों के विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की भागीदारी, जिससे वैश्विक दृष्टिकोण को समझने का मौका मिलेगा।
- तकनीकी सत्र: 24 विशेष सत्रों में नवीनतम अनुसंधान और तकनीकों पर गहन चर्चा।
- की-नोट टॉक्स: प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान, जो भविष्य की इंजीनियरिंग चुनौतियों और अवसरों पर केंद्रित होंगे।
- शोध-पत्र प्रस्तुति: 170 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे, जो वर्तमान शोध को आगे बढ़ाने में सहायक होंगे।
आईआईटी पटना द्वारा आयोजित यह सम्मेलन न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए बल्कि उद्योग और सरकारी संगठनों के लिए भी अत्यंत उपयोगी होगा, जिससे वे निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास में नवीनतम तकनीकों को समझ सकें और उन्हें अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकें।
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