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    केंद्रीय बजट 2025-26: आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक दांव भी? बजट के ज़रिए चुनावी राज्यों को लुभाने की कोशिश

    केंद्रीय बजट 2025-26: आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक दांव भी? बजट के ज़रिए चुनावी राज्यों को लुभाने की कोशिश







    We News 24 Hindi / अंजली कुमारी 



    नई दिल्ली:- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को यूनियन बजट 2025-26 संसद में पेश कर दिया। जिस तरह से बजट में सैलरी क्लास को फोकस किया और बिहार को लेकर कई बड़े ऐलान किए, उसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। दिल्ली में बुधवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा, वहीं बिहार में इस साल अक्टूबर या नवंबर में चुनाव हैं। बजट के जरिए इन दोनों चुनावी राज्यों के लोगों को लुभाने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए गए हैं। कहा जा रहा कि इस बजट में जितना आर्थिक अभ्यास है, उतना ही राजनीतिक भी।



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    दिल्ली: मध्यम वर्ग पर फोकस क्यों?

    • दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव हैं, और मध्यम वर्ग पर ध्यान देना भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
    • आम आदमी पार्टी (AAP) का मुख्य समर्थन कम आय वर्ग के मतदाता हैं, जबकि मध्यम वर्ग भाजपा की ओर झुक सकता है
    • बजट में 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स राहत देकर सरकार ने सरकारी कर्मचारियों, प्राइवेट जॉब करने वालों और व्यापारियों को साधने की कोशिश की है।
    • इससे भाजपा को उम्मीद है कि वह AAP से नाराज मध्यम वर्ग को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है


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    बिहार: चुनावी साल में बड़े ऐलान

    बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में NDA सरकार (भाजपा-जेडीयू) ने बिहार को लेकर कई बड़े ऐलान किए हैं:

    1. मखाना बोर्ड और राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान
    2. IIT-पटना का विस्तार
    3. बौद्ध पर्यटन केंद्रों का विकास
    4. पश्चिमी कोसी नहर परियोजना

    इन घोषणाओं से साफ है कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन, कांग्रेस-आरजेडी को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है


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    क्या यह चुनावी बजट है?

    इस बजट को लेकर विपक्षी दलों का आरोप है कि यह चुनावी राज्यों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हालांकि, यह भी सच है कि हर बजट में राजनीतिक पहलू होता है

    दिल्ली में भाजपा ने मध्यम वर्ग को साधने के लिए टैक्स में बड़ी राहत दी
    बिहार में भाजपा-जेडीयू ने विकास योजनाओं के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की

    क्या यह रणनीति दिल्ली और बिहार में भाजपा को चुनावी फायदा पहुंचाएगी? यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे, लेकिन इतना तय है कि बजट 2025-26 आर्थिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दस्तावेज भी है। 


  • कांग्रेस सरकार (10-12 साल पहले) की कर नीति

    • 2012-13 (यूपीए सरकार) के दौरान 12 लाख रुपये सालाना आय पर कर की गणना:
      • 2 लाख रुपये तक कर मुक्त।
      • 2-5 लाख रुपये पर 10% टैक्स।
      • 5-10 लाख रुपये पर 20% टैक्स।
      • 10 लाख रुपये से ऊपर 30% टैक्स।
      • कुल कर = 1.9 लाख + शिक्षा सेस ≈ 2.1 लाख रुपये (जो पीएम मोदी के 2.6 लाख रुपये के दावे से थोड़ा अलग है)।
  • वर्तमान भाजपा सरकार की कर नीति

    • नई कर व्यवस्था (2023-24 बजट के अनुसार):
      • 7 लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त।
      • 12 लाख रुपये की आय पर कर = 60,000 रुपये
    • हालांकि, पुरानी कर व्यवस्था के तहत करदाताओं को छूट और कटौतियों का लाभ लेना पड़ता है।
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