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    क्या कुम्भ भगदड़ की सच्चाई को दबा रही योगी सरकार ?जानिए कुंभ का पूरा सच, क्यों कब और कैसे

    क्या कुम्भ भगदड़ की सच्चाई को दबा रही योगी सरकार ?जानिए कुंभ का पूरा सच, क्यों कब और कैसे






    We News 24 Hindi / मिडिया रिपोर्ट 


    प्रयागराज:-  पहले भी प्रयाग भगदड़ में हजारो लोग अपनी जान गंवा चुके है ,मौनी अमावस्य पर एक नहीं दो जगहों पर  मची थी भगदड़  मौनी अमावस्या के दिन बुधवार 29 जनवरी को रात 1 बजे भगदड़ मची थी जिसमें सरकार ने कहा था कि 30 लोग मारे गए थे. इसके बाद एक अन्य जगह पर भी भगदड़ की घटना हुई थी. दूसरी बार भगदड़ महावीर मार्ग सेक्टर 21 ,खाक चौक, झूसी पर हुई थी. दोबारा भगदड़ से प्रशासन अलर्ट हो गया और इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. 




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    महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन महावीर मार्ग, सेक्टर 21, खाक चौक पर भगदड़ हुई, प्रयत्क्षदर्शी की माने तो  यहां पर रात को 3 बजे ही लाखों की भीड़ जमा हो गई थी. चौराहे पर एक तरफ से ढलान भी था तो वही तीन तरफ से और रास्ते थे. जल्दी स्नान के चक्कर में लोग एक दूसरे के से आगे निकलने की होड़ में . संगम नोज जाना और जाने लगे  . हालांकि संगम नोज पर पहले से ही भारी   संख्या में भीड़ थी. भीड़ बढ़ती हुई देखकर लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़ने लगे. ऐसे में कई लोगों को समस्याएं होने लगी. इस भीड़ में एक महिला श्रद्धालु ऐसी भी थीं, जो यहां पर व्हीलचेयर के सहारे पहुंची थी.  एक चश्मदीद ने कहा कि हर तरफ से भीड़ बढ़ गई थी.  


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    इसके अलावा बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी पहुंचे थे,  सभी की आस्था संगम नोज पर ही   थी. नोज पर पहले से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब था. मौके पर भीड़ के दबाव की वजह से अफरा तफरी पैदा हो गई. इस जगह पर मात्र दो से तीन पुलिसकर्मी मौजूद थे और वो भीड़ नियंत्रण करने में असफल रहे .भगदड़ मचने लगी तो धक्का मुक्की की वजह से कई लोगों की सांस फूलने लगी. परिस्थितियां नाजुक होने पर यहां एक हल्दीराम स्टोर में घुसकर लोगों ने अपनी जान बचाने की कोशिश की स्टोर के कर्मचारी श्रद्धालुओं को गेट खोलकर पानी पिलाने लगे, श्रद्धालुओं ज्यादा होने के कारण पानी कम पड़ गया  धक्का मुक्की से निढ़ाल लोगों को मौके पर गत्तों फाड़- फाड़ कर पीड़ितों को हवा दी जाने लगी. काफी देर तक यह स्थिति बनी रही है और हालात बेकाबू हो गए.


     

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    बतया जा रहा है की  इस घटना के बाद अंदर की तरफ अब भी बड़ी संख्या में लोगों के कपड़े, जूते- चप्पल सामान बचे हैं. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लगभग 10 ट्रैक्टर ट्रालियों में लोगों का सामान यहां से भरकर हटाया गया है. यहां के लोगों के मुताबिक लगभग कई लोग घायल हुए है, इस घटना में कुछ लोगों की मौत भी हुई. हालांकि प्रशासन ने इस इसकी पुष्टि नहीं की है. पट नहीं क्यों प्रशासन ने इस बात छिपा लिया क्या यही है कुम्भ पर 8 हजार करोड़ खर्च करने की बाद की व्यवस्था ये घटना आज ही नहीं इससे भी पहले हुआ है और ज्यादातर घटना VVIP के व्यवस्था के कारण हुआ है क्या कुम्भ जैसे आयोजन में VVIP व्यवस्था होनी चाहिए ?


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    पुराने कुंभ मेलों में हुई भगदड़ की प्रमुख घटनाएँ

    कुंभ मेले में हर बार लाखों-करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान के लिए आते हैं। भीड़ के अत्यधिक दबाव और अव्यवस्था के कारण कई बार भगदड़ जैसी घटनाएँ पहले भी हो चुकी हैं। यहाँ कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख है: 1954 में प्रयागराज तब इलाहाबाद हुआ करता था   कुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या के दिन एक बड़ी भगदड़ हुई थी, जिसमें अनुमानित 800 से अधिक लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे। यह भारतीय इतिहास की सबसे भयावह भगदड़ों में से एक मानी जाती है। कुंभ मेले में हर बार लाखों-करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान के लिए आते हैं। भीड़ के अत्यधिक दबाव और अव्यवस्था के कारण कई बार भगदड़ जैसी घटनाएँ हो चुकी हैं। यहाँ कुछ प्रमुख घटनाओं का उल्लेख है:

     1.पहली घटना  1954 कुंभ मेले के मौनी अमावस्या के दिन 50 लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान के लिए संगम तट पर पहुंचे थे।यह भारतीय इतिहास की सबसे भयावह भगदड़ों में से एक थी।अव्यवस्थित यातायात, सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। सड़क संकरी और अव्यवस्थित: एक अस्थायी बाँध टूटने से लोग घबरा गए और भगदड़ मच गई। वीआईपी मूवमेंट: तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के कारण कुछ मार्गों को बदल दिया गया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। इस हादसे में 800 से अधिक लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हुए।


    2. दूसरी घटना 1986 अर्धकुंभ मेले की भगदड़

    • श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के कारण एक संकरी सड़क पर भगदड़ मच गई।
    • हालांकि आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन कई लोगों की जान जाने की खबरें आई थीं।

    3 तीसरी घटना 1995 अर्धकुंभ भगदड़ (100+ मौतें, सैकड़ों घायल)

    • मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई।
    • पुल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिससे अत्यधिक दबाव बढ़ने से अफरा-तफरी मच गई।
    • 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हुए।

     4.चौथी घटना   प्रयागराज) – स्नान घाट भगदड़

    तारीख था  26 जनवरी 2001 (गणतंत्र दिवस)    
    स्थान: था प्रयागराज (संगम तट)

    2001 के महाकुंभ में मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के स्नान के दौरान करोड़ों श्रद्धालु एकत्र हुए।
    26 जनवरी को अत्यधिक भीड़ के दबाव के कारण भगदड़ मच गई।

    हालांकि, इस घटना में मौतों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी, लेकिन कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे

     


    5.पांचवी घटना 27 अगस्त 2003नासिक, महाराष्ट्र गोदावरी नदी रामकुंड घाट पर  नासिक कुंभ मेले के दौरान  साधु-संतों के जुलूस के बीच जबरदस्त भीड़ जमा हो गई। अचानक मची भगदड़ में 39 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन विफल रहा, जिससे यह हादसा हुआ।


    6. छठी घटना  2013 महाकुंभ भगदड़ (36 मौतें, सैकड़ों घायल हुए थे 

    • यह घटना इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर 10 फरवरी 2013 को यह हादसा हुआ।
    • महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन लगभग 3 करोड़ श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंचे थे।
    • स्टेशन पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि पुल पर अफवाह फैल गई, जिससे भगदड़ मच गई।
    • इस हादसे में 36 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।
      घटना का मुख्य कारण अत्यधिक भीड़, अव्यवस्थित भीड़ नियंत्रण, और पुलिस के लाठीचार्ज की अफवाह को माना गया

    सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन में सुधार

    • हाल के वर्षों में CCTV कैमरे, ड्रोन निगरानी, डिजिटल स्क्रीन और पुलिस बलों की तैनाती जैसी तकनीकों से भीड़ नियंत्रण में सुधार किया गया है।
    • 2019 कुंभ मेला अब तक का सबसे सुरक्षित माना गया, जहाँ भीड़ नियंत्रण के लिए बेहतर प्रबंधन किया गया था।

    और अभी 2025 की घटना मौनी अमावस्या के दिन बुधवार 29 जनवरी को रात 1 बजे भगदड़ मची थी जिसमें सरकार ने कहा था कि 30 लोग मारे गए थे. इसके बाद एक अन्य जगह पर भी भगदड़ की घटना हुई थी. दूसरी बार भगदड़ महावीर मार्ग सेक्टर 21 ,खाक चौक, झूसी पर हुई थी. दोबारा भगदड़ से प्रशासन अलर्ट हो गया और इस तरह की घटना दोबारा ना हो इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. 



     



    निष्कर्ष

    कुंभ मेले में भगदड़ की घटनाएँ मुख्य रूप से अत्यधिक भीड़, अव्यवस्थित सुरक्षा व्यवस्था और अफवाहों के कारण होती हैं। 2013 और 1954 की भगदड़ सबसे बड़ी घटनाओं में से मानी जाती हैं।


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