Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    क्या दिल्ली चुनाव में मुस्लिम और मध्यम वर्ग वोटर बीजेपी का साथ देंगे या बिगाड़ेंगे चुनावी समीकरण ? समझिये समीकरण

    क्या दिल्ली चुनाव में मुस्लिम और मध्यम वर्ग वोटर बीजेपी का साथ देंगे या बिगाड़ेंगे चुनावी समीकरण ? समझिये समीकरण








    We News 24 Hindi / दीपक कुमार 


    नई दिल्ली :- दिल्ली विधानसभा चुनाव हाल के वर्षों में राजनीतिक विश्लेषकों और मतदाताओं के लिए एक दिलचस्प मुद्दा बन गया है। यह चुनाव न केवल दिल्ली की स्थानीय राजनीति को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी इसका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। आइए, दिल्ली विधानसभा चुनाव के कुछ प्रमुख पहलुओं को समझते हैं: आपका दिल्ली पर कब्ज़ा काबिले तारीफ़ है इससे राजनितिक विश्लेषक भी हैरान की बीजेपी एके अपार कामयाबी के बाद भी दिल्ली से दूर रहना पर रहा है और आम आदमी पार्टी अपना दबदबा बनाने में कामयाब है .आप का उदय अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से हुआ .


    ये भी पढ़े-महामंडलेश्वर का पद क्यों रहता है विवादों में ? आइए जानें महामंडलेश्वर बनने के नियम ,विवादित महामंडलेश्वर का इतिहास


    2020 के चुनाव में दिल्ली केंट ,सरोजनी नगर ,ग्रेटर कैलाश जैसे इलाको में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला इन्ही इलाके के लोग लोक सभा चुनाव बीजेपी को प्रचंड जित दिलाई . इस बार  आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है की अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से निकली पार्टी के ज्यादतर नेता यंहा तक की अरविन्द केजरीवाल तक शराब घोटाले का आरोप लग चूका है साथ ही मुफ्त रेवड़ी राजनीती के आरोपों से कितना नुकसान उठाना पड़ेगा ये तो आने वाले 5 फरवरी का वोटिंग और 8 फरवरी के मतगणना में पता चलेगा की इन बातो से आम आदमी पार्टी का समर्थन मध्यम वर्ग में घटा है या बढ़ा है ? 



    ये भी पढ़े-कोंग्रेस विधयाक के 18 साल के बेटे का शव MLC आवास में फंदे से लटका मिला


    दिल्ली चुनाव का महत्व दो ध्रुवीय मुकाबला

    दिल्ली में चुनावी मुकाबला मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच होता है। कांग्रेस पार्टी की उपस्थिति लगभग नगण्य हो गई है, जैसा कि 2020 के चुनाव में देखा गया, जब कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली।


    मध्यम वर्ग की भूमिका

    दिल्ली का मध्यम वर्ग चुनावी नतीजों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है। यह वर्ग राजनीतिक रूप से सजग है और अपने हितों के अनुसार वोट करता है। 2020 के चुनाव में आप को मध्यम वर्ग के इलाकों जैसे दिल्ली कैंट, सरोजिनी नगर और ग्रेटर कैलाश में भारी समर्थन मिला, जबकि कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में इन्हीं इलाकों में भाजपा को जबरदस्त जीत मिली थी।


    ये भी पढ़े-केंद्रीय बजट 2025-26: आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक दांव भी? बजट के ज़रिए चुनावी राज्यों को लुभाने की कोशिश


    राष्ट्रीय बनाम क्षेत्रीय राजनीति

    दिल्ली के मतदाता राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति के बीच अंतर करते हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रभुत्व के बावजूद, विधानसभा चुनाव में आप ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। यह दर्शाता है कि मतदाता केंद्र और राज्य स्तर पर अलग-अलग प्राथमिकताएं रखते हैं।


    आप की सफलता के कारण भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की विरासत

    आप की स्थापना अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन ने आप को एक साफ-सुथरी और जनता के करीब पार्टी के रूप में स्थापित किया। लेकिन हाल के दिनों में खुद पार्टी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गयी 


    सरकारी सेवाओं में सुधार

    आप ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सेवाओं में सुधार करके दिल्ली के मतदाताओं का विश्वास जीता है। मुफ्त बिजली और पानी जैसी योजनाओं ने गरीब और मध्यम वर्ग के बीच पार्टी की लोकप्रियता बढ़ाई। परन्तु 2024 के भीषण गर्मी में लोग बूंद -बूंद पानी के लिए तरसे है 


    सामाजिक गठबंधन

    आप ने दिल्ली के विभिन्न वर्गों, जैसे कि गरीब, मध्यम वर्ग और अल्पसंख्यकों, के बीच एक मजबूत सामाजिक गठबंधन बनाया है। हालांकि, 2020 के दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ खड़े न होने के कारण आप को कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।


    भाजपा की चुनौतियाँ केंद्र सरकार का प्रभाव

    भाजपा केंद्र सरकार में होने के कारण दिल्ली चुनाव में अपने राष्ट्रीय एजेंडे को प्रमुखता देती है। हालांकि, दिल्ली के मतदाता स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान देते हैं, जिससे भाजपा को चुनौती का सामना करना पड़ता है।


    मुस्लिम वोट बैंक

    भाजपा को दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में कम समर्थन मिलता है। इसके अलावा, कांग्रेस की कोशिशें मुस्लिम वोटों को आप से दूर करने की हैं, जो भाजपा के लिए एक अवसर हो सकता है।


    कांग्रेस की भूमिका गठबंधन की संभावनाएं

    कांग्रेस ने आप के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। इसके बजाय, वह दलितों और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जो दिल्ली के पूर्वी इलाकों में एक बड़ा वोट बैंक हैं।


    पुनरुत्थान की कोशिश

    कांग्रेस ने 2020 के दंगों के दौरान आप की भूमिका को लेकर उसे आलोचनाओं के घेरे में लाने की कोशिश की है। हालांकि, अभी तक कांग्रेस को दिल्ली में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।


    निष्कर्ष

    दिल्ली विधानसभा चुनाव एक बार फिर आप और भाजपा के बीच दो ध्रुवीय मुकाबला होगा। कांग्रेस की भूमिका सीमित होने के कारण, यह चुनाव दिल्ली के मतदाताओं की राजनीतिक समझ और उनकी प्राथमिकताओं को दर्शाएगा। मध्यम वर्ग की भूमिका इस चुनाव में निर्णायक होगी, क्योंकि यह वर्ग अपने हितों के अनुसार वोट करने में सक्षम है। आप की 'रेवड़ी राजनीति' और भाजपा के राष्ट्रीय एजेंडे के बीच दिल्ली के मतदाताओं का चुनाव ही तय करेगा कि दिल्ली की राजनीति का भविष्य क्या होगा। 

    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728