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    क्या दिल्ली में 'लाल डोरा'क्षेत्र निर्माण वैध हैं? MCD या पुलिस क्या कर सकती है कार्रवाई?

    क्या दिल्ली में 'लाल डोरा'क्षेत्र निर्माण  वैध हैं? MCD या पुलिस क्या कर सकती है कार्रवाई?




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    लेखक: दीपक कुमार

     क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों जैसे छतरपुर, मुनिरका, किशनगढ़, हौज खास गांव आदि ‘लाल डोरा’ की श्रेणी में आते हैं? इन इलाकों में हजारों की संख्या में मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग्स और फ्लैट्स बने हुए हैं — लेकिन क्या ये सब वैध हैं? क्या दिल्ली नगर निगम (MCD) या पुलिस इन पर कार्रवाई कर सकती है? यह लेख इन्हीं सवालों पर आधारित है।

     

    🔴 लाल डोरा क्या है?

    लाल डोरा शब्द की उत्पत्ति 1908 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी, जब अधिकारियों ने राजस्व रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने के लिए गाँव के रिहायशी क्षेत्रों को कृषि भूमि से अलग कर दिया। इन रिहायशी क्षेत्रों की पहचान नक्शे में लाल रेखा से की गई, जिसे आज 'लाल डोरा' क्षेत्र कहा जाता है। 

    पहले यह लाल डोरा दिल्ली और उसके आसपास के गांव में शुरू किया गया था लेकिन बाद में हरियाणा और पंजाब में भी इसको शुरू कर दिया गया। लाल डोरा के तहत आने वाली प्रॉपर्टी को शहर की कोई भी अथॉरिटी रजिस्टर नहीं कर सकती है। यही कारण है कि भारत सरकार एक लाल डोरा सर्टिफिकेट जारी करती है और प्रॉपर्टी का मालिकाना हक प्रूफ के रूप में देती है। आपको बता दे कि ऐसी प्रॉपर्टीज रजिस्ट्री तो होती ही नहीं है और साथ ही साथ कोई बैंक लोन भी नहीं देता है। आपको बता दे कि यह लाल डोरा सिस्टम खासकर दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में लागू था। बाद में इस प्रथा को बंद कर दिया गया लेकिन आज भी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बहुत जगह ऐसी प्रॉपर्टीज हैं जो लाल डोरा के तहत आती हैं।


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    दिल्ली में लाल डोरा इलाकों कौन-कौन से है?

     छतरपुर, किशन गढ़, मेहरौली , हौज खास गांव, बसंत गांव, खेल गांव, मुनिरका, खिड़की एक्सटेंशन, कोंडली, त्रिलोकपुरी, नेताजी सुभाष विहार, कड़कड़डूमा गांव, नवादा, नरेला गांव, गोपाल पुर, रोहिणी, महावीर एन्कलेव पार्ट 1, द्वारका के पास गणेश नगर, वेस्ट दिल्ली पौससंगपुर, वीरेन्द्र नगर, महावीर एनक्लेव, असलतपुर,  संत नगर और कोटला गांव आदि ,दिल्ली में, "लाल डोरा" एक विशिष्ट क्षेत्र को दर्शाता है, जो 1980-1989 के दौरान परिभाषित किया गया था. यह क्षेत्र गांव की सीमाओं को दर्शाने वाली एक काल्पनिक रेखा से परिभाषित था, जो मुख्य रूप से खेती की जमीन और बस्तियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से था. 





    🏗️ क्या लाल डोरा पर भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य है? 

    नहीं। 1957 की अधिसूचना और 1963 के दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम के अनुसार, लाल डोरा क्षेत्रों को भवन उपनियमों से छूट दी गई थी। इसका सीधा अर्थ यह है कि यहां निर्माण के लिए नक्शा पास कराने की अनिवार्यता नहीं है।

    लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी और किसी भी तरीके से निर्माण कर सकता है। कुछ दिशानिर्देश होते हैं जैसे:

    सार्वजनिक रास्तों पर अतिक्रमण न हो संरचना के कारण सुरक्षा को खतरा न हो निर्माण से किसी के संपत्ति को नुकसान न पहुंचे





    ⚖️ एमसीडी और दिल्ली पुलिस की क्या भूमिका है?

    1. क्या एमसीडी लाल डोरा जमीन पर निर्माण रोक सकती है?

    सामान्यतः नहीं। जब तक निर्माण लाल डोरा सीमा के भीतर है और सार्वजनिक हित या सुरक्षा को खतरा नहीं है, एमसीडी की कोई कानूनी शक्ति नहीं है निर्माण को रोकने की।

    हालांकि, अगर निर्माण बेहद ऊंचा या व्यावसायिक इस्तेमाल के लिहाज से खतरे वाला हो, तो MCD संज्ञान ले सकती है।


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    1. क्या दिल्ली पुलिस या अन्य विभाग कार्रवाई कर सकते हैं?

    दिल्ली पुलिस सीधे निर्माण से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती, जब तक कि कानून-व्यवस्था का उल्लंघन न हो। अगर स्थानीय निवासियों की शिकायत हो या पर्यावरण या सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो रहा हो, तो जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर कार्रवाई हो सकती है।



    🔍 क्या DMC Act की धारा 416(1)(a) का उल्लंघन हो रहा है?


    छतरपुर समेत पूरी दिल्ली में लाखों की संख्या में अवैध फ्लैट्स और मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग्स बन चुकी हैं, जिनका उपयोग आवासीय से हटकर व्यावसायिक या किराए के धंधे के रूप में हो रहा है। यह DMC Act की धारा 416(1)(a) का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके तहत किसी भी संपत्ति का उपयोग उसके स्वीकृत उद्देश्य के अतिरिक्त करना अवैध है। इस दुरुपयोग का असर सिर्फ क़ानून तक सीमित नहीं, बल्कि राजधानी की आधारभूत सुविधाओं पर भारी पड़ रहा है।

    • पानी की पाइपलाइन से अवैध कनेक्शन जोड़े जा रहे हैं, जिससे आम जनता को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा।

    • अवैध निर्माण से बिजली लोड कई गुना बढ़ गया है, जिससे फाल्ट्स और ट्रिपिंग आम बात हो गई है।

    अगर MCD और पुलिस प्रशासन ने समय रहते 416(1)(a) जैसे नियमों का सख्ती से पालन किया होता, तो दिल्ली की यह भयावह स्थिति नहीं बनती।


    📜 अगर कोई विभाग निर्माण रोकता है तो क्या करें? 

    लाल डोरा सर्टिफिकेट दिखाएं: अगर आपकी प्रॉपर्टी लाल डोरा क्षेत्र में है, तो उसका प्रमाण सर्टिफिकेट होता है जिसे CSC या तहसील कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।

    रिट याचिका दाखिल करें: अगर बिना अधिकार कोई विभाग निर्माण रोक रहा है, तो आप दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं। आधार: "Right to Shelter" as interpreted under Article 21 of the Constitution of India.

    RTI के माध्यम से जानकारी लें: किस आधार पर रोक लगाई जा रही है, इसकी जानकारी संबंधित विभाग (जैसे MCD, DDA, SDM ऑफिस) से RTI के माध्यम से मांगी जा सकती है।

    स्थानीय विधायक या पार्षद से संपर्क करें: कई बार प्रशासनिक दबाव से गलत तरीके से निर्माण रोका जाता है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों से समर्थन लेना भी मददगार हो सकता है।

    🚨 सावधानी बरतें लाल डोरा जमीन की खरीद-बिक्री बिना रजिस्ट्री होती है, जिससे भविष्य में विवाद की संभावना रहती है।

    बैंक लोन आमतौर पर नहीं मिलता, और बीमा कवर भी नहीं होता।


    🧾 अगर MCD या पुलिस पैसे की मांग करे, बुकिंग या सीलिंग की धमकी दे तो क्या करें?

    🔹 1. सबसे पहले: डरिए मत, जानिए अपना अधिकार

    लाल डोरा क्षेत्र में नक्शा पास कराना जरूरी नहीं है, इसलिए MCD का "बिल्डिंग बुकिंग" या "सीलिंग" की धमकी कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है, जब तक कि आपने:

    सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा नहीं किया हो, सार्वजनिक रास्ते को बंद नहीं किया हो, या फिर बहुत ऊंची कमर्शियल इमारत नहीं बनाई हो जो सुरक्षा के लिए खतरा हो।

    🔹 2. रिश्वत मांगने वालों के खिलाफ क्या करें? अगर कोई MCD अफसर या पुलिसकर्मी पैसे की मांग करता है या धमकाता है:

    उसका वीडियो या ऑडियो सबूत लें (छुपकर रिकॉर्डिंग करें, ये कानूनी है अगर आप खुद बातचीत में शामिल हैं)।

    उसके खिलाफ Vigilance Department of MCD और Anti-Corruption Branch (ACB), Delhi Government में शिकायत करें:

    ACB हेल्पलाइन: 📞 1031 ईमेल: acb.delhi@nic.in

    🔹 3. RTI डालें और जवाब मांगें अगर कोई आपको नोटिस भेजता है या मौखिक तौर पर धमकाता है, तो RTI के जरिए पूछिए:

    “मेरी संपत्ति को बुक/सील करने का क्या कानूनी आधार है?” “क्या MCD के पास लाल डोरा क्षेत्र के लिए निर्माण प्रतिबंध का कोई लिखित नियम है?”

    🔌 क्या लाल डोरा इलाके में बिजली-पानी की सुविधा मिल सकती है?

    ✅ हां, मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और DERC (दिल्ली बिजली विनियामक आयोग) के दिशा-निर्देश के अनुसार:

    बिजली कनेक्शन:

    2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा: “सिर्फ इस आधार पर कि कोई निर्माण 'अनधिकृत' है, बिजली कनेक्शन रोका नहीं जा सकता।”

    बिजली कंपनी (जैसे BSES या Tata Power) को ID Proof + Ownership Proof (Sale Deed, GPA या बिजली बिल) दिखाना होता है।

    पानी का कनेक्शन:

    दिल्ली जल बोर्ड ने लाल डोरा, अनधिकृत कॉलोनियों और JJ क्लस्टर के लिए स्पेशल स्कीम चलाई है।

    न्यूनतम दस्तावेज़ों पर घरेलू जल कनेक्शन मिलता है: आधार कार्ड संपत्ति प्रमाण (GPA, बिजली बिल, वोटर ID) हाउस टैक्स की रसीद (अगर है)

    सीवर कनेक्शन: कुछ कॉलोनियों में अभी भी योजना नहीं है, लेकिन MLA फंड या DJB योजना के तहत यह जोड़ा जा सकता है।

    🚨 ध्यान रखें: बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं "संविधान के अनुच्छेद 21" के तहत आपका मौलिक अधिकार है।

    अगर कोई विभाग मनमानी कर रहा है, तो आप Delhi High Court में रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।


    निष्कर्ष लाल डोरा भूमि एक ऐतिहासिक और कानूनी रूप से विशिष्ट व्यवस्था है। जब तक आप तय सीमा और निर्देशों के भीतर निर्माण करते हैं, MCD या अन्य विभाग आपको बिना कानूनी आधार के नहीं रोक सकते। लेकिन यदि रोक लगाई जाती है, तो आपके पास कानूनी विकल्प खुले हैं। पुलिस या अधिकारी रिश्वत मांगें तो कार्रवाई करें – सबूत इकट्ठा करें और शिकायत करें।

    और हां, बिजली-पानी पर आपका हक है। कोई भी विभाग इसे नहीं रोक सकता जब तक आप कनेक्शन के लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी करते हैं।

    मैं, दीपक कुमार, बतौर पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता, मानता हूं कि दिल्ली में लाल डोरा व्यवस्था को लेकर पारदर्शिता होनी चाहिए और जनता को उनके अधिकारों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।

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