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    अब दिल्ली के निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी! दिल्ली सरकार ला रही है नया कानून, जानें अभिभावकों को कैसे मिलेगी राहत


    अब दिल्ली के निजी स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी! दिल्ली सरकार ला रही है नया कानून, जानें अभिभावकों को कैसे मिलेगी राहत


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    🖋️ रिपोर्टिंग कविता चौधरी 



    नई दिल्ली :- मनमानी फीस वसूली पर अब लगाम कसने की तैयारी पूरी हो चुकी है। दिल्ली सरकार ने Delhi School Education (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) Bill, 2025 के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। यह बिल अब विधानसभा में पेश होने जा रहा है। इस कानून के लागू होते ही निजी स्कूलों की फीस तय करने की प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह हो जाएगी।



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    🔍 क्या है इस बिल की ज़रूरत?

    पिछले कुछ वर्षों में अभिभावकों की शिकायतें लगातार बढ़ीं कि स्कूल हर साल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं। कुछ स्कूलों में बच्चों को फीस न देने पर क्लास से बाहर बैठाया गया, जिससे मानसिक उत्पीड़न जैसी स्थिति भी बनी। इन्हीं चिंताओं को देखते हुए सरकार अब गाइडलाइंस से आगे बढ़कर कानून बना रही है।


    💡 बिल की बड़ी बातें: क्या बदलेगा?

    फीस बढ़ाने से पहले लेनी होगी इजाजत

    अब हर निजी स्कूल को शिक्षा निदेशालय (DoE) से अनुमति लेकर ही फीस बढ़ानी होगी। पहले ये नियम सिर्फ 355 स्कूलों तक सीमित था, अब सभी निजी स्कूल इसमें आएंगे।

    गाइडलाइन से कानून का सफर

    पहले यह सिर्फ दिशानिर्देश थे, अब कानूनी रूप दिया जा रहा है। मतलब, उल्लंघन पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक जुर्माना, स्कूल की मान्यता रद्द, यहां तक कि प्रबंधन का अधिग्रहण भी हो सकता है।

    ऑडिट अनिवार्य होगा

    फीस बढ़ाने से पहले स्कूलों को अपने वित्तीय दस्तावेज़ों का ऑडिट कराना होगा — वो भी CAG से अनुमोदित ऑडिटर्स के ज़रिए।

    जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में फीस निगरानी समिति

    यह कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़ोतरी जायज है या नहीं। ये कमेटी स्कूल की ऑडिट रिपोर्ट, अभिभावकों की शिकायत और पूरे खर्च की जांच करेगी।


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    ⚖️ सख्ती होगी नियमों के उल्लंघन पर

    • ₹10 लाख तक जुर्माना

    • मान्यता रद्द करने की तेज प्रक्रिया

    • प्रबंधन अधिग्रहण का कानूनी प्रावधान

    • शो-कॉज नोटिस के बाद सीधी कार्रवाई

    • मानवाधिकार उल्लंघन पर कोर्ट में मामला


    🚸 बच्चों के मानसिक उत्पीड़न पर भी कार्रवाई

    अगर फीस न भरने के कारण किसी बच्चे को क्लास से बाहर बैठाया जाता है, तो अब यह मानवाधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। स्कूल के खिलाफ सीधा केस दर्ज हो सकता है।


    📢 क्या बोले शिक्षा मंत्री?

    दिल्ली के शिक्षा मंत्री का कहना है कि

    “यह सिर्फ कानून नहीं, अभिभावकों को सम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास है। अब निजी स्कूल भी जवाबदेह होंगे और फीस तय करने का अधिकार मनमानी नहीं होगा।”



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    📌 We News 24 का विश्लेषण:

    दिल्ली सरकार का यह कदम निश्चित तौर पर निजी शिक्षा में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा सुधार हो सकता है, बशर्ते इसका सख्ती से पालन और निगरानी भी हो। यह कानून केवल स्कूलों को डराने के लिए नहीं, बल्कि छात्रों और अभिभावकों को राहत देने का ज़रिया बनना चाहिए। 

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