मैया सम्मान योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा: एक ही बैंक खाते से 19 पंचायतों में आवेदन, अधिकारी का घुमा माथा
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✍️ By Suraj mahto | WeNews24 | Updated: 21 May 2025
पूर्वी सिंहभूम, झारखंड – राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी मंईयां सम्मान योजना में एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। चाकुलिया प्रखंड में एक ही बैंक खाता नंबर से 19 अलग-अलग पंचायतों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें मोबाइल नंबर भी एक जैसे हैं—सिर्फ एक अंक बदला गया है। इस सनसनीखेज खुलासे ने प्रशासन से लेकर आम जनता तक को हिलाकर रख दिया है। अब सवाल उठ रहा है: क्या ये किसी संगठित साइबर गिरोह की करतूत है या सिस्टम की खामियों का फायदा उठाने वालों की चालबाज़ी?
क्या है मंईयां सम्मान योजना?
मंईयां सम्मान योजना झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी सामाजिक योजना है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय सहायता देना है। परंतु अब यह योजना राजनीतिक जल्दबाजी, तकनीकी खामियों और ग़ैर-पारदर्शी व्यवस्था के कारण फर्जीवाड़े का अड्डा बनती जा रही है।
फर्जीवाड़े की चौंकाने वाली हकीकत:
एक ही बैंक खाता नंबर से 19 पंचायतों में अलग-अलग नामों से आवेदन।
मोबाइल नंबर भी मिलते-जुलते: हर नंबर में बस एक अंक का अंतर।
संबंधित बैंक खाता चाकुलिया प्रखंड के किसी बैंक से संबंधित नहीं।
2912 आवेदनों में त्रुटियों की पुष्टि: खाता नंबर गलत, दो लाभार्थी एक खाता, पंचायत से बाहर के निवासी।
B.D.O. आरती मुंडा का बयान:
"जांच में यह सही पाया गया कि एक ही खाता नंबर से 19 आवेदन आए हैं। मोबाइल नंबर भी लगभग एक जैसे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी एक व्यक्ति ने यह सब जानबूझ कर किया है।"
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फर्जीवाड़े के आंकड़े:
विवरण आंकड़े
कुल संदिग्ध आवेदन (जिला स्तर पर) 2912
चाकुलिया प्रखंड में फर्जी आवेदन 164
सत्यापित आवेदन (अब तक) 120
फरवरी में जल्दबाजी में शुरू हुई योजना बन रही है धोखाधड़ी का जरिया
सूत्रों के अनुसार, योजना को विधानसभा चुनाव से पहले जल्दबाजी में लॉन्च किया गया था। सभी पंचायतों को टारगेट दिए गए और ऑपरेटरों ने रात-दिन आवेदन अपलोड किए। इस हड़बड़ी और योजना पोर्टल की तकनीकी खामियों का फायदा साइबर अपराधियों ने उठाया।
अगर पोर्टल में duplicate account check जैसी मूलभूत व्यवस्था होती, तो एक ही खाता नंबर से दो आवेदन स्वत: ही रिजेक्ट हो जाते।
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उपायुक्त अनन्य मित्तल का आदेश:
उपायुक्त ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों और अंचलाधिकारियों को आदेश दिया है:
अयोग्य लाभार्थियों को योजना से बाहर किया जाए।
जिनके खातों में पैसा जा चुका है, उनसे राशि की वसूली की जाए।
तकनीकी गड़बड़ियों को सुधारने के लिए पोर्टल को अपडेट किया जाए।
क्या कहता है यह पूरा मामला? — विश्लेषण
यह मामला केवल मंईयां सम्मान योजना का नहीं है, बल्कि भारत के कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी प्रणाली की खामी को भी उजागर करता है। जब तक डिजिटल वेरिफिकेशन, आधार-बैंक लिंकिंग और रीयल-टाइम डुप्लिकेसी चेक को मज़बूत नहीं किया जाएगा, ऐसी योजनाएं सिस्टम से खिलवाड़ करने वालों के लिए कमाई का जरिया बनती रहेंगी।
जनता के लिए अलर्ट:
योजना में आवेदन करते समय खुद के दस्तावेज़ और बैंक डिटेल की पुष्टि करें।
अगर किसी ने आपसे खाता नंबर या दस्तावेज़ लेकर आवेदन भरा है, तो तुरंत संबंधित बीडीओ या पुलिस को सूचना दें।
निष्कर्ष:
"मंईयां सम्मान योजना" में सामने आया यह नया फर्जीवाड़ा एक बड़ा चेतावनी संकेत है। अगर समय रहते सरकार और प्रशासन ने इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो यह योजना जरूरतमंद महिलाओं तक नहीं पहुंचेगी—बल्कि दलालों, बिचौलियों और फर्जीवाड़ा करने वालों की झोली भरती रहेगी।
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