वक्फ संशोधन पर आज आ सकता है अंतरिम फैसला, केंद्र और राज्यों के बीच तनाव के बीच मुद्दा गरमाया, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
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🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क
📍नई दिल्ली | अपडेट:20 मई 2025
✍ रिपोर्ट : कुनाल शेरावत | 🔖 श्रेणी: राष्ट्रीय ,राजनीति, संवेधानिक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की सांविधानिक वैधता को लेकर दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की शुरुआत हुई। यह मामला देश में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश भी पारित कर सकता है, जिससे कानून के अमल पर रोक लग सकती है। इस बीच केरल सरकार ने भी अपने हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, यह दावा करते हुए कि नए संशोधन से उनकी वक्फ संपत्तियों की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
मुख्य मुद्दे और दलीलें
केंद्र की दलील:
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले में सुनवाई को तीन मुख्य मुद्दों तक सीमित किया जाए। इन मुद्दों में शामिल हैं—वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति। उनका तर्क था कि इन प्रावधानों से वक्फ एवं वक्फ संपत्तियों की पहचान और अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
विपक्ष का तर्क:
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अन्य अधिवक्ता इस सुझाव का विरोध करते हुए बोले कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का मकसद वक्फों की रक्षा करना है, न कि उनकी संपत्तियों पर कब्जा करना। उन्होंने कहा कि वक्फ अल्लाह को दिया गया दान है, और एक बार वक्फ हो जाने के बाद उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती। सिब्बल ने यह भी चेतावनी दी कि संशोधन सरकार की कार्यकारी प्रक्रिया के माध्यम से वक्फ पर कब्जा करने का प्रयास है।
धार्मिक और ऐतिहासिक संदर्भ
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जिक्र किया कि खजुराहो जैसे प्राचीन स्मारकों में अभी भी लोग पूजा अर्चना कर रहे हैं, फिर भी उन्हें संरक्षित मानते हुए धार्मिक अधिकारों का संरक्षण क्यों जरूरी है। यह सवाल इस बात को रेखांकित करता है कि धार्मिक स्थलों की पहचान और उनकी सुरक्षा का मामला कितना संवेदनशील है।
वक्फ कानून में संशोधन और उसकी प्रभावशीलता
केंद्र ने 2025 का वक्फ (संशोधन) अधिनियम पिछले महीने अधिसूचित किया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी। इस कानून को लोकसभा में भारी समर्थन मिला था—288 सांसदों ने इसे समर्थन दिया, जबकि 232 ने विरोध किया। राज्यसभा में भी यह विधेयक पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोटों से पारित हुआ। इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पहचान और प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
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विवाद और चुनौतियां
सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह 1995 के पुराने कानून पर किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी, और वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने से संबंधित मामलों में भी सीमा तय की। साथ ही, सरकार ने आश्वासन दिया है कि किसी भी वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा, और नए कानून के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
निष्कर्ष
यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में उच्चतम न्यायिक समीक्षा के चरण में है, जहां वक्फ अधिकारों और सरकार की कार्यकारी शक्तियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है। देश में धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति अधिकार और सांवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा को लेकर यह सुनवाई अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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