अमेरिका का टैक्स बम! भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी
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🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 रिपोर्टिंग ,काजल कुमारी
नई दिल्ली:- अमेरिका में एक नई कर नीति प्रस्तावित की गई है, जिसके अनुसार विदेशी नागरिकों द्वारा अपने देश भेजे गए पैसे (रेमिटेंस) पर 5 फीसदी टैक्स लगाया जा सकता है। यह प्रस्ताव डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान आया है और भारत समेत उन सभी देशों की चिंता का कारण बन गया है, जिनकी अर्थव्यवस्था रेमिटेंस पर निर्भर करती है।
भारत को अरबों डॉलर का नुकसान, जीटीआरआई की चेतावनी
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने आगाह किया है कि अगर यह कर कानून बनता है, तो भारत को हर साल 12-18 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। 2023-24 में भारत को कुल $120 अरब की रेमिटेंस प्राप्त हुई थी, जिसमें से 28% केवल अमेरिका से आई थी।
GTRI के अनुसार, यदि पैसे भेजने की लागत 5% टैक्स के कारण बढ़ती है, तो लोग कम पैसे भेजेंगे, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ेगा और रुपये की कीमत पर दबाव बढ़ सकता है।
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कौन होंगे प्रभावित? – H-1B, H-2A वीजा धारक और ग्रीन कार्ड होल्डर
यह नया टैक्स अमेरिकी नागरिकों पर लागू नहीं होगा, बल्कि उन लोगों पर लागू होगा जो अमेरिका में कार्यरत हैं लेकिन नागरिक नहीं हैं। जैसे:
H-1B वीजा पर कार्यरत प्रोफेशनल्स
H-2A वीजा पर अस्थायी कृषि मजदूर
ग्रीन कार्ड धारक जो अभी अमेरिका के पूर्ण नागरिक नहीं हैं
इनमें से बड़ी संख्या में लोग भारतीय मूल के हैं, जो अपने परिवारों को हर महीने पैसे भेजते हैं।
भारत में किन राज्यों पर पड़ेगा सबसे अधिक असर?
भारत के कई राज्य विशेष रूप से रेमिटेंस पर निर्भर हैं:
केरल: लाखों परिवार खाड़ी देशों और अमेरिका में काम कर रहे रिश्तेदारों पर निर्भर हैं
उत्तर प्रदेश और बिहार: शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास के खर्चों में रेमिटेंस की बड़ी भूमिका होती है
इन राज्यों के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर इस नीति का सीधा प्रभाव पड़ेगा।
रुपया कमजोर होने की संभावना, RBI को करनी पड़ सकती है दखलअंदाजी
GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि रेमिटेंस में कमी से:
डॉलर की आपूर्ति घटेगी
रुपये की कीमत प्रति डॉलर 1 से 1.5 रुपये तक गिर सकती है
RBI को बार-बार मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है
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‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ क्या है?
12 मई 2025 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में ‘The One Big Beautiful Bill’ नामक विधेयक पेश किया गया, जिसमें यह 5% टैक्स लगाने का प्रस्ताव शामिल है। अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह आने वाले समय में अमेरिका में रह रहे गैर-नागरिकों की आर्थिक रणनीति को प्रभावित करेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी
भारत एक ऐसा देश है, जिसकी अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा लाखों प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे गए पैसों पर निर्भर करता है। यदि अमेरिका इस प्रस्ताव को लागू करता है, तो इससे:
भारत को अरबों डॉलर का नुकसान
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
परिवारों की आर्थिक स्थिति पर असर
रुपये की कीमत में गिरावट
जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
✍️ हमारी राय: भारत सरकार को उठाने होंगे कूटनीतिक कदम
यह समय है कि भारत सरकार अमेरिका के साथ उच्चस्तरीय कूटनीतिक बातचीत करे और इस प्रस्ताव के दूरगामी नकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट करे। प्रवासी भारतीयों की भूमिका केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है – उनके हितों की रक्षा करना भारत की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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