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    दिल्ली में बुलडोजर की गूंज: झुग्गी झोपड़ियों पर कार्रवाई की आड़ में मानवता पर सवाल

     
    दिल्ली में बुलडोजर की गूंज: झुग्गी झोपड़ियों पर कार्रवाई की आड़ में मानवता पर सवाल

    📍 नई दिल्ली | 11 जून 2025

    ✍️ रिपोर्ट: वरिष्ठ संवाददाता ,दीपक कुमार 


    नई दिल्ली:- दिल्ली की तंग गलियों और बसती झुग्गियों में एक बार फिर प्रशासन की सख्त कार्रवाई ने हजारों लोगों के सिर से छत छीन ली है। मद्रासी कैंप, कालकाजी भूमि हीन कैंप और बाटला हाउस जैसे इलाकों में अब सिर्फ धूल और टूटे हुए सपने रह गए हैं। आज सुबह से इन इलाकों में बुलडोज़र की गूंज सुनाई दे रही है। लोगों के सालों से बसे आशियाने अब मलबे में तब्दील हो चुके हैं।

    दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच चल रही खींचतान के बीच सबसे ज्यादा नुकसान गरीब झुग्गीवासियों को हो रहा है। बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने इन कार्रवाइयों के खिलाफ सख्त बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश की आड़ में दिल्ली की रेखा सरकार उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी लोगों को जबरन उजाड़ रही है।


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    1990 से बस चुकी हैं ये झुग्गियां

    दिल्ली की कई झुग्गियां, जिन पर आज बुलडोजर चलाया जा रहा है, 1990 से बसी हुई हैं। शुरुआत में ये कच्ची झोपड़ियां थीं लेकिन समय के साथ लोगों ने इन्हें पक्के मकानों में बदल लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि इन अवैध झुग्गियों में वैध बिजली और पानी के कनेक्शन तक दिए गए हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोगों से हाउस टैक्स भी वसूला गया है।



    अब सवाल उठता है:

    1. जब ये झुग्गियां अवैध थीं, तो उन्हें इतने सालों तक क्यों चलने दिया गया?
    2. जिन अधिकारियों की निगरानी में ये बसीं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?
    3. अगर कोर्ट के आदेश न होते, तो क्या ये झुग्गियां आज भी यूं ही चलती रहती?


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    कहाँ-कहाँ हुई है अब तक कार्रवाई?

    नीचे दी गई लिस्ट में दिल्ली के वो इलाके हैं जहां कार्रवाई हो चुकी है या आने वाले दिनों में प्रस्तावित है:

    अब तक कार्रवाई वाले प्रमुख इलाके:

    1. मद्रासी कैंप, कालकाजी
    2. भूमिहीन कैंप, कालकाजी
    3. बाटला हाउस के पास की बस्तियां


    📍 दक्षिणी दिल्ली की झुग्गी बस्तियों की सूची (जहां कार्रवाई प्रस्तावित/संभावित है)




    ⚠️ विशेष ध्यान देने योग्य बातें:

    1. कुल अनुमानित घरों की संख्या: लगभग 10,000+
    2. प्रमुख ज़मीन स्वामी संस्थाएं: DDA, ग्राम सभा, वन विभाग, UP सिंचाई, DUSIB
    3. ज्यादातर बस्तियों में दशकों से लोग रह रहे हैं और इनमें से कई के पास बिजली-पानी के वैध कनेक्शन भी हैं।


    एकतरफा कार्रवाई या वोट बैंक की राजनीति?

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली की झुग्गियों पर बुलडोजर की कार्रवाई सिर्फ कानून पालन नहीं, बल्कि सत्ता और वोट बैंक की रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है। कोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए भी सरकारें "चुनिंदा" तरीके से कार्रवाई कर रही हैं।

    मानवता का सवाल

    झुग्गी बस्तियों में रहने वाले अधिकांश लोग दिहाड़ी मज़दूर, घरेलू कामगार, रिक्शा चालक और छोटे दुकानदार हैं। इनकी जिंदगी पहले ही संघर्षों से भरी होती है। बिना पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवस्था के सीधे उजाड़ देना एक मानवीय संकट को जन्म देता है।


    निष्कर्ष:
    दिल्ली की यह बुलडोज़र नीति सिर्फ अवैध निर्माण हटाने की नहीं, बल्कि दशकों से बसे समुदायों को तोड़ने की प्रक्रिया बनती जा रही है। जहां एक ओर सरकार कोर्ट के आदेश का हवाला देती है, वहीं दूसरी ओर जनता पूछ रही है – जब हमने घर बनाए, टैक्स दिए, बिजली-पानी लिया – तब प्रशासन कहाँ था?

    ➡️ यह रिपोर्ट उन आवाज़ों को सामने लाने का प्रयास है जो अब मलबे के नीचे दब चुकी हैं। 


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