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    अमेरिका नई शीतयुद्ध शैली पाकिस्तान की ओर झुकाव ? भारत की चिंताएं बढ़ीं

    अमेरिका नई शीतयुद्ध शैली पाकिस्तान की ओर झुकाव ? भारत की चिंताएं बढ़ीं


    📍 नई दिल्ली | 11 जून 2025

    ✍️ रिपोर्ट: न्यूज एजेंसी 


    ✍️ नई दिल्ली।

    "ऑपरेशन सिंदूर" की रणनीतिक गूंज के बीच अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मोर्चे पर एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एक ओर भारत सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपना रहा है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका की नीतियों में अचानक बदलाव ने भारत की चिंताओं को गहरा कर दिया है।

    हाल के घंटों में अमेरिका की ओर से सामने आए तीन अहम घटनाक्रम ने यह संकेत दिए हैं कि अब शायद वाशिंगटन डीसी का झुकाव फिर से इस्लामाबाद की ओर हो रहा है।



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    🔴 तीन संकेत, एक चिंता

    1. पाकिस्तान को बताया "जबरदस्त साझेदार"

    अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने अमेरिकी हाउस कमिटी ऑन आर्म्ड सर्विसेज की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ एक "ताकतवर और असरदार साझेदार" बताया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने ISIS-K जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की है और अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण सूचनाएं साझा की हैं।

    2. पाक आर्मी चीफ को न्यौता

    14 जून को होने वाले अमेरिकी सैन्य दिवस परेड में पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया है। यह ऐसा दौर है जब पाक-अमेरिकी सैन्य रिश्ते पहले की तुलना में ठंडे पड़ चुके थे, ऐसे में यह न्यौता कई कूटनीतिक समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है।


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    3. कश्मीर में ट्रंप की "संभावित भूमिका"

    व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टैमी ब्रुस ने यह कहकर हलचल मचा दी कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया जानती है कि ट्रंप नामुमकिन को भी मुमकिन करने का माद्दा रखते हैं।”


     भारत की रणनीतिक चिंता: दोस्त की दोहरी नीति?

    भारत के लिए यह घटनाक्रम असहज करने वाले हैं। पाकिस्तान, जो पिछले तीन दशकों से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोपी रहा है, उसे लेकर अमेरिका की यह "नरम" होती स्थिति एक बार फिर से कूटनीतिक असंतुलन ला सकती है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच पाकिस्तान को एक रणनीतिक मोहरे की तरह देख रहा है। चीन के करीबी माने जाने वाले पाकिस्तान के साथ अमेरिका की यह "नजदीकी", भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को कमजोर कर सकती है।



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    🤝 क्या ट्रंप वाकई कश्मीर मसले में मध्यस्थ बनेंगे?

    कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानने की नीति में यदि अमेरिका बदलाव करता है, तो यह भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांतों पर सीधा प्रहार माना जाएगा। ट्रंप की शैली भले ही "डील मेकर" की हो, लेकिन दक्षिण एशिया की संवेदनशीलता को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है।


    नई दुनिया, नई चालें

    "ऑपरेशन सिंदूर" जहां भारत की सैन्य ताकत और संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक बन चुका है, वहीं अमेरिका की यह रणनीतिक चालें एक "नई शीतयुद्ध शैली" का हिस्सा नजर आ रही हैं — जहां हर मोहरा किसी न किसी सुपरपावर की रणनीति का हिस्सा बनता है।

    भारत के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अपनी विदेश नीति को और अधिक संतुलित बनाए और अपने पारंपरिक मित्रों को इस बात का अहसास दिलाए कि कूटनीतिक समर्थन सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, विचारों के मंच पर भी जरूरी होता है। 


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