वैंकूवर में खालिस्तान समर्थकों की गुंडागर्दी: कनाडाई पत्रकार पर हमला, भारत-विरोधी नारे और हिंसा की खुली वकालत
🖊 रिपोर्ट: एएनआई | स्थान: वैंकूवर, कनाडा
कनाडा में खालिस्तानी उग्रवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वैंकूवर में एक कनाडाई खोजी पत्रकार मोचा बेजीर्गन के साथ जो हुआ, वह सिर्फ प्रेस की आज़ादी पर हमला नहीं, बल्कि हिंसा और उग्रवाद के प्रति बढ़ती सहनशीलता का चिंताजनक संकेत है।
बेजीर्गन ने बताया कि जब वे खालिस्तान समर्थकों की एक रैली को कवर कर रहे थे, तो उन्हें घेर लिया गया, धमकाया गया और उनका फोन छीनने की कोशिश की गई। उन्होंने इस अनुभव को “झकझोर देने वाला” बताया और कहा, “घटना के दो घंटे बाद भी मैं कांप रहा हूं।”
🎥 पत्रकार पर हमला, कैमरे बंद कराने की कोशिश
बेजीर्गन उस समय वैंकूवर के डाउनटाउन इलाके में खालिस्तान समर्थकों की रैली की वीडियो बना रहे थे। तभी दर्जनों लोगों ने उन्हें घेर लिया और रिकॉर्डिंग रोकने को मजबूर किया।उन्होंने कहा:
“उन्होंने गुंडों की तरह व्यवहार किया, मुझे डराया, धमकाया और कहा कि यहां रिपोर्टिंग मत करो।"
यह घटना न केवल पत्रकार की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि कैनेडियन समाज में कट्टरपंथी तत्वों के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करती है।
🔥 हिंसा की तारीफ, भारत विरोधी बातें और पीएम मोदी पर बयान
बेजीर्गन ने कहा कि उन्होंने खुद देखा कि ये लोग:
इंदिरा गांधी के हत्यारों की तारीफ कर रहे थे
नरेंद्र मोदी की राजनीति को खत्म करने की बातें कर रहे थे
खुलेआम हिंसा को आज़ादी की लड़ाई का नाम दे रहे थे
उन्होंने कहा:
“मैंने पूछा, क्या आप मोदी की सियासत को उसी तरह खत्म करना चाहते हैं जैसे इंदिरा गांधी की की गई थी?”
“तो उन्होंने कहा: हां, हम उन्हीं के वारिस हैं।”
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🧠 सिख्स फॉर जस्टिस और विश्व सिख संगठन पर आरोप
बेजीर्गन ने आरोप लगाया कि यह रैली ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) नामक संगठन द्वारा आयोजित की गई थी।
उन्होंने कहा कि SFJ बार-बार अलग-अलग देशों में यही चेहरा पेश करता है
रैलियों में वही चेहरे होते हैं — अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा या न्यूज़ीलैंड
विश्व सिख संगठन जैसे राजनीतिक कवर देने वाले संगठन इस आग को हवा दे रहे हैं
⚠️ पत्रकार की चेतावनी: “हकीकत से मुंह मोड़ना ख़तरनाक होगा”
मोचा बेजीर्गन ने कनाडाई सरकार और समाज को सचेत करते हुए कहा:
“यह केवल सियासत नहीं, यह एक संगठित रणनीति है – हिंसा को वैध ठहराने की।”
“भारत और कनाडा के बीच तनाव भले ही कूटनीतिक हो, लेकिन जमीन पर जो हो रहा है, वह असहनीय है।”
📌 अब खालिस्तानी एजेंडा सिर्फ भारत नहीं, कनाडा के लिए भी खतरा
यह घटना बताती है कि खालिस्तान समर्थक केवल भारत-विरोधी नहीं, अब कैनेडा के लोकतंत्र, प्रेस और समाजिक ताने-बाने के लिए भी चुनौती बनते जा रहे हैं। मोचा बेजीर्गन जैसे पत्रकार जब अपनी जान जोखिम में डालकर सच सामने लाते हैं, तो जरूरी हो जाता है कि सरकारें और समाज आंखें बंद न करें।
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