आईआईटी पटना में फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर के 100 साल पूरे, संगोष्ठी में नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स व बायोसेंसर पर हुई चर्चा
बिहटा से कलीम की रिपोर्ट
पटना: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग और आईईईई इलेक्ट्रॉन डिवाइसेज़ सोसाइटी (ईडीएस) ब्रांच चैप्टर ने मिलकर फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (एफईटी) की खोज के 100 वर्ष पूरे होने पर एक विशेष लघु संगोष्ठी का आयोजन किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स जगत में इस ऐतिहासिक उपलब्धि के महत्व को रेखांकित करते हुए नई पीढ़ी को इसके वैज्ञानिक पहलुओं से अवगत कराना था।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. चेर मिंग टैन (निदेशक, क्रेस्ट, ताइवान), प्रो. सुबीर कुमार सरकार (कुलपति, टीजी यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश), प्रो. मनोज सक्सेना (दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ. पी. के. तिवारी (एसोसिएट डीन - छात्र मामले, आईआईटी पटना), डॉ. अनुप कुमार केशरी (एसोसिएट डीन - अनुसंधान एवं विकास, आईआईटी पटना) तथा डॉ. एस. शिवासुब्रमणि (प्रमुख, विद्युत अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी पटना) के दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई।
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🎂 एफईटी के 100 साल: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
इस अवसर पर फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मृति केक भी काटा गया। संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. पी. के. तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
💡 नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स और बायोसेंसर पर विशेषज्ञों ने साझा किए विचार
मुख्य वक्ता प्रो. चेर मिंग टैन ने नैनोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ में हो रही प्रगति, वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर गहन विचार रखे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एकीकृत सर्किट इंटरकनेक्ट्स के लिए 3डी आधारित इलेक्ट्रोमाइग्रेशन मॉडल्स की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है।
इसके अलावा, प्रो. सुबीर कुमार सरकार ने बायोसेंसर तकनीक की भूमिका पर विस्तार से बताया, जो आज स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर पर्यावरण निगरानी तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वहीं प्रो. मनोज सक्सेना ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए प्रतिभागियों को प्रेरित किया।
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🤝 छात्र समन्वयकों की सराहनीय भूमिका
इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी को सफल बनाने में अशरफ मणियार, पुष्प राज, सुबीर दास, साई शिरोव काटा, और प्रीति सिन्हा जैसे छात्र समन्वयकों का योगदान उल्लेखनीय रहा।
🌟 इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान को मिला नया आयाम
इस संगोष्ठी के जरिए न केवल एफईटी के 100 साल पूरे होने का उत्सव मनाया गया, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स और नैनोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को लेकर प्रतिभागियों के बीच गहराई से जागरूकता भी पैदा की गई।
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