पुरी जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित जोड़ों का प्रवेश क्यों वर्जित है? जानें राधा रानी के श्राप से जुड़ी यह रहस्यमयी कथा
पुरी जगन्नाथ मंदिर: श्रद्धा, परंपरा और रहस्यमय मान्यता का संगम
📢 रिपोर्ट: वी न्यूज 24
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पुरी (ओडिशा): भारत के प्रमुख चार धामों में शामिल ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि आस्था और रहस्यों का अद्भुत संगम भी है। हर वर्ष आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भव्य रथ यात्रा निकलती है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
इस वर्ष यह पवित्र यात्रा 27 जून 2025 से आरंभ हो रही है। इसी अवसर पर जानते हैं एक ऐसे नियम के बारे में, जिसने श्रद्धालुओं को वर्षों से हैरान किया है – अविवाहित जोड़ों का मंदिर में प्रवेश निषेध।
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क्यों नहीं जा सकते अविवाहित जोड़े एक साथ जगन्नाथ मंदिर?
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अविवाहित प्रेमी जोड़ों या सगाई के बाद विवाह से पहले के जोड़ों को एकसाथ प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती। मंदिर प्रशासन और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई अविवाहित जोड़ा मंदिर में एकसाथ प्रवेश करता है, तो उनका विवाह नहीं हो पाता या उनका रिश्ता अधूरा रह जाता है।
राधारानी के श्राप से जुड़ा है यह रहस्य
इस मान्यता के पीछे एक पुरानी धार्मिक कथा है, जो सीधे राधा रानी और श्रीकृष्ण से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार राधा रानी, भगवान श्रीकृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप के दर्शन करने पुरी आईं। जैसे ही वह मंदिर में प्रवेश करने लगीं, वहां के पुजारियों ने उन्हें रोक दिया।
जब राधारानी ने कारण पूछा, तो उन्हें बताया गया कि,
"आप श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं, पत्नी नहीं। इस मंदिर में श्रीकृष्ण की पत्नियों को भी प्रवेश नहीं दिया जाता, इसलिए आप प्रवेश नहीं कर सकतीं।"
यह सुनकर राधा रानी बहुत आहत और क्रोधित हो गईं। उन्होंने श्राप दे दिया कि:
"आज के बाद इस मंदिर में कोई भी अविवाहित प्रेमी युगल प्रवेश नहीं कर सकेगा। अगर कोई करेगा, तो उसे अपने प्रेम का सुख कभी नहीं मिलेगा।"
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आस्था बनाम आधुनिकता: क्या यह सिर्फ मान्यता है?
यह नियम आज भी श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय है। कई लोग इसे सिर्फ एक आस्था और परंपरा मानते हैं, तो कुछ इसे अंधविश्वास भी कहते हैं। हालांकि, पुरी के स्थानीय लोग और कई श्रद्धालु आज भी इस मान्यता को मानते हुए ही मंदिर में दर्शन करते हैं।
🛕 जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: एक आध्यात्मिक अनुभव
इस साल 27 जून से शुरू हो रही रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ तीन रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। यह अवसर धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत विशेष होता है।
📌 डिस्क्लेमर:
प्रिय पाठक, यह लेख आपकी धार्मिक जानकारी और परंपराओं को साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और लोक मान्यताओं पर आधारित है। WE News 24 इसकी पुष्टि नहीं करता।
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