अमेरिका का ईरान पर बड़ा वार: फोरडो, नातांज, इस्फहान में गिरे 14 टन बंकर बस्टर, ट्रंप ने कहा- अब ईरान को मानना होगा
(WE News 24 Exclusive):
तेहरान/वॉशिंगटन/यरुशलम: इजरायल-ईरान युद्ध अपने 10वें दिन बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुँच चुका है। युद्ध में अब अमेरिका ने खुलकर एंट्री ले ली है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सीधा हमला बोल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका ने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से ईरान की फोरडो, नातांज और इस्फहान न्यूक्लियर साइट्स पर भारी-भरकम बंकर बस्टर बम गिराए।
14 टन वजनी बम से जमीन के अंदर बर्बादी
इन हमलों में करीब 30,000 पाउंड (लगभग 14 टन) वजनी MOP (Massive Ordnance Penetrator) बमों का इस्तेमाल हुआ। ये बम विशेष रूप से जमीन के सैकड़ों फीट नीचे बने बंकरों को तबाह करने के लिए बनाए जाते हैं। ईरान के फोरडो न्यूक्लियर प्लांट, जो कोम की पहाड़ियों में करीब 150 फीट नीचे स्थित है, को भी इन हमलों में निशाना बनाया गया।
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ट्रंप का आदेश: इंतजार नहीं, हमला करो
राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे पहले कहा था कि अमेरिका दो हफ्ते तक ईरान पर कार्रवाई नहीं करेगा, लेकिन 21-22 जून की आधी रात को हालात बदल गए। ट्रंप ने अप्रत्याशित रूप से हमले का आदेश दिया और B-2 स्टील्थ विमानों ने कार्रवाई शुरू कर दी। उनके अनुसार, "ईरान की परमाणु क्षमता को खत्म करना ही मकसद है, ताकि वह बातचीत की मेज पर लौटे। यदि जवाबी हमला हुआ, तो विनाश निश्चित होगा।"
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इजरायल की पुरानी मांग, अब हुई पूरी
इजरायल लगातार मांग कर रहा था कि फोरडो जैसे गहरे बंकरों में बने न्यूक्लियर संयंत्रों को खत्म करने के लिए अमेरिका के पास मौजूद MOP बम और B-2 बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल किया जाए। उसकी डेविड स्लिंग, आयरन डोम और एरो डिफेंस सिस्टम युद्ध में थक चुके हैं और मिसाइल स्टॉक भी कम होता जा रहा है। इस हमले से ईरान की सेंट्रीफ्यूज क्षमता को बड़ा झटका लगा है।
क्या और भड़केगा युद्ध?
ईरान ने हमले के तुरंत बाद अमेरिका के एयरबेस और गठबंधन के ठिकानों पर जवाबी हमलों की चेतावनी दी है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिका के युद्धपोत USS Nimitz और USS Carl Vinson पहले ही मध्य पूर्व में तैनात हो चुके हैं। युद्ध अब एक वैश्विक संघर्ष में बदलता दिखाई दे रहा है।
ईरान, इजरायल और अब अमेरिका — तीन बड़ी ताकतें एक खतरनाक युद्ध में आमने-सामने हैं। न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका का हमला इस संघर्ष को नई ऊँचाइयों पर ले गया है। अब दुनिया की नजर इस पर टिकी है कि क्या ईरान बातचीत का रास्ता चुनेगा, या युद्ध और भड़क जाएगा?
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