Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    दिल्ली-एनसीआर में ओजोन प्रदूषण का कहर: हवा में ज़हर घुला, खतरे की घंटी बज चुकी है!

     .com/img/a/



    📰 वी न्यूज 24 डिजिटल स्पेशल रिपोर्ट



    नई दिल्ली :- हवा का यह रूप और भी ज़हरीला है – अब ओजोन बनी सबसे बड़ी चिंता दिल्ली-NCR की हवा में इस बार जो ज़हर घुला है, वह दिखता नहीं—but महसूस जरूर होता है। अब तक PM 2.5 और धूल को लेकर चर्चाएं होती थीं, लेकिन गर्मी 2025 में असली दुश्मन बनी है ग्राउंड-लेवल ओजोन।

    CSE (Centre for Science and Environment) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में हर दिन औसतन 14.2 घंटे तक ओजोन का स्तर मानक से ऊपर रहा, जो पिछले साल से भी ज्यादा है। एनसीआर में यह अवधि बढ़कर 15 घंटे तक पहुंच गई। यह न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि एक साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी का संकेत भी है।


    ये भी पढ़े-हर साल की वही कहानी: बारिश में डूबी दिल्ली, जाम-जलभराव से बेहाल – बीजेपी के वादों की सरकार फेल!


    कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित?

    दिल्ली: नेहरू नगर, ओखला, अशोक विहार, आया नगर, नजफगढ़ और वज़ीरपुर

    नोएडा: सेक्टर 62, सेक्टर 125

    गाजियाबाद: वसुंधरा (48 दिन लगातार मानक से ऊपर), लोनी

    गुरुग्राम: ग्वाल पहाड़ी – जहां रात में भी खतरनाक स्तर दर्ज हुए


    👉 दिल्ली के CRRI-मथुरा रोड स्टेशन पर 19 मई को 472 माइक्रोग्राम/घनमीटर की रिकॉर्डिंग हुई – अब तक की सबसे ऊंची।


    ओजोन प्रदूषण: क्यों है यह सबसे खतरनाक?

    "ओजोन सीधे उत्सर्जित नहीं होती, बल्कि NOx, VOCs और CO जैसी गैसों के सूरज की रोशनी से रासायनिक प्रतिक्रिया के बाद बनती है।"


    ये भी पढ़े-नाम है मोजतबा... खामेनेई का बेटा अचानक चर्चा में क्यों? ट्रंप के बयान पर एक्टिव हुआ 'ईरान का भविष्य'



    🚗 उत्सर्जन स्रोत: वाहन, बिजली संयंत्र, इंडस्ट्रियल यूनिट्स


    🧠 प्रभाव: श्वसन तंत्र को नुकसान, संक्रमण की आशंका, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को बढ़ावा

    👶 ज़्यादा असर किन पर?: बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग

    🌙 खतरा दिन-रात का: अब रात के समय भी ओजोन स्तर खतरनाक बना रहता है, जो जैविक रिकवरी प्रोसेस को बाधित करता है


    नीति में भारी चूक: ओजोन GRAP में शामिल नहीं!

    CSE की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने चिंता जताई कि:

    “25 मई से 11 जून के बीच 18 में से 12 दिन ओजोन प्रमुख प्रदूषक रही, लेकिन GRAP (Graded Response Action Plan) में इससे निपटने का कोई प्रावधान नहीं है।”

    यह लापरवाही नहीं, बल्कि नीति का खालीपन है। अगर CSE की सिफारिशों को नजरअंदाज किया गया, तो आने वाले महीनों में यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा में बदल सकता है।


    ये भी पढ़े-🛫 Air India की उड़ानों में लगातार तकनीकी खराबी: कोलकाता में इमरजेंसी लैंडिंग यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल


    क्या होना चाहिए अगला कदम? - CSE की सिफारिशें

    ओजोन को GRAP में तत्काल शामिल किया जाए

    क्लीन एयर एक्शन प्लान को बहु-प्रदूषक फ्रेमवर्क में अपडेट किया जाए

    इलेक्ट्रिक वाहन, स्वच्छ ईंधन, कचरा प्रबंधन और उद्योगों में ग्रीन टेक्नोलॉजी को अनिवार्य किया जाए

    क्षेत्रीय रणनीति बनें, क्योंकि ओजोन केवल शहरों तक सीमित नहीं—गांवों तक फैल रही है


    दिल्लीवासियों का सवाल: साफ हवा कब मिलेगी?

    जब हर साल प्रदूषण की पहचान बदल रही है, तो नीति क्यों नहीं बदल रही?

    क्या सरकारें सिर्फ सर्दी में प्रदूषण की चर्चा करती रहेंगी, और गर्मियों में चुप रहेंगी?

    अब वक्त है हवा को सांस लेने लायक बनाने का—not सिर्फ बातों से, बल्कि नीति, निगरानी और निष्पादन से।


    📌 वी न्यूज 24 डिजिटल डेस्क रिपोर्ट | विशेष पर्यावरण श्रृंखला 

    📲  वी न्यूज 24 को फॉलो करें और हर खबर से रहें अपडेट!

    👉 ताज़ा खबरें, ग्राउंड रिपोर्टिंग, और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जुड़ें हमारे साथ।

    🆆🅴🅽🅴🆆🆂 24 डिजिटल डेस्क

    .com/img/a/ .com/img/a/ .com/img/a/ .com/img/a/ .com/img/a/ 



    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728