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    नाम है मोजतबा... खामेनेई का बेटा अचानक चर्चा में क्यों? ट्रंप के बयान पर एक्टिव हुआ 'ईरान का भविष्य'

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    नई दिल्ली | We News 24 विशेष रिपोर्ट

     ईरान की राजनीति में आजकल हर नज़रें एक ही नाम पर टिकी हैं—मोजतबा खामेनेई। 35 साल से देश पर राज कर रहे अयातुल्ला खामेनेई के बेटे मोजतबा की चर्चा क्यों तेज हो रही है? और यह सब ईरान के भविष्य को कैसे प्रभावित कर सकता है? आइए, इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं।


    खामेनेई की सत्ता और हाल का तनाव

    अयातुल्ला अली खामेनेई, जो 1989 से ईरान के सर्वोच्च नेता हैं, ने सत्ता का पूरा नियंत्रण सेना, न्यायपालिका, मीडिया और काउंसिल्स में रखा है। पिछले कुछ समय से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान पर दबाव बढ़ रहा है—इजरायल और अमेरिका ने खुलेआम मोर्चा खोल दिया है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि खामेनेई की हत्या से संघर्ष खत्म हो सकता है, जबकि रक्षा मंत्री ने कह दिया कि उनका हश्र सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि वे खामेनेई को मार सकते हैं, पर फिलहाल ऐसा नहीं कर रहे।



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    अचानक चर्चा में आया मोजतबा खामेनेई

    इन सबके बीच, खामेनेई का बेटा मोजतबा खामेनेई अचानक ही सुर्खियों में आ गया है। समर्थक उसे ईरान का भविष्य मान रहे हैं। 1969 में जन्मे मोजतबा, ईरान की सत्ता के गलियारों में पहले से ही गहरी पैठ रखते हैं। उन्होंने ईरान-इराक युद्ध के अंतिम चरण में हिस्सा लिया और अब वे एक मध्यम स्तर के मौलवी हैं। उनका प्रभाव इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और धार्मिक सत्ता केंद्रों दोनों में है। जानकारों का मानना है कि यदि खामेनेई की सत्ता किसी वजह से खत्म होती है, तो मोजतबा ही प्रमुख दावेदार हो सकते हैं।


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    दूसरे नाम: अलीरेजा अराफी और अन्य

    मोजतबा के अलावा, अलीरेजा अराफी भी उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते हैं। वे खामेनेई के करीबी हैं और कई अहम पदों पर हैं, जैसे असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के डिप्टी चेयरमैन और गार्डियन काउंसिल के सदस्य। इसके अलावा, अली असघर हेजाजी और घोलाम हुसैन मोहसनी एजई जैसे नाम भी चर्चा में हैं, जो प्रमुख सुरक्षा और राजनीतिक पदों पर हैं।


    अगला नेता कैसे चुना जाएगा?

    ईरान में नया सर्वोच्च नेता चुनने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय है। यह जिम्मेदारी असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स की है, जिसमें 88 वरिष्ठ मौलवी होते हैं। ये सदस्य जनता द्वारा चुने जाते हैं, लेकिन गार्डियन काउंसिल से अनुमोदन जरूरी है। चयन के समय, एक बंद कमरे में बैठक होती है और बहुमत यानी कम से कम 45 वोट पाने वाले उम्मीदवार ही पद पर आ सकते हैं। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, इसलिए तब्दीलियों का अंदाजा लगाना आसान नहीं है।



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    क्या आगे ईरान का रास्ता कैसा होगा?

    आखिरकार, देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि खामेनेई की सत्ता में आखिर कब तक बने रहेंगे और उनके उत्तराधिकारी कौन होंगे। मोजतबा खामेनेई की चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति-संघर्ष के बीच ईरान का अगला कदम क्या होगा, यह पूरे क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।


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