क्या वाकई बदलेगा बिहार का भाग्य? पीएम मोदी के विकास वादे, नीतीश कुमार की विरासत और प्रशांत किशोर की चुनौती पर एक सटीक विश्लेषण
📰 वी न्यूज 24 | विशेष राजनीतिक रिपोर्ट
✍️ लेख: दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
“बिहार को फिर से बनाना है महान” – प्रधानमंत्री मोदी की गर्जना, लेकिन सवाल वही पुराना: क्या वाकई कुछ बदला है? 20 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार के सिवान पहुंचे। मौके पर 5900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन हुआ। मंच पर बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा और चिराग पासवान जैसे एनडीए सहयोगी मौजूद थे।
लेकिन जनता के मन में एक ही सवाल बार-बार गूंज रहा है —
👉 क्या इन वादों और शिलान्यासों से बिहार का भाग्य बदलेगा, या फिर यह वही पुरानी कहानी है जो हर चुनाव से पहले दोहराई जाती है?
📈 नीतीश कुमार के शासन में बिहार: विकास या ठहराव?
नीतीश कुमार का कार्यकाल सड़क, शिक्षा, बिजली और कानून व्यवस्था के नाम पर खूब सराहा गया, लेकिन बीते कुछ वर्षों में बिहार:
उद्योगों में पिछड़ा
युवा बेरोजगारी के रिकॉर्ड स्तर पर
कामगारों का पलायन बना स्थायी तस्वीर
👉 बिहार का ग्राफ स्थिर तो रहा, लेकिन आर्थिक इंजन तेज़ नहीं हो पाया।
🔁 राजनीति की पेचीदगियां: गठबंधन बनाम तकरार
कभी आरजेडी के साथ, कभी बीजेपी के साथ, फिर उससे दूरी — नीतीश कुमार ने सत्ता बनाए रखने के लिए गठबंधन बदले,
वहीं, पीएम मोदी कभी नीतीश की तारीफ करते हैं, कभी जेडीयू को घेरते हैं।
इससे जनता में ये धारणा बनी है कि “राजनीति विकास से ज़्यादा कुर्सी का खेल बन गई है”।
🔥 पीएम मोदी के हमले: लालटेन और पंजे पर निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने सिवान की जनसभा में कहा:
“पंजे और लालटेन वालों ने बिहार को पलायन का प्रतीक बना दिया था। माफियाराज, गुंडाराज, भ्रष्टाचार — यही उनकी पहचान रही है।”
उन्होंने जंगलराज, पिछड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और बेरोजगारी के लिए आरजेडी-कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया और एनडीए को विकास की गारंटी बताया।
🏗️ पीएम मोदी की घोषणाएं: आंकड़ों में देखें तो वाकई बहुत कुछ किया गया है
55,000 किमी ग्रामीण सड़कें बनीं
1.5 करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन
1.5 करोड़ घरों को पानी कनेक्शन
नई रेल लाइनें, STP प्रोजेक्ट्स, वंदे भारत ट्रेन — ये घोषणाएं ज़मीन पर असर डाल सकती हैं
लेकिन सवाल है —
👉 क्या ये योजनाएं केवल आंकड़ों तक सीमित हैं या इनका असर गांव, कस्बों और युवाओं की ज़िंदगी में साफ दिखाई दे रहा है?
🧠 प्रशांत किशोर की पार्टी: विकल्प या शोर?
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर भी बिहार की ज़मीन पर सक्रिय हैं।
जनसंपर्क, गांवों की यात्रा और लोकनीति आंदोलन के ज़रिए वे जनता से सीधे जुड़ रहे हैं।
लेकिन फिलहाल उनकी पार्टी संगठनात्मक स्तर और जनाधार दोनों में चुनौती का सामना कर रही है।
👉 क्या पीके बिहार को एक वैकल्पिक राजनीति दे पाएंगे या फिर वे भी चुनावी शोर में खो जाएंगे?
📢 वी न्यूज 24 की राय:
बिहार का भविष्य केवल शिलान्यास और नारों से नहीं, ईमानदार क्रियान्वयन, जवाबदेही और स्थिर नीति से बदलेगा।
पीएम मोदी की कोशिशें दिखती हैं, नीतीश कुमार की पहचान अभी भी प्रशासनिक समझ में है, लेकिन जनता अब परिणाम देखना चाहती है, घोषणाएं नहीं।
2025 के विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता तय करेगी कि उसे अनुभव चाहिए, प्रयोग चाहिए या परिवर्तन।
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