🛑 “सवाल राजनीति से नहीं, जवाबदेही से है” — दिल्ली के महरौली में शिक्षक विवेक जोशी का अनशन तीसरे दिन भी जारी
📰 वी न्यूज 24 | जमीनी हकीकत की रिपोर्ट
✍️ लेख: दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
राजधानी दिल्ली के महरौली थाने के पास स्थित कालूराम चौक पर एक युवक तीन दिन से अनशन पर बैठा है। उनका नाम है पं. विवेक जोशी—एक शिक्षक, समाजसेवी और जिम्मेदार नागरिक।
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि यह अनशन किसी पार्टी, धर्म, जाति या नेता के खिलाफ नहीं है — यह बिना राजनीतिक रंग के, सिर्फ़ समाज के लिए न्याय की मांग है।
📚 क्यों बैठे हैं विवेक जोशी अनशन पर?
“किसी पार्टी से शिकायत नहीं, न विधायक से न सांसद से। सवाल बस इतना है—1500 बच्चों के लिए पक्का स्कूल क्यों नहीं?”
— विवेक जोशी
महरौली में स्थित एक सरकारी स्कूल (कुतुब मीनार के सामने), जिसमें करीब 1400–1500 बच्चे पढ़ते हैं, आज भी टेम्परेरी शेल्टर में चल रहा है।
शिक्षा विभाग की दलील है: "ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से अनुमति नहीं मिलती।"
लेकिन सवाल उठता है कि स्कूल के बगल में रेस्टोरेंट, बार, पब, शोरूम और निजी भवन कैसे बन रहे हैं?
🚽 स्कूल की जमीनी हकीकत:
1500 बच्चे
सिर्फ 6 टॉयलेट्स
मात्र 1 कंप्यूटर
टेम्परेरी टीन की छत, गर्मियों में आग सी तपिश
बारिश में जलभराव और बच्चों की जान का जोखिम
सवाल यह है कि निर्वाचन आयोग का दफ्तर तो उसी भवन में पक्का बना है, तो फिर बच्चों के स्कूल के लिए नियम क्यों बदल जाते हैं?
🏛️ किसकी जिम्मेदारी बनती है?
➤ स्थानीय पार्षद (नगर निगम):
क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की ज़िम्मेदारी सीधा MCD की है। क्या पार्षद ने कभी इस स्कूल का स्थायी समाधान मांगा?
➤ विधायक (दिल्ली विधानसभा):
शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं विधानसभा के दायरे में आती हैं। क्या विधायक ने स्कूल का दौरा किया?
➤ सांसद (लोकसभा):
अगर ASI बाधा है, तो केंद्र सरकार के सांसद की भूमिका अहम है। क्या इस पर लोकसभा में आवाज उठी?
➤ शिक्षा विभाग:
क्या केवल कागज़ी फाइलों में योजना बनाई जा रही है? क्या ज़मीनी हकीकत देखी गई है?
🏗️ मुद्दे सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं हैं
महरौली क्षेत्र में अवैध एंक्रोचमेंट,
सड़क किनारे कब्जे,
नालों की सफाई न होना,
और प्रशासनिक लापरवाही भी विवेक जोशी के अनशन का हिस्सा हैं।
🧍♂️ "ट्रिपल इंजन सरकार" पर तंज, लेकिन मांगें गैर-राजनीतिक
विवेक जोशी ने कहा:
“पहले AAP थी, अब BJP की ट्रिपल इंजन सरकार है—केंद्र, MCD और LG—फिर भी ज़मीनी समस्याएं जस की तस हैं।”
उनका कहना है कि ये अनशन किसी पार्टी के खिलाफ नहीं, संवेदनशील प्रशासन की मांग है।
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🧠 वी न्यूज 24 की राय:
जब एक शिक्षक को अनशन पर बैठना पड़े ताकि 1500 बच्चों को पक्की छत और टॉयलेट मिल सके—ये सिर्फ व्यवस्था की विफलता नहीं, समाज की भी उदासीनता है।
अब सवाल सत्ता से नहीं, संवेदनशीलता से है।
क्या हम इतने असंवेदनशील हो चुके हैं कि बच्चों के लिए भी आवाज उठानी पड़े?
📢 रिपोर्ट: दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार | वी न्यूज 24
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