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    🛢️ "तेल का खेल" : अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद किया तो क्या होगा? जानिए पूरी सच्चाई

    अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद किया तो क्या होगा? जानिए पूरी सच्चाई


    ✍️ काजल कुमारी  | We News 24 | विशेष रिपोर्ट


    यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था एक अजीब मोड़ पर खड़ी है —जहां तेल सिर्फ ईंधन नहीं, बल्कि राजनीतिक हथियार बन गया है।अब अमेरिका और NATO ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों — खासकर भारत, चीन और ब्राज़ील — को साफ चेतावनी दी है:

    "अगर रूस से तेल खरीदा, तो 100% तक टैक्स (Secondary Tariff) झेलना पड़ेगा।"


    लेकिन सवाल ये है:

    👉 अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो क्या हमारी अर्थव्यवस्था टिक पाएगी?

    👉 क्या ये सिर्फ ट्रंप की एक रणनीतिक धमकी है या आने वाले संकट की आहट?


    आइए जानते हैं इस “तेल के खेल” की पूरी कहानी।



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    🛢️ भारत क्यों खरीद रहा है रूसी तेल?

    जब 2022 में यूक्रेन पर हमला हुआ, तो पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीद बंद कर दी।

    भारत ने मौका भांपा — और सस्ते दामों में रूस से तेल खरीदना शुरू किया।

    इससे भारत ने महंगाई को कंट्रोल में रखा और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखा।

    📊 भारत की तेल खपत में 85% हिस्सा आयातित है, और आज रूस अकेले 33-35% तेल की सप्लाई कर रहा है।

    वित्त वर्ष 2021-22 में ये हिस्सा सिर्फ 2.1% था।


    🔥 अब क्या कह रही है अमेरिका और NATO?

    नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि रूस से व्यापार जारी रखने पर

    भारत, चीन, ब्राजील जैसे देशों पर सेकेंडरी सैंक्शन लगाए जा सकते हैं।

    डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहाँ तक कहा है कि यदि रूस शांति समझौते पर नहीं आता,

    तो उसके तेल पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा — और उसका असर भारत पर भी पड़ेगा।

    भारत का जवाब: "घबराने की जरूरत नहीं"

    पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने साफ कहा:

    “भारत किसी धमकी से घबराता नहीं।

    तेल का बाजार अब भी स्थिर है और अगर जरूरत पड़ी तो हम उससे भी निपट लेंगे।”

    उनका यह भी कहना है:

    अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो क्रूड की कीमतें 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

    भारत की सस्ती खरीद ने ही दुनिया में तेल की कीमतों को स्थिर बनाए रखा है।


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    🤔 अगर भारत ने रूसी तेल लेना बंद किया तो क्या होगा?

    महंगाई बढ़ेगी: भारत की थाली से लेकर ट्रक के टायर तक, सब कुछ महंगा हो जाएगा।

    फ्यूल सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा: सरकार को भारी सब्सिडी देनी पड़ेगी।

    विकास दर पर असर: मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट और कृषि क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा।

    रुपया कमजोर हो सकता है, क्योंकि आयात बिल बढ़ेगा।


    🧠 क्या ट्रंप की धमकी सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?

    ET की रिपोर्ट के अनुसार, यह “100% टैरिफ” सिर्फ रूस पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।

    अमेरिका जानता है कि अगर भारत और चीन रूस से तेल खरीदना बंद कर दें,

    तो तेल की कीमतें बढ़ेंगी और अमेरिकी उपभोक्ताओं को झटका लगेगा।

    इसलिए हो सकता है ये धमकी असली सज़ा नहीं बल्कि वार्ताकार की चाल हो।


    🌍 क्या बाकी देश भी रूस से तेल ले रहे हैं?

    हाँ, बिल्कुल।

    देश रूस से तेल (%)

    चीन 47%

    भारत 38%

    EU 6%

    तुर्की 6%

    और रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई यूरोपीय देश अभी भी रूस का तेल खरीद रहे हैं — "तीसरे देशों" के जरिए।


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    🔚 क्या करेगा भारत?

    📌 भारत के सामने दो रास्ते हैं:

    या तो दबाव में आकर रूस से तेल खरीदना बंद करे,

    या राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देकर समझदारी से डिप्लोमेसी खेले।

    फिलहाल भारत का रुख साफ है —

    “हम अपने नागरिकों की आर्थिक सुरक्षा पहले देखेंगे, बाकी बात बाद में।”



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