📚 NCERT की नई किताब में जजिया, नरसंहार और मंदिर विध्वंस जैसे विषयों को मिली जगह, बाबर अकबर और औरंगजेब का स्याह पक्ष उजागर
We News 24 डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।
एनसीईआरटी ने आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की नई किताब "Exploring Society: India and Beyond" प्रकाशित की है, जिसमें भारत के मध्यकालीन इतिहास को नए दृष्टिकोण से पेश किया गया है।
➡️ इस बदलाव में खास बात यह है कि अकबर को ‘सहिष्णु लेकिन क्रूर’ और औरंगजेब को ‘कठोर सैन्य शासक’ के रूप में वर्णित किया गया है।
➡️ पुस्तक में मुगल, मराठा, राजपूत, सिख, आदिवासी और ब्रिटिश काल के इतिहास के उजले और स्याह दोनों पहलुओं को शामिल किया गया है।
🧾 क्या है नया बदलाव?
🔹 अकबर को एक तरफ ‘प्रशासकीय रूप से सुदृढ़ और सहिष्णु’, वहीं दूसरी ओर ‘निर्मम आक्रमणकारी’ बताया गया है।
🔹 चितौड़गढ़ में 30,000 नागरिकों के नरसंहार का भी उल्लेख किया गया है।
🔹 बाबर को "बर्बर और निर्मम विजेता" कहा गया है, जिसने शहरों की आबादी का कत्लेआम किया।
🔹 औरंगजेब पर टिप्पणी है कि उसने मंदिरों, गुरुद्वारों को तोड़ा और धार्मिक असहिष्णुता बढ़ाई।
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💡 जजिया कर और धार्मिक अपमान पर साफ व्याख्या
➡️ पहले जहां जजिया को एक प्रकार का लैंड टैक्स बताया जाता था, अब इसे एक ऐसा टैक्स बताया गया है जो गैर-मुस्लिमों को सामाजिक रूप से नीचा दिखाने और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का माध्यम था।
➡️ किताब में लिखा गया है कि कई सुल्तानों ने जजिया का उपयोग सैन्य सुरक्षा और छूट के बदले दबाव के रूप में किया।
🔎 इतिहास के ‘अंधकारमय’ पक्षों को भी शामिल किया गया
एनसीईआरटी ने कहा कि इस बार की किताबों में उन घटनाओं को भी शामिल किया गया है जिनसे पहले परहेज किया गया था — जैसे कि युद्ध, धार्मिक दमन, नरसंहार और प्रतिरोध।
➡️ किताब की शुरुआत “इतिहास के कुछ अंधकारमय काल पर टिप्पणी” नामक अध्याय से होती है।
🛕 विकल्प और प्रतिरोध की गाथा: शिवाजी से लेकर दुर्गावती तक
नई किताब में केवल शासकों की आलोचना नहीं बल्कि संस्कृति, वीरता और प्रतिरोध की भी चर्चा है:
🔹 छत्रपति शिवाजी महाराज को एक रणनीतिक और धर्मनिरपेक्ष नेता बताया गया है, जिन्होंने मंदिरों के पुनर्निर्माण में भूमिका निभाई।
🔹 रानी दुर्गावती, महाराणा प्रताप, अहिल्याबाई होल्कर, और अहोम शासकों का उल्लेख किया गया है।
🔹 भील, गोंड, कोच और संथाल जनजातियों द्वारा अपने क्षेत्रों में किए गए प्रतिरोध को प्रमुखता दी गई है।
🔹 जाट किसानों द्वारा मुगल अधिकारियों को मार गिराने की घटनाओं का भी विवरण है।
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🏛️ एनसीईआरटी और सरकार की सफाई: “इतिहास को निष्पक्ष रूप में समझें”
एनसीईआरटी के सामाजिक विज्ञान क्षेत्र प्रमुख मिशेल डैनिनो ने कहा:
"हमने किसी को विलिफाई (दुष्प्रचार) नहीं किया है, बल्कि छात्रों को इतिहास के हर पहलू से परिचित कराने की कोशिश की है।"
केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने लखनऊ में मीडिया से कहा:
“मुगलों ने हम पर शासन किया, यह तथ्य है। नई पीढ़ी को सच्चाई जाननी चाहिए। यही इतिहास की ईमानदार व्याख्या है।”
📘 7वीं से हटाकर 8वीं में शिफ्ट: 2023 की NCF सिफारिशों के अनुरूप बदलाव
➡️ एनसीईआरटी ने यह भी स्पष्ट किया कि मध्यकालीन भारत का इतिहास अब सातवीं से हटाकर आठवीं कक्षा में पढ़ाया जाएगा।
➡️ यह बदलाव 2023 के नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) की सिफारिशों के अनुसार किया गया है।
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🧠 विश्लेषण: इतिहास केवल महिमामंडन नहीं, शिक्षण का साधन है
➡️ यह बदलाव केवल राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब भारतीय शिक्षा व्यवस्था छात्रों को अधिक व्यावहारिक और संतुलित इतिहास पढ़ाना चाहती है, जिसमें अच्छे-बुरे दोनों पहलुओं को समझना शामिल हो।
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