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    राहुल गांधी और नागरिकता का सवाल: क्या लोकतंत्र की जड़ें हिलने वाली हैं?

    राहुल गांधी और नागरिकता का सवाल: क्या लोकतंत्र की जड़ें हिलने वाली हैं?


    ✍️ दीपक कुमार | We News 24


    🔍 विवाद की जड़ में क्या है?

    नई दिल्ली :- भारत की राजनीति में जब-जब कोई बड़ा मोड़ आता है, कुछ सवाल फिर से उठ खड़े होते हैं। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर छिड़ा विवाद अब महज एक कानूनी लड़ाई नहीं रहा — ये मामला देश के लोकतंत्र, संसद की गरिमा और आम नागरिकों के भरोसे का सवाल बन चुका है।

    कर्नाटक के वकील और बीजेपी कार्यकर्ता एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि राहुल गांधी ने एक ब्रिटिश कंपनी Backops Limited के डायरेक्टर पद पर रहते हुए खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया था।



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    ब्रिटिश सरकार ने राहुल गांधी से संबंधित नागरिकता और पासपोर्ट दस्तावेजों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय को सौंप दिया है — यह कार्रवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के निर्देश के बाद की गई है, जिससे यह विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।"


    ⚖️ कानून क्या कहता है?

    नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) बिल्कुल स्पष्ट है — यदि कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।

    यही नहीं, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84(ए) के तहत, संसद सदस्य बनने के लिए भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।

    अगर यह साबित होता है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता थी, तो यह न केवल उनकी लोकसभा सदस्यता को खत्म कर सकता है, बल्कि भविष्य में किसी भी चुनाव में हिस्सा लेने से भी रोक सकता है।


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    🧠 पर क्या सिर्फ दस्तावेज़ ही काफी हैं?

    यहां एक सवाल उठता है — क्या सिर्फ एक कंपनी फॉर्म में "ब्रिटिश" लिख देना किसी को ब्रिटिश नागरिक बना देता है?

    ब्रिटेन में नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक औपचारिक शपथ ग्रहण समारोह (Oath Ceremony) अनिवार्य होता है। अब तक ऐसे किसी समारोह का कोई सार्वजनिक या रिकॉर्डेड प्रमाण सामने नहीं आया है। यही वजह है कि कानूनी विशेषज्ञ भी कह रहे हैं — सबूतों की गंभीरता कोर्ट तय करेगी।


    🤔 इंसान के तौर पर राहुल गांधी को कैसे देखे?

    राहुल गांधी एक ऐसा नाम है जो एक तरफ कांग्रेस की राजनीति की धुरी रहा है, तो दूसरी तरफ कटु आलोचना का केंद्र भी। उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और परदादा जवाहरलाल नेहरू — ये सभी प्रधानमंत्री रह चुके हैं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि में उन पर भरोसे और संदेह — दोनों की विरासत चली आ रही है। लेकिन अगर यह साबित हो जाता है कि उन्होंने सच छिपाया, तो यह न सिर्फ एक नैतिक विफलता होगी, बल्कि यह लोकतंत्र के प्रति धोखा माना जाएगा।


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    📆 अब आगे क्या?

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच इस मामले की अगली सुनवाई में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल रिपोर्ट को देखेगी। अगर सरकार के पास ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजे गए दस्तावेज़ ठोस प्रमाण सिद्ध होते हैं, तो यह न केवल राहुल गांधी के लिए, बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए ऐतिहासिक मोड़ होगा।


    ✨ निष्कर्ष: सिर्फ राहुल नहीं, लोकतंत्र कटघरे में है

    आज सवाल सिर्फ एक नेता की नागरिकता का नहीं है — सवाल है कि क्या हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां सच-झूठ की लड़ाई कोर्ट में नहीं, सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है?

    क्या हर राजनीतिक आरोप का नतीजा सिर्फ छवि ध्वस्त करना भर रह गया है?


    राहुल गांधी दोषी हों या निर्दोष — देश की जनता को सच जानने का अधिकार है, और इस सच तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी न्यायपालिका और सरकार दोनों की है। 

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