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    🛑"विश्वगुरु भारत में पुल, स्कूल, अस्पताल गिरते हैं, लेकिन कलेक्टर, सांसद, और मंत्री का ऑफिस कभी नहीं गिरता – क्यों?"

    🛑"विश्वगुरु भारत में पुल, स्कूल, अस्पताल गिरते हैं, लेकिन कलेक्टर, सांसद, और मंत्री का ऑफिस कभी नहीं गिरता – क्यों?"



    "स्कूल गिरा, सपने दफन हुए – लेकिन सरकार अब भी स्थिर है!"

    ✍️ दीपक कुमार | We News 24 | राजस्थान/नई दिल्ली

     

    नई दिल्ली :- "विश्व गुरु बनने चले भारत का दुर्भाग्य देखिए — यहां स्कूल की छत पहले गिरती है, नेता का बंगला नहीं।"कोटा ज़िले के एक सरकारी स्कूल में बच्चों की पढ़ाई जारी थी, तभी सरकारी व्यवस्था की छत उनके सिर पर टूट पड़ी। कई मासूम ज़िंदगियाँ मलबे में दफन हो गईं — और अब सवाल उठता है: क्या सिर्फ स्कूल की दीवारें इतनी कमजोर होती हैं, या हमारी नीयत, निगरानी और व्यवस्था भी?राजस्थान के कोटा ज़िले में एक सरकारी स्कूल की छत ढहने से मासूम बच्चों की जान चली गई। ये सिर्फ एक दीवार नहीं गिरी, ये भरोसा गिरा है – उस सिस्टम से जो बच्चों के भविष्य को बचाने का दावा करता है, लेकिन उनके सिर से छत ही छीन लेता है।



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    🔴 सवाल पूछती है ये मौत:

    • क्या इन बच्चों की मौत महज एक ‘दुर्घटना’ है, या यह सिस्टम की 'हत्यारी चुप्पी' है?
    • क्या इनकी ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं?
    • जब सरकार संसद भवन से लेकर वीआईपी आवास तक नई बिल्डिंगें बना सकती है, तो सरकारी स्कूलों की छतें कब बनेंगी?

    🧱 स्कूल क्यों गिरते हैं, लेकिन संसद नहीं?

    हर साल देश में दर्जनों सरकारी स्कूलों की इमारतें या तो गिरती हैं या गिरने लायक होती हैं। इसके बावजूद फाइलें चलती रहती हैं, टेंडर पास होते रहते हैं, फर्जी मरम्मत होती रहती है – और बच्चे, शिक्षा, भविष्य… सब मिट्टी में दब जाते हैं।

    क्या आपने कभी सुना है कि किसी मंत्री का दफ्तर गिर गया हो?

    या किसी कलेक्टर ऑफिस की छत टूट गई हो?

    नहीं! क्योंकि वहां करोड़ों खर्च होते हैं।



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    💔 हमारे टैक्स का हिसाब कौन देगा?

    देश का आम आदमी टैक्स देता है ताकि स्कूल बने, अस्पताल चले, सड़कें बनें, पुलों से यात्रा हो। लेकिन इन सबसे पहले:

    • VIP के बंगले रिनोवेट होते हैं
    • मंत्रियों के लिए नई गाड़ियाँ आती हैं
    • अफसरों के AC दफ्तर चमकते हैं

    और गरीब बच्चे मिट्टी में दबकर मर जाते हैं।


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    ⚖️ क्या होगी भरपाई?

    सरकार मुआवजा देती है – मानो बच्चे की जान की कोई कीमत हो!
    क्या मुआवजे से वो किताबें लौटेंगी जो उन्होंने नहीं पढ़ी?

    क्या वो सपने लौटेंगे जो तान कर सो रहे थे?

    नहीं… लौटेगा तो बस वो भ्रष्ट सिस्टम जो हर हादसे के बाद थोड़ी देर के लिए “एक्शन मोड” में आता है, फिर वही ढर्रा।


    📢 ये सवाल हर भारतीय को पूछना चाहिए:

    🧨 क्यों गिरता है स्कूल, लेकिन कभी नहीं गिरता विधायक का बंगला?

    🧨 क्यों मरते हैं बच्चे, लेकिन मंत्री जी का पेट नहीं दुखता?

    🧨 आखिर कब तक हमारे बच्चों की लाशों पर प्रशासन आंख मूंदे रहेगा?


    🎯 सरकार से मांग:

    1. राजस्थान के सभी सरकारी स्कूलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट तत्काल कराया जाए।

    2. जिन अफसरों ने निर्माण कार्य की निगरानी में लापरवाही की, उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हो।

    3. स्कूली भवनों की सुरक्षा को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्लान में शामिल किया जाए।

    4. सरकारी भवनों की प्राथमिकता सूची में स्कूल और अस्पताल को पहले स्थान पर रखा जाए, न कि VIP सुविधाओं को।

     

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