सिमडेगा नगर परिषद दुकान आवंटन पर बड़ा सवाल ,करोड़ों वसूलने के बाद भी लॉटरी की तारीख पे तारीख
📌 मुख्य बिंदु
6.3 करोड़ रुपये की वसूली, महज 42 दुकानों के लिए तकरीबन 3000 आवेदन।
₹100 का फॉर्म ₹1000 में बेचा, हर आवेदक से ₹20,000 का डिमांड ड्राफ्ट।
दो बार लॉटरी टली, नगर परिषद ने खुद स्वीकारा फॉर्मों में त्रुटियाँ।
किराया ₹6000/माह, सिमडेगा के गरीब व्यापारियों के लिए असंभव।
प्रशासन चुप, जांच की मांग – न्यायिक जांच और पारदर्शी लॉटरी की अपील।
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🔍 क्या है पूरा मामला?
सिमडेगा नगर परिषद द्वारा G+1 न्यू मार्केट में 22 दुकानों के आवंटन के नाम पर 3000 आवेदकों से करोड़ों रुपये ऐंठे गए, लेकिन लॉटरी लगातार टाली जा रही है। आवेदन प्रक्रिया में अपारदर्शिता, गड़बड़ियाँ और गरीबों के साथ छल के सबूत सामने आए हैं।
📅 तारीखों का खेल: "त्रुटियाँ थीं, फिर भी लॉटरी की घोषणा क्यों?"
26 जून 2025: पहली लॉटरी तिथि घोषित, जबकि फॉर्म सुधार प्रक्रिया अधूरी थी।
24 जुलाई 2025: दूसरी तिथि घोषित, लेकिन 21 जुलाई को नोटिस जारी कर लॉटरी स्थगित।
नगर परिषद का बयान: "फॉर्मों में त्रुटियाँ हैं, अगले आदेश तक लॉटरी रोकी जाती है।"
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❓ सवाल:
अगर त्रुटियाँ पहले से थीं, तो दो बार लॉटरी की तिथि घोषित करने का छलावा क्यों किया गया?
क्या यह जानबूझकर जनता को भ्रमित करने की रणनीति थी?
💰 लूट का गणित: "₹100 का फॉर्म ₹1000 में, ₹20,000 का ड्राफ्ट"
कुल आवेदन: 3000 (जबकि दुकानें सिर्फ 42 दस दुकान आरक्षित ।
फॉर्म की कीमत: ₹100 (सरकारी नियम) vs ₹1000 (वसूला गया)।
डिमांड ड्राफ्ट: प्रति आवेदक ₹20,000।
कुल वसूली:
फॉर्म शुल्क: 3000 × ₹1000 = ₹30 लाख
ड्राफ्ट राशि: 3000 × ₹20,000 = ₹6 करोड़
कुल: ₹6.3 करोड़
⚠️ चिंता: यह राशि गरीब आवेदकों (मजदूर, छोटे व्यापारी) ने कर्ज लेकर जमा की, लेकिन लॉटरी अनिश्चितकाल के लिए टल गई।
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💸 किराए का अत्याचार: "सिमडेगा में ₹6000/माह कैसे भरेंगे गरीब?"
नगर परिषद द्वारा प्रस्तावित किराया: ₹4000–6000/माह।
तुलना: झारखंड के अन्य नगर निगमों में दुकान किराया ₹1000–3000/माह।
प्रभाव: छोटे व्यापारियों के लिए कर्ज़ का जाल, दुकान चलाना असंभव।
🕵️♂️ जिम्मेदार कौन? प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
नगर परिषद अध्यक्ष: आवंटन प्रक्रिया की निगरानी क्यों नहीं की?
कार्यपालक अधिकारी (EO): फॉर्म त्रुटियों और लॉटरी टालने का आदेश किसने दिया?
जिला प्रशासन: 6.3 करोड़ के घोटाले पर चुप्पी क्यों?
📣 We News 24 की मांग:
CAG/न्यायिक जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई।
पारदर्शी लॉटरी तुरंत कराई जाए।
वसूली की ऑडिट, गरीबों की जमा राशि वापसी।
किराया पुनर्निर्धारण, स्थानीय आय के अनुसार।
✊ निष्कर्ष: "गरीबों के साथ धोखा, अब सवालों का जवाब चाहिए"
यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा गरीबों के शोषण का उदाहरण है। सिमडेगा की जनता तारीखों के झूठ, लूट और अफसरशाही के खिलाफ आवाज़ उठा रही है। We News 24 इस मुद्दे को राज्य सरकार तक ले जाएगा, तब तक जब तक न्याय नहीं मिलता।
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(रिपोर्ट: दीपक कुमार | दस्तावेज़ी प्रमाण संलग्न)
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