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    🛕 क्या फिर माँ सीता उपेक्षित रहेंगी? सीतामढ़ी पुर्नौरा में शिलान्यास तो होगा, लेकिन नहीं आएंगे प्रधानमंत्री मोदी ?

    🛕 क्या फिर माँ सीता उपेक्षित रहेंगी? सीतामढ़ी पुर्नौरा में शिलान्यास तो होगा, लेकिन  नहीं आएंगे प्रधानमंत्री मोदी ?


    ✍️ वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार | सहयोगी रिपोर्टिंग: पवन साह, सीतामढ़ी | We News 24


    सीतामढ़ी, बिहार — जिस राम नाम से सत्ता की चढ़ाई होती है, उसी सीता नाम से आज भी उपेक्षा की छाया क्यों बनी रहती है? 8 अगस्त 2024 को सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में मां जानकी मंदिर के भव्य निर्माण का शिलान्यास होगा। मौजूद रहेंगे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक क्षण में शामिल नहीं होंगे।


    🛑 सवाल उठता है: आखिर क्यों दूर हैं मोदी?

    जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पहुंचे थे, शंखनाद किया, और पूरे देश को गर्व से भर दिया। लेकिन जब बात मां सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी की आई, तो पीएम का कार्यक्रम ही नहीं बना।



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    "राम नाम से सत्ता मिले,

    सीता नाम से वनवास।

    इसीलिए दूर हैं मोदी,

    नहीं करेंगे शिलान्यास।।"


    यह व्यथा अब राजनीतिक नारों से आगे निकलकर जनभावना बन चुकी है।


    📜 अयोध्या को मिला सबकुछ, सीतामढ़ी आज भी वंचित

    1. अयोध्या आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित धार्मिक नगरी बन चुकी है।
    2. वहां एयरपोर्ट, हाइवे, हेरिटेज कॉरिडोर, स्मार्ट प्लानिंग और सरकारी बजट की बाढ़ है।
    3. लेकिन सीतामढ़ी, जो मां सीता की जन्मभूमि है, वह आज भी बिहार के पिछड़े जिलों में गिना जाता है।
    4. न सड़क है, न सीवरेज, न पीने का पानी, न रोजगार।


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    📢 We News 24 ने सबसे पहले उठाई थी सीतामढ़ी की आवाज

    वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार द्वारा शुरू की गई विशेष रिपोर्टिंग सीरीज ने सबसे पहले यह सवाल उठाया —

    “क्या सीतामढ़ी का भी वही दर्जा नहीं होना चाहिए जो अयोध्या को मिला?”

    इस अभियान के बाद चिराग पासवान, फिर भाजपा के कई नेता, और अंततः नीतीश सरकार ने भी यहां मंदिर निर्माण पर सहमति जताई। लेकिन बड़ा सवाल वही है —

    👉 क्या सिर्फ मंदिर बनाना ही विकास है?


    🏛️ शिलान्यास या चुनावी शगुफा?

    यह शिलान्यास चुनाव से ठीक पहले हो रहा है।

    मंच पर वही नेता होंगे जो वर्षों से सीतामढ़ी की दुर्दशा के गवाह रहे हैं।

    तीन से चार सांसद और  विधायक बदले, नगर परिषद से नगर निगम बना — पर हालात जस के तस हैं।


    ❓ तो क्या सीता आज भी उपेक्षा की प्रतीक हैं?

    1. क्या प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आएंगे, लेकिन सीतामढ़ी नहीं आएंगे?
    2. क्या सीतामढ़ी के लिए वक्त सिर्फ चुनावी भाषणों में है?
    3. क्या सीता की जन्मभूमि का विकास फिर एक "वादा" ही बनकर रह जाएगा?




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