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    शर्मनाक: बेतिया मेडिकल कॉलेज में शव को सीढ़ियों पर घसीटा, बिहार स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता उजागर

    शर्मनाक: बेतिया मेडिकल कॉलेज में शव को सीढ़ियों पर घसीटा, बिहार स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता उजागर



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    खबर का सार : बेतिया GMCH में एक अज्ञात शव को कर्मचारियों द्वारा सीढ़ियों पर घसीटने का वीडियो वायरल हुआ है। पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए शव के साथ अमानवीय व्यवहार ने स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता उजागर की। सोशल मीडिया पर आक्रोश, मंत्री मंगल पांडे से कार्रवाई की मांग। यह घटना बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कलंक है। 


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 12 अगस्त 2025, 08:25 IST

    रिपोर्टिंग सूत्र / अमिताभ मिश्रा 


    पटना,  बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (GMCH), बेतिया से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जो राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर करती है। एक अज्ञात युवक के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लाया गया था, लेकिन कर्मचारियों ने इसे सम्मानजनक तरीके से ले जाने के बजाय सीढ़ियों पर घसीट दिया। इस अमानवीय कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने पूरे बिहार को शर्मसार कर दिया है।


    घटना का विवरण: इंसानियत की हद पार
    नौतन रोड के पास पालम सिटी इलाके में मिले एक युवक (या सेवानिवृत्त कर्मचारी के रूप में वर्णित) के शव को पुलिस ने बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए GMCH भेजा था। लेकिन अस्पताल पहुंचने पर जो हुआ, वह क्रूरता की पराकाष्ठा था। वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि दो कर्मचारी शव को बिना किसी कवर या स्ट्रेचर के, जानवर की तरह सीढ़ियों पर घसीट रहे हैं। शव पर कपड़े भी नहीं थे, और आसपास मौजूद लोग मूकदर्शक बने रहे। यह घटना चार दिन पहले लापता हुए व्यक्ति से जुड़ी बताई जा रही है, जिसका शव मिलने के बाद यह अमानवीय व्यवहार किया गया।







    यह सिर्फ एक अस्पताल की कहानी नहीं है; यह बिहार के स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता का नंगा सच है। मौत के बाद भी यदि गरीब को सम्मान नहीं मिलता, तो जीते जी उनकी क्या हालत होगी? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे स्वास्थ्य संस्थान सिर्फ इलाज के लिए हैं, या इंसानियत को कुचलने के लिए?



    मानवीय दृष्टिकोण: मौत के बाद भी सम्मान क्यों नहीं?
    यह घटना सिर्फ एक अस्पताल की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की असंवेदनशीलता का प्रतीक है। गरीब और अज्ञात व्यक्ति की मौत के बाद भी उसकी गरिमा का ख्याल नहीं रखा जाता। क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो गया है कि मृतक को जानवर की तरह ट्रीट किया जाए? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में मानवीय स्पर्श की कितनी कमी है। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, जहां संसाधनों की कमी है, लेकिन सम्मान तो मुफ्त है न? परिवारवालों की अनुपस्थिति में भी, शव को सम्मान देना हमारा नैतिक दायित्व है। इस तरह की घटनाएं न केवल परिवार को दुख पहुंचाती हैं, बल्कि समाज की नैतिकता पर सवाल उठाती हैं।

    बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (@mangalpandeybjp) से अपील है कि वे इस मामले की जांच कराएं और दोषियों को सख्त सजा दें। क्या यह "रोज का काम" है, या एक बड़ी समस्या का संकेत? जनता जवाब मांग रही है।





    💬 आपको क्या लगता है — यह घटना बेहद शर्मनाक और दुखद है। स्वास्थ्य संस्थानों में जहां जीवन बचाने की बात होती है, वहां मौत के बाद भी सम्मान न मिलना समाज की विफलता है। बिहार सरकार को न केवल दोषियों को दंडित करना चाहिए, बल्कि अस्पतालों में शव प्रबंधन के लिए सख्त प्रोटोकॉल लागू करने चाहिए। गरीबों के साथ यह भेदभाव बंद होना चाहिए – इंसानियत से ऊपर कुछ नहीं। उम्मीद है कि यह घटना एक सबक बनेगी और भविष्य में ऐसी क्रूरता न दोहराई जाए। अपनी राय कमेंट्स में ज़रूर बताइए!

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