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    Bihar Voter List: 65 लाख नाम हटाए गए, EC ने जिला मजिस्ट्रेट वेबसाइटों पर जारी की सूची


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    फटाफट पढ़े 

    खबर का सार :  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों की सूची जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर जारी की। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी है। 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं। विपक्ष के ‘वोट चोरी’ आरोपों को खारिज करते हुए CEC ने गलत सूचना से बचने की अपील की। 

    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 18 अगस्त 2025, 05:00 IST

    रिपोर्टिंग : गौतम  कुमार 

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    नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग (EC) ने बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख लोगों के नामों की सूची जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर सार्वजनिक कर दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी, जिसमें उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की पारदर्शिता पर जोर दिया और गलत सूचना फैलाने वालों को चेतावनी दी।



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    सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन

    चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त 2025 के आदेश का पालन करते हुए 56 घंटे के भीतर बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का ब्योरा जिला मजिस्ट्रेटों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइटों पर अपलोड कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए EC को यह सूची कारणों (जैसे मृत्यु, स्थानांतरण, डुप्लिकेट प्रविष्टि) सहित प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।


    नामों को इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) नंबर के जरिए खोजा जा सकता है, और बूथ-वार सूचियां भी डाउनलोड की जा सकती हैं।


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    पारदर्शी प्रक्रिया, कोई छिपाव नहीं: CEC

    मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि भारत का चुनावी ढांचा बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत है। मतदाता सूची की सटीकता की जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की होती है, जो SDM स्तर के अधिकारी हैं। ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद इसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपियां सभी राजनीतिक दलों को दी जाती हैं और EC की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाती हैं।


    CEC ने जोर देकर कहा, “हमारी प्रक्रिया में कोई छिपाव नहीं है। हर कदम पर पारदर्शिता बरती जाती है। कुछ दल SIR को लेकर गलत सूचना फैला रहे हैं, जो चिंता का विषय है।”


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    दावे और आपत्तियों के लिए 1 सितंबर तक का समय

    ज्ञानेश कुमार ने बताया कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की गई थी और यह 1 सितंबर 2025 तक दावों और आपत्तियों के लिए खुली है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल पात्र मतदाताओं को शामिल करने या अपात्र नामों को हटाने के लिए आवेदन कर सकता है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि अंतिम मतदाता सूची त्रुटिहीन हो।

    उन्होंने कहा कि 65 लाख हटाए गए नामों में 36 लाख लोग स्थायी रूप से स्थानांतरित हुए, 22 लाख मृतक और 7 लाख डुप्लिकेट प्रविष्टियां थीं।


    विपक्ष के आरोपों पर जवाब

    विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और राजद, ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे ‘वोट चोरी’ का प्रयास बताया है। CEC ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी है और गलत सूचनाओं से बचने की जरूरत है। उन्होंने जनता से आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करने की अपील की।


    क्या करें प्रभावित मतदाता?

    चुनाव आयोग ने प्रभावित लोगों को सलाह दी है कि वे अपनी स्थिति जांचने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइटों पर जाएं और जरूरत पड़ने पर आधार कार्ड के साथ दावा दायर करें। यह सुविधा 1 सितंबर तक उपलब्ध है।


    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले यह कदम मतदाता सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। ताजा अपडेट के लिए हमारे न्यूज पोर्टल से जुड़े रहें। 

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