'देश पहले, व्यापार बाद में': ट्रंप टैरिफ के बावजूद रूस से तेल खरीद पर अड़ा भारत, मोदी सरकार का सख्त रुख
फटाफट पढ़े- खबर की सार :-अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, लेकिन भारत ने इसे ठुकराते हुए तेल आयात जारी रखने का फैसला किया। मोदी सरकार का संदेश है- "देश पहले, व्यापार बाद में।" रूस से छूट बढ़ने पर अक्टूबर से आयात बढ़ सकता है।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 27 अगस्त 2025, 15:50 IST
रिपोर्टिंग : काजल कुमारी
नई दिल्ली :- भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर है। अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है, जिसके बाद भारत अब 50% की भारी-भरकम टैरिफ दर का सामना कर रहा है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों ने रूस से तेल खरीद जारी रखने का फैसला किया है, और सरकार का संदेश है: "देश पहले, व्यापार बाद में।"
अमेरिका का टैरिफ और भारत का जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल आयात को यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने वाला बताया और इसके जवाब में 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू किया, जो आज से प्रभावी हो गया है। इससे भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया है, जो अमेरिका के किसी भी व्यापारिक साझेदार पर सबसे अधिक है।
लेकिन भारत ने इस दबाव को ठुकराते हुए रूस से तेल खरीद जारी रखने का ऐलान किया है। एक तेल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमें सरकार से रूस से तेल खरीद बंद करने का कोई आदेश नहीं मिला है। हमारा ध्यान देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने पर है।" स्थानीय लोगों और उद्योग विशेषज्ञों ने भी सरकार के इस रुख का समर्थन किया है। एक दिल्ली निवासी ने कहा, "भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए। अमेरिका का यह दबाव अनुचित है।"
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रूसी तेल पर डिस्काउंट और सप्लाई की स्थिति
पिछले साल रूस भारत को 2.5 से 3 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर तेल बेच रहा था, लेकिन हाल में यह छूट घटकर 1.5 से 1.7 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। इस कारण सितंबर में तेल आयात में कमी आई थी, लेकिन उद्योग सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर से रूस फिर से छूट बढ़ाने की तैयारी में है, जिसके बाद आयात फिर बढ़ सकता है।
एक उद्योग विशेषज्ञ ने बताया, "रूस से तेल खरीदना बंद करना भारत के लिए नुकसानदायक होगा। अगर हम अब झुक गए, तो अमेरिका और शर्तें थोपेगा। भारत के पास मध्य पूर्व, पश्चिम अफ्रीका और अन्य देशों से तेल खरीदने का विकल्प है, लेकिन यह अमेरिकी दबाव में झुकने जैसा होगा।"
वैश्विक तेल बाजार पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत रूस से तेल खरीद बंद करता है, तो वैश्विक तेल बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। रूस अपना तेल किसी अन्य देश को बेच देगा, और भारत अन्य स्रोतों से तेल खरीद लेगा। इससे केवल सप्लाई चेन में बदलाव आएगा। भारतीय रिफाइनरियां फिलहाल बाजार की स्थिति पर नजर रख रही हैं और यह सुनिश्चित कर रही हैं कि देश को पर्याप्त और सस्ता तेल मिलता रहे।
भारत की रणनीति और भविष्य
मोदी सरकार का रुख साफ है कि वह राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगी। विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी टैरिफ को "अनुचित और अनुचित" बताया और कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा। सोशल मीडिया पर #IndiaVsUSTariff और #DeshPehleVyaparBaadMein जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जहां लोग भारत के इस स्टैंड की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "भारत ने सही कदम उठाया। हमें अपनी आजादी और हितों की रक्षा करनी चाहिए।"
यह मामला न केवल व्यापारिक तनाव को दर्शाता है, बल्कि भारत की संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता को भी रेखांकित करता है। क्या आप भारत के इस रुख से सहमत हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
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