"सिमडेगा की जनता का सवाल: गरीबों को दुकान दो या ₹21,000 ब्याज समेत पैसा लौटाओ!"
✍️ वरिष्ठ पत्रकार दीपक कुमार | We News 24 | सिमडेगा, झारखंड
🗓️ प्रकाशित: 1 अगस्त 2025
सिमडेगा, झारखंड | सिमडेगा नगर परिषद का न्यू मार्केट कॉम्प्लेक्स दुकान आवंटन मामला एक बड़े भ्रष्टाचार और गरीब व्यापारियों के शोषण का प्रतीक बन चुका है। 42 दुकानों के लिए लगभग 3000 आवेदनों के जरिए ₹6.3 करोड़ की वसूली, बार-बार टल रही लॉटरी, और ₹6000/माह का भारी किराया—यह सब एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है। प्रशासन की चुप्पी और गोलमोल जवाबों ने जनता का आक्रोश बढ़ा दिया है।
🔍 मामला क्या है?
सिमडेगा नगर परिषद ने G+1 न्यू मार्केट कॉम्प्लेक्स में 42 दुकानों (10 दुकानें आरक्षित) के आवंटन के लिए 3000 आवेदकों से आवेदन मांगे। लेकिन प्रक्रिया में अपारदर्शिता, फॉर्मों में त्रुटियों का हवाला, और लॉटरी को बार-बार टालने के कारण यह मामला संदिग्ध हो गया है।
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💰 वसूली का गणित
कुल आवेदन: तकरीबन 3000
फॉर्म शुल्क: ₹100 की जगह ₹1000 वसूला गया
कुल अनुमानित रकम : 3000 × ₹1000 = ₹30 लाख
डिमांड ड्राफ्ट: प्रति आवेदक ₹20,000
कुल अनुमानित रकम : 3000 × ₹20,000 = ₹6 करोड़
कुल वसूली: ₹6.3 करोड़
यह राशि अधिकांश गरीब व्यापारियों और मजदूरों ने कर्ज लेकर जमा की, लेकिन लॉटरी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित है।
📅 लॉटरी का टालमटोल
26 जून 2025: पहली लॉटरी तिथि घोषित, लेकिन फॉर्म सुधार अधूरा होने के कारण रद्द।
24 जुलाई 2025: दूसरी तिथि घोषित, लेकिन 21 जुलाई को नोटिस जारी कर स्थगित।
नगर परिषद का बयान: "फॉर्मों में त्रुटियाँ हैं, अगले आदेश तक लॉटरी रोकी गई।"
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सवाल:
अगर फॉर्मों में त्रुटियाँ थीं, तो दो बार लॉटरी तिथि घोषित क्यों की गई?
क्या यह जानबूझकर जनता को गुमराह करने की रणनीति थी?
स्थानीय निवासी बबलू शर्मा: "हमने कर्ज लेकर आवेदन किया, लेकिन नगर परिषद तीन-चार महीने से 'आज-कल' कह रही है। अगर फॉर्म में कमी थी, तो लॉटरी की तारीखें क्यों घोषित कीं? या तो लॉटरी कराएं, या ₹21,000 ब्याज समेत लौटाएं।"जिनलोगो ने दुकान आवंटन से अपना नाम वापस लिया उसका भी पैसा नगर परिषद् नहीं लौटा रहा है .
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💸 किराए का बोझ
प्रस्तावित किराया: ₹4000–6000/माह
तुलना: झारखंड के अन्य नगर निगमों में किराया ₹1000–3000/माह
प्रभाव: छोटे व्यापारियों के लिए दुकान चलाना असंभव, कर्ज का जाल बढ़ेगा।
🕵️♂️ जिम्मेदार कौन?
नगर परिषद अध्यक्ष: आवंटन प्रक्रिया की निगरानी क्यों नहीं?
कार्यपालक अधिकारी समीर बोदरा: फॉर्म त्रुटियों और लॉटरी टालने का जवाब क्यों नहीं?
जिला प्रशासन: ₹6.3 करोड़ के वसूली पर चुप्पी क्यों?
आरोप: कार्यपालक अधिकारी का कहना है कि जिला प्रशासन ने लॉटरी रोकी, लेकिन डीसी ऑफिस से कोई स्पष्ट जवाब नहीं। जनता की अदालत में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं। दुकान आवंटन में जनता के साथ धोखा इसका जिम्मेदार कौन ? क्या सिमडेगा नगर परिषद में भ्रष्टाचार व्याप्त है ?
📣 We News 24 की मांग
CAG/न्यायिक जांच: ₹6.3 करोड़ की वसूली की पारदर्शी ऑडिट।
पारदर्शी लॉटरी: तुरंत निष्पक्ष लॉटरी आयोजित हो।
राशि वापसी: असफल आवेदकों को ब्याज समेत राशि लौटाई जाए।
किराया पुनर्निर्धारण: स्थानीय आय स्तर के अनुसार किराया ₹1000–2000/माह हो।
✊ निष्कर्ष: गरीबों के साथ धोखा
सिमडेगा नगर परिषद का यह कृत्य न केवल भ्रष्टाचार का उदाहरण है, बल्कि गरीब व्यापारियों के सपनों को कुचलने की साजिश भी है। जनता अब तारीखों के झूठ और अफसरशाही के खिलाफ आवाज उठा रही है। We News 24 इस मुद्दे को राज्य सरकार और CAG तक ले जाएगा, जब तक गरीबों को न्याय नहीं मिलता।
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