भाजपा नेता नरेश यादव बनाम "ऋचा ठाकुर : बंद दरवाज़ों की कहानी, साज़िश की परतें और न्याय की तलाश"
तस्वीर ऋचा ठाकुर फेसबुक एकाउंट |
✍️ रिपोर्ट: We News 24 इन्वेस्टिगेशन डेस्क
दिनांक: 31 जुलाई 2025, सुबह 09:00 बजे IST
नई दिल्ली : दिल्ली के वसंत कुंज साउथ पुलिस स्टेशन में 26 जून 2025 को दर्ज FIR नंबर 0275 ने एक सनसनीखेज कहानी को उजागर किया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व विधायक नरेश यादव और ऋचा ठाकुर के बीच का यह विवाद 2020 से 2024 तक फैला हुआ है, जिसमें ब्लैकमेल, धमकी, मानहानि और शोषण के गंभीर आरोप शामिल हैं। लेकिन इस मामले में एक महिला की पीड़ा और एक विधायक की शक्ति का टकराव साफ दिखाई देता है। क्या यह साजिश है, या एक पीड़िता का न्याय की गुहार? आइए, दोनों पक्षों की समाज हिला देने वाली कहानी को करीब से समझते हैं।
नरेश यादव, जो 2015 और 2025 तक मेहरौली से विधायक रहे, का दावा है कि जुलाई 2023 में ऋचा ठाकुर ने उनसे 5 लाख रुपये की मांग की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद ऋचा ने सोशल मीडिया पर उनके और उनके परिवार के निजी फोटो-वीडियो पोस्ट कर बदनामी फैलाई। नरेश का कहना है कि ऋचा ने उनके बैंक खाते से 2.5 लाख रुपये से अधिक निकाले, जिसमें 04/06/23 से 07/03/25 तक के 17 लेन-देन शामिल हैं (25,000 से 1,00,000 रुपये तक)। उन्होंने दावा किया कि ऋचा ने 10 लाख रुपये की मांग के साथ धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए गए, तो उनका राजनीतिक करियर खत्म कर दिया जाएगा।
नरेश बताते हैं, "मैंने इंसानियत के नाते ऋचा की मदद की। मैक्स हॉस्पिटल में उसके इलाज के लिए 1.5 लाख रुपये दिए, लेकिन उसने इसका गलत फायदा उठाया।" उनका कहना है कि ऋचा ने झूठे मामले दर्ज करवाए और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। पटियाला हाउस कोर्ट और हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद (23 अप्रैल 2025 को ऋचा को उनसे संपर्क करने से मना किया गया), नरेश का दावा है कि यह साजिश उनके राजनीतिक करियर को ध्वस्त करने के लिए रची गई। बैंक स्टेटमेंट, ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और कोर्ट का आदेश उनके सबूत हैं।लेकिन सवाल उठता है: अगर 2020 से ब्लैकमेल चल रहा था, तो शिकायत 2025 में क्यों? क्या नरेश ने शुरू में चुप्पी साधी, या ऋचा के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने में समय लगा?
ऋचा ठाकुर की दास्तां: एक महिला की पीड़ा और न्याय की आसऋचा ठाकुर की कहानी आंसुओं और दर्द से भरी है। उसका दावा है कि नरेश यादव ने उसे "बेटी" कहकर भावनात्मक रूप से जोड़ा, फिर उसका शोषण किया। ऋचा कहती हैं, "उसने मेरी इज्जत लूटी। मुझे बेहोश करके अगवा किया गया, एक घर में रखा गया, और अनगिनत बार बलात्कार हुआ।" उसका आरोप है कि नरेश ने उसे नकली शादी के जाल में फंसाया, मंदिर में अनुष्ठान करवाए, और चार बार गर्भपात के लिए मजबूर किया।
"मैंने फांसी लगाने की कोशिश की, लेकिन जिंदगी ने हार नहीं मानी," ऋचा की आंखों में आंसू के साथ यह कहानी निकलती है। उसका दावा है कि नरेश उसके साथ पति की तरह रहता था, घर खर्च के लिए पैसे देता था, लेकिन उसे प्रताड़ित भी करता था। 2020 में शिकायत के बावजूद, उसकी आवाज दबा दी गई। "पुलिस ने मेरी एक नहीं सुनी। मैंने डीसीपी और अरविंद केजरीवाल तक शिकायत की, लेकिन नरेश की सत्ता ने मुझे कुचल दिया," ऋचा कहती हैं।
ऋचा का कहना है कि मैक्स हॉस्पिटल में इलाज (1.5 लाख रुपये) गर्भपात और डेंगू के दौरान हुआ, जो नरेश के बच्चे से जुड़ा था। "ये पैसे ब्लैकमेल नहीं, मेरी मजबूरी थी। नरेश ने लाखों रुपये लिए, लेकिन मैंने कभी मांगा नहीं। अगर उसके पास मेरी ब्लैकमेलिंग का सबूत है, तो सार्वजनिक करे," ऋचा चुनौती देती हैं। उनका दर्द साफ है, और वे कहती हैं, "मुझे इस देश के कानून पर भरोसा है। सत्य जीतेगा।"
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पैसों का सच: मदद या शोषण?
नरेश द्वारा पेश किए गए लेन-देन इस प्रकार हैं:
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02/05/23: 25,000 रुपये
- 04/06/23: 25,000 × 2
- 19/07/23: 25,000 रुपये
- 09/11/23: 15,000 रुपये
- 12/11/23: 25,000 रुपये
- 13/01/24: 15,000 रुपये
- 09/02/24: 25,000 रुपये
- 17/03/24: 19,000 रुपये
- 18/03/24: 20,000 रुपये
- 19/03/24: 1,00,000 रुपये
- 05/04/24: 16,000 रुपये
- 20/05/24: 10,000 रुपये
- 23/05/24: 25,000 रुपये
- 30/08/24: 50,000 रुपये
- 04/10/24: 30,000 रुपये
- 17/10/24: 30,000 रुपये
- 31/12/24: 10,000 रुपये
- 07/03/25: 30,000 रुपये
ऋचा का कहना है कि ये पैसे घर खर्च और मजबूरी में दिए गए, जबकि नरेश इसे ब्लैकमेल का हिस्सा बताते हैं। यह सवाल अनसुलझा है: क्या ये रकम एक रिश्ते की कीमत थी, या शोषण का साधन?
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गहरे सवाल और साजिश की बू
देर से शिकायत क्यों? नरेश की 2025 की शिकायत 2020-2024 की घटनाओं के बाद क्यों? क्या यह ऋचा के बढ़ते दबाव का जवाब है, या नरेश ने सत्ता का फायदा उठाया?
पैसे का लेन-देन: 17 छोटे-बड़े ट्रांजेक्शन से 2.5 लाख रुपये की निकासी साजिश की ओर इशारा करती है। क्या यह मदद थी, या जबरन वसूली?
राजनीतिक दबदबा: ऋचा का दावा है कि नरेश की सत्ता ने 2020 की शिकायत दबाई। पंजाब में बेअदबी के मामले में केजरीवाल ने नरेश यादव को बचाने के लिए पूरा सरकारी तन्त्र लगा दिया ये आरोप भी सवाल खड़ा करता है?
सबूतों की भूलभुलैया: नरेश के पास बैंक रिकॉर्ड और ऑडियो हैं, जबकि ऋचा के पास वीडियो क्लिप। इनकी सत्यता जांच का मुद्दा है।
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विश्लेषण: पीड़ा और पावर का टकराव
यह मामला एक महिला की चीख और सत्ता की चुप्पी का दर्पण है। नरेश के पक्ष में बैंक स्टेटमेंट और कोर्ट आदेश हैं, लेकिन 2020-2024 की निष्क्रियता संदेह पैदा करती है। ऋचा की कहानी में भावनात्मक दर्द है, और 2020 की शिकायत की अनसुनी उसकी विश्वसनीयता को बल देती है। क्या नरेश ने सहमति से रिश्ता बनाया और बाद में ऋचा को ठुकरा दिया? या ऋचा ने नरेश के भरोसे को तोड़ा? मेहरौली के लोग बताते हैं कि 2020 में ऋचा ने लाइव होकर नरेश पर आरोप लगाए थे, जो इस कहानी को और पेचीदा बनाता है।
निष्कर्ष: न्याय की राह कठिन, लेकिन उम्मीद बाकी
यह मामला जांच अधिकारी राजू कुमार के हाथों में है। बैंक स्टेटमेंट, ऑडियो-वीडियो, और कोर्ट रिकॉर्ड की निष्पक्ष जांच ही सच उजागर करेगी। क्या ऋचा ठाकुर एक शोषित महिला है, जिसकी आवाज सत्ता ने दबाई? या नरेश यादव एक निर्दोष नेता, जिसे फंसाया जा रहा है? समय और कानून ही फैसला देंगे।
ऋचा की आंखों में आंसुओं के साथ न्याय की आस है, जबकि नरेश अपनी प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बीच, कानूनी प्रक्रिया का सम्मान जरूरी है, और जनता को जल्दबाजी में राय बनाने से बचना चाहिए। एक महिला के दर्द और एक नेता की शक्ति के बीच सच कहीं दबा हुआ है—क्या वह सामने आएगा?
📢 We News 24 का रुख
इस पूरे मामले में हम नरेश यादव का पक्ष जानने के लिए भी प्रयासरत हैं। अगर वो भी अपना बात रखना चाहे तो हमारे चैनल पर रख सकते है .कानून के तहत दोनों पक्षों की बात सुनी जानी चाहिए। लेकिन जब एक महिला बार-बार न्याय के लिए आवाज़ उठा रही है, तो जांच निष्पक्ष होनी चाहिए।
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