Header Ads

ad728
  • Latest Stories

    83वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी टिपन मौआर, राघोपुर में मूर्ति स्थापना और नामकरण की मांग



    83वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी टिपन मौआर, राघोपुर में मूर्ति स्थापना और नामकरण की मांग




    फटाफट पढ़े 

    खबर का सार :  बिहटा में स्वतंत्रता सेनानी टिपन मौआर की 83वीं पुण्यतिथि पर 19 अगस्त 2025 को राघोपुर में श्रद्धांजलि सभा हुई। बिहटा संघर्षशील पत्रकार संघ और स्थानीय लोगों ने राघोपुर तीनमुहानी पर उनकी आदमकद मूर्ति और नामकरण की मांग की। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी शहादत को साहस और देशभक्ति की मिसाल बताया गया।


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 19 अगस्त 2025, 20:10 IST

    रिपोर्टिंग : बिहटा से कलीम 



    बिहटा, बिहार के बिहटा में स्वतंत्रता सेनानी शहीद टिपन मौआर की 83वीं पुण्यतिथि पर मंगलवार को राघोपुर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों और बिहटा संघर्षशील पत्रकार संघ ने एक स्वर में मांग की कि राघोपुर तीनमुहानी पर टिपन मौआर की आदमकद मूर्ति स्थापित की जाए और इसका नामकरण किया जाए। कार्यक्रम में उनके साहस और देशभक्ति को याद करते हुए उनकी शहादत को आजादी की लड़ाई में एक अमर मिसाल बताया गया।



    ये भी पढ़े-दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता पर हमला: तमाचा, बाल खींचने की कोशिश, चश्मदीदों ने बयां किया खौफनाक मंजर



    श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए गणमान्य

    श्रद्धांजलि सभा में टिपन मौआर के पौत्र डॉ. ललित मोहन शर्मा, पौत्रवधू श्रीमती आशा शर्मा, जेपी सेनानी राम प्रवेश सिंह, अजित सिंह, डॉ. निहाल, समाजसेवी रिंकू सिंह, निर्मल कुमार मिश्रा, रत्नेश्वर मिश्रा, मनोज कुमार सिंह, मुन्ना यादव, वार्ड पार्षद संजेश कुमार, सोनू कुमार, मुकेश कुमार मिल्की, निशांत, और योग मंडली के सदस्यों सहित क्षेत्र के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए।



    ये भी पढ़े-साउथ दिल्ली पत्रकार संघ की कार्यकारिणी का गठन, राजनारायण मिश्रा बने अध्यक्ष, सुरेंद्र बिधूड़ी ने बढ़ाया हौसला



    टिपन मौआर की शहादत

    वक्ताओं ने बताया कि 19 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान टिपन मौआर ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ डटकर मुकाबला किया। राघोपुर की गलियों में जब आजादी के नारे गूंज रहे थे, तब रेल पटरियां उखाड़ी जा रही थीं और सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा फहराया जा रहा था। टिपन मौआर ने अंग्रेजों की लाठियों और गोलियों का सामना किया, और गोली लगने के बावजूद पीछे नहीं हटे। अंततः वे शहीद हो गए, जिसने बिहटा के स्वतंत्रता संग्राम को नई प्रेरणा दी।


    वक्ताओं ने कहा, “टिपन मौआर की शहादत केवल एक बलिदान नहीं, बल्कि साहस और देशभक्ति की अमर मिसाल है। उनकी कुर्बानी ने आने वाली पीढ़ियों को आजादी की कीमत समझाई।”


    ये भी पढ़े-बिहटा: शराब, अवैध हथियार और हत्या के प्रयास में 6 आरोपी गिरफ्तार, जेल भेजे गए


    मूर्ति और नामकरण की मांग

    सभा में बिहटा संघर्षशील पत्रकार संघ और स्थानीय लोगों ने एक स्वर में मांग उठाई कि राघोपुर तीनमुहानी पर टिपन मौआर की आदमकद मूर्ति स्थापित की जाए। साथ ही, इस स्थान का नामकरण उनके नाम पर करने की मांग की गई ताकि उनकी शहादत को सम्मान मिले और युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिले।


    सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व

    टिपन मौआर की शहादत बिहटा और पटना जिले के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहटा में क्रांतिकारी गतिविधियां चरम पर थीं। उनकी शहादत ने स्थानीय लोगों में अंग्रेजी शासन के खिलाफ और जोश भरा था। आज भी उनकी कहानी क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


    स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों की प्रतिक्रिया

    डॉ. ललित मोहन शर्मा: “मेरे दादाजी की शहादत को सम्मान देने के लिए यह सभा आयोजित की गई। उनकी मूर्ति और नामकरण की मांग जायज है।”

    राम प्रवेश सिंह (जेपी सेनानी): “टिपन मौआर जैसे क्रांतिकारियों की वजह से हमें आजादी मिली। उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए मूर्ति जरूरी है।”

    रिंकू सिंह (समाजसेवी): “राघोपुर तीनमुहानी पर मूर्ति और नामकरण से युवाओं को देशभक्ति की प्रेरणा मिलेगी।”


    बिहटा और पटना की ताजा खबरों के लिए हमारे न्यूज पोर्टल से जुड़े रहें।





    कोई टिप्पणी नहीं

    कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728