बिहटा में वयोश्री योजना का सराहनीय आयोजन: वरिष्ठ नागरिकों को मिले सहायक उपकरण, डॉ. ललित मोहन शर्मा ने किया वितरण
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बिहटा (भोजपुर)। 27 सितंबर 2025: उम्र के इस पड़ाव पर जहां कदम थमने लगते हैं, वहां सहारा बनकर खड़े होने वाली भारत सरकार की 'राष्ट्रीय वयोश्री योजना' ने एक बार फिर वरिष्ठ नागरिकों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। भोजपुर जिले के बिहटा प्रखंड के ग्राम राघोपुर देवी स्थान पर आयोजित इस कार्यक्रम में वृद्धजनों को व्हीलचेयर, स्टिक, कमर बेल्ट, घुटने का बेल्ट, श्रवण यंत्र (कान की मशीन) जैसी आवश्यक सामग्रियां वितरित की गईं। यह न केवल एक सरकारी योजना का क्रियान्वयन था, बल्कि एक इंसानी जज्बा भी – जहां बुजुर्गों की मुस्कान में सालों का संघर्ष झलकता है, और छोटा-सा सहारा उनकी जिंदगी को आसान बना देता है।
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योजना का उद्देश्य: बुजुर्गों की गरिमा को सहारा
राष्ट्रीय वयोश्री योजना (Rashtriya Vayoshri Yojana - RVY) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संचालित एक केंद्रीय क्षेत्रीय योजना है, जो बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और सहायक उपकरण प्रदान करती है। योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है, जो 'वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष' से पूरा होता है। इसका मकसद है कि बुजुर्ग अपनी दैनिक जिंदगी में स्वावलंबी रहें और सम्मानजनक जीवन जिएं। भोजपुर जैसे ग्रामीण इलाकों में यह योजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बुजुर्गों के लिए चुनौती बन जाती है।
कार्यक्रम का सफल आयोजन: मुख्य अतिथि के हाथों वितरण
कार्यक्रम बिहटा प्रखंड कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष एवं वार्ड पार्षद 18 के नेतृत्व में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. ललित मोहन शर्मा ने अपने करकमलों से उपकरणों का वितरण किया, जो न केवल औपचारिकता थी, बल्कि बुजुर्गों के प्रति सम्मान का प्रतीक भी। डॉ. शर्मा ने कहा, "ये उपकरण सिर्फ वस्तुएं नहीं, बल्कि जीवन का सहारा हैं। सरकार का यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि हमारा समाज बुजुर्गों की गरिमा को कभी भूल नहीं सकता।"
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आसरा (भोजपुर), कोईलवर के निर्देशक श्रीमती दीप्ति राघव और उपनिर्देशक श्री शिवम बहादुर के अथक प्रयासों ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। श्रीमती राघव ने बताया, "हमने स्थानीय स्तर पर सर्वे कर जरूरतमंद बुजुर्गों की पहचान की। यह देखकर खुशी होती है जब वे उपकरण हाथ में लेकर चलने लगते हैं – जैसे नई जिंदगी मिल गई हो।" कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने आयोजकों को आशीर्वाद दिया, जो एक पारिवारिक माहौल का एहसास कराता था।
बुजुर्गों की कहानियां, जो छू जाती हैं दिल को
इस आयोजन में एक बुजुर्ग ने साझा किया, "व्हीलचेयर मिलने से अब मंदिर जाना आसान हो जाएगा। पहले पैरों का दर्द मुझे रोक लेता था।" एक अन्य ने श्रवण यंत्र पाकर कहा, "अब पोते-पोतियों की बातें साफ सुन सकूंगा।" ये छोटी-छोटी कहानियां योजना के असली प्रभाव को दर्शाती हैं – जहां सरकारी मदद इंसानी रिश्तों को मजबूत करती है। बिहटा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां बुजुर्ग अक्सर अकेलेपन का शिकार होते हैं, ऐसे कार्यक्रम उन्हें समाज से जोड़ते हैं।
यह आयोजन न केवल योजना की सफलता का प्रमाण है, बल्कि स्थानीय नेतृत्व और सामाजिक कार्यकर्ताओं की प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। उम्मीद है कि ऐसे प्रयास भविष्य में और व्यापक होंगे, ताकि हर बुजुर्ग को उनका हक मिले।
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