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    अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में भगदड़, 3 बच्चों समेत 10 की मौत, कई घायल

    अभिनेता से नेता बने  विजय की रैली में भगदड़, 3 बच्चों समेत 10 की मौत, कई घायल


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

    संवाददाता,सुमन गोड़

    चेन्नई। 27 सितंबर 2025: जो उत्साह की लहर से भरी रैली होनी थी, वह एक पल में चीख-पुकार और आंसुओं की नदी में बदल गई। तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने जोसेफ विजय (थलपति विजय) की राजनीतिक सभा के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें तीन मासूम बच्चों समेत कम से कम 10 लोगों की जान चली गई। कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं, और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। यह घटना न केवल विजय की नई राजनीतिक यात्रा पर सवाल खड़ी करती है, बल्कि उन समर्थकों के दर्द को भी उजागर करती है, जो घंटों इंतजार के बाद अपने हीरो को करीब से देखने के सपने में खो गए थे। एक पिता का रोता चेहरा, एक मां का बिलखना – ये तस्वीरें दिल दहला देती हैं।



    भगदड़ का मंजर: छह घंटे का इंतजार, एक पल की तबाही

    शनिवार को तमिलनाडु वेत्री कझगम (TVK) के प्रमुख विजय की चुनावी रैली करूर के एक मैदान में आयोजित की गई थी। यह 2026 विधानसभा चुनावों से पहले विजय का राज्यव्यापी अभियान का हिस्सा था। समर्थकों का हुजूम इतना था कि रैली स्थल पर जगह कम पड़ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सात वयस्क समर्थक और तीन बच्चे TVK के उत्साही अनुयायी थे, जो विजय के पहुंचने का कम से कम छह घंटे इंतजार कर रहे थे। जैसे ही विजय मंच पर पहुंचे और भाषण शुरू किया – जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से DMK मंत्री सेंथिल बालाजी पर व्यंग्य किया – भीड़ में उन्हें छूने, करीब जाने की होड़ मच गई।




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    अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, लोग गिरने लगे, और दम घुटने की स्थिति बन गई। विजय को अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा। उन्होंने मंच से चिल्लाया, "एंबुलेंस के लिए रास्ता खाली करो!" लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। स्थानीय अस्पताल के अधिकारियों ने 10 मौतों की पुष्टि की है, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हो गए। एक नौ साल का बच्चा अभी भी लापता बताया जा रहा है। घटनास्थल पर अफरा-तफरी का आलम था – रोते-बिलखते परिजन, दौड़ते राहतकर्मी, और हवा में तनाव। पुलिस ने तुरंत कर्फ्यू जैसी स्थिति लागू कर दी, और जांच शुरू कर दी है।



    विजय का सफर: सिल्वर स्क्रीन से राजनीतिक मंच तक

    अभिनेता विजय, जिन्हें 'थलपति' के नाम से जाना जाता है, ने हाल ही में TVK पार्टी की कमान संभाली है। उनकी फिल्मों की तरह ही उनकी राजनीति भी जन-जन को लुभाती है – सामाजिक न्याय, तमिल पहचान और सत्ता परिवर्तन के वादों पर। रैली में उन्होंने कहा था, "अगले छह महीनों में तमिलनाडु का राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा।" लेकिन यह उत्साह एक त्रासदी में बदल गया। विजय के समर्थक उन्हें एक 'मसीहा' मानते हैं, जो घंटों इंतजार करने को तैयार रहते हैं। एक समर्थक ने बताया, "हम उनके लिए सब कुछ त्यागने को तैयार थे, लेकिन आज सब कुछ छिन गया।" यह हादसा विजय की लोकप्रियता को तो दर्शाता है, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की कमी पर भी सवाल उठाता है।



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    प्रतिक्रियाएं: सियासत से आगे इंसानियत

    मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गहरा शोक व्यक्त किया और रविवार को करूर का दौरा करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, "यह दुखद है, सरकार हर संभव मदद करेगी।" विपक्षी दलों ने भी निंदा की, और मांग की कि जांच निष्पक्ष हो। विजय ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी कर कहा, "मेरे समर्थकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हम मजबूत बनेंगे।" लेकिन सवाल यह है – क्या राजनीतिक शो-ऑफ में जनता की जान जोखिम में डालना सही है? विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी रैलियों में भीड़ प्रबंधन और इमरजेंसी प्लान जरूरी हैं।

    यह घटना हमें याद दिलाती है कि राजनीति के पीछे इंसानी जिंदगियां होती हैं। तीन मासूम बच्चों की मौत – जो शायद विजय की फिल्में देखकर बड़े हुए थे – हर दिल को चीर देती है। उम्मीद है कि यह त्रासदी सबक बनेगी, और भविष्य में ऐसी रैलियां सुरक्षित हों। परिवारों के प्रति संवेदना, और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना।


     

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