बिहार चुनाव 2025: पीएम मोदी का महिलाओं को '10 हजार का तोहफा', 75 लाख 'जीविका दीदियों' के खाते में आज गिरेंगे पैसे—क्या बदलेगा वोट का समीकरण?
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क »
पटना, 26 सितंबर 2025 बिहार की धरती पर आज सुबह 11 बजे एक ऐसी सुबह हुई, जब 75 लाख महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान आ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' का शुभारंभ किया, और सीधे डीबीटी से 10-10 हजार रुपये उनके बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। कुल 7,500 करोड़ का यह पैकेज सिर्फ पैसे नहीं, बल्कि एक सपने का पहला कदम है—जो बिहार की आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनाने का वादा करता है। लेकिन चुनावी हवा में यह 'महिला सशक्तिकरण' का नया हथियार है? क्या एनडीए की यह चाल महागठबंधन की प्रियंका लहर को रोक पाएगी? आइए, इसकी गहराई से समझें, और उन 'दीदियों' की कहानियों से रूबरू हों जो आज इतिहास का हिस्सा बनीं।
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आज का ऐतिहासिक पल: पीएम का संवाद, सीएम की मौजूदगी
सुबह 11 बजे शुरू हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी ने पटना के लाभार्थी महिलाओं से सीधा संवाद किया। "बहनों, यह राशि आपकी मेहनत का फल है। अब आप खुद का रोजगार शुरू करेंगी, और बिहार की प्रगति में योगदान देंगी," पीएम ने कहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े, और योजना को 'बिहार की महिलाओं की नई ताकत' बताया। यह योजना जीविका स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाओं के लिए है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में फैली हुई हैं। पहले चरण में 75 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये मिले, जबकि अगले चरण में 2 लाख तक की अतिरिक्त मदद का वादा है। साथ ही, प्रशिक्षण, संसाधन और ग्रामीण हाट-बाजारों का विकास भी होगा।
आवेदन सरल है: ग्रामीण महिलाएं अपने जीविका समूह से, शहरी वेबसाइट से। जरूरी दस्तावेज—आधार, बैंक पासबुक, पैन, निवास प्रमाण और फोटो—जमा कर कोई भी स्थायी निवासी जुड़ सकती है। आज ही कई जिलों में 'कैंप' लगे, जहां महिलाएं लाइनों में खड़ी रहीं।
'दीदी की कहानी': जो छू लेता है दिल
बिहार की मिट्टी में 'जीविका दीदियां' कोई नई बात नहीं, लेकिन आज की यह राशि उनके लिए उम्मीद की किरण बनी। मुजफ्फरपुर की रानी देवी (45 वर्ष), जो तीन बच्चों की मां हैं, ने बताया, "पति की मजदूरी पर चलता था घर। जीविका से जुड़कर सिलाई सीखी, लेकिन पूंजी की कमी थी। आज 10 हजार मिले—अब मशीन खरीदूंगी, और पड़ोस की बहनों को सिखाऊंगी। पीएम जी का धन्यवाद, नीतीश जी का आभार!" रानी जैसी हजारों कहानियां हैं। वैशाली की सुनीता पासवान, एक दलित महिला, कहती हैं, "बेरोजगारी ने तोड़ दिया था। अब मुर्गी पालन शुरू करूंगी, बच्चों को अच्छा भविष्य दूंगी।" ये आवाजें सिर्फ आंकड़े नहीं, बिहार की असली ताकत हैं—जो योजना के जरिए सशक्त हो रही हैं। लेकिन सवाल यह भी: क्या यह मदद लंबे समय तक चलेगी, या चुनावी 'रिवाड़ी' साबित होगी?
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बिहार चुनाव विश्लेषण: महिला वोटरों पर दांव, प्रियंका vs मोदी का मुकाबला
बिहार के 243 सीटों वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह योजना एनडीए की मास्टरस्ट्रोक लग रही है। 2020 में महिलाओं ने नीतीश-मोदी को समर्थन दिया था, और अब 10 करोड़ महिला वोटरों (कुल 7.3 करोड़ मतदाताओं में 48%) को साधने की कोशिश है। यादव-मुस्लिम-दलित बहुल इलाकों में जीविका की पैठ मजबूत है, जहां महागठबंधन का वोट बैंक है। विश्लेषकों का कहना है कि 7,500 करोड़ का यह 'सॉफ्ट पावर' बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों पर विपक्ष के हमले को कमजोर करेगा।
दिलचस्प संयोग: आज ही प्रियंका गांधी मोतिहारी में पहली चुनावी सभा कर रही हैं, जहां महिला संवाद और 'हर घर अधिकार रैली' का फोकस भी महिलाओं पर है। कांग्रेस इसे 'एनडीए की कॉपी' बता रही है, जबकि RJD के तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, "10 हजार से ज्यादा चाहिए—नौकरी और न्याय!" X पर बहस छिड़ी है: #MahilaRozgarYojana ट्रेंड कर रहा, लेकिन #BiharElectionSops भी। अगर योजना सफल रही, तो एनडीए की 125 सीट वाली 2020 जीत दोहरा सकती है। वरना, महागठबंधन के लिए यह 'वोट चोरी' का सबूत बनेगा। अमित शाह का आज का दौरा भी इसी रणनीति का हिस्सा है—महिलाओं को केंद्र में रखकर जातिगत समीकरण साधना।
चुनावी प्रभावएनडीए का फायदामहागठबंधन की चुनौतीमहिला वोट बैंकजीविका से 75 लाख को सीधा लाभ, ग्रामीण महिलाओं में लोकप्रियताप्रियंका की रैलियां युवा महिलाओं को आकर्षित, लेकिन फंडिंग पर सवालजातिगत समीकरणEBC-दलित महिलाओं को मजबूत ग्रिपयादव-मुस्लिम में असंतोष, अगर राशि 'चुनावी लॉलीपॉप' साबित हुईमुद्देरोजगार-आत्मनिर्भरता पर फोकसबेरोजगारी-महंगाई पर हमला, योजना को 'अस्थायी' बताना
आत्मनिर्भरता की नई सुबह, लेकिन सवाल बाकी
यह योजना बिहार की महिलाओं को न सिर्फ पैसे, बल्कि सम्मान दे रही है। रानी और सुनीता जैसी दीदियां अब सपने बुनेंगी—शायद एक छोटा सैलून, मुर्गी फार्म या हस्तशिल्प दुकान। लेकिन चुनावी मौसम में यह 'तोहफा' वोटों का खेल भी है। क्या पीएम का 'महिला पावर' प्रियंका की 'भावनात्मक अपील' से भारी पड़ेगा? बिहार की जनता फैसला करेगी। फिलहाल, 75 लाख खातों में आई राशि एक संदेश दे रही है: बदलाव की हवा बह रही है।
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