भारत-अमेरिका टैरिफ वॉर में नरमी, ट्रंप ने दिखाई दोस्ती की राह, अचानक ट्रंप को हुआ क्या?
फटाफट पढ़े- भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद में नरमी, ट्रंप ने पीएम मोदी को दोस्त कहकर बातचीत की पेशकश की। 50% टैरिफ के बाद अचानक रुख बदलने की वजह व्यक्तिगत और अंतरराष्ट्रीय दबाव हो सकता है। ईयू का 100% टैरिफ प्रस्ताव भी प्रभावी रहा।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क »रिपोर्ट : अंजली कुमारी
11 सितंबर 2025, 06:00 AM IST
नई दिल्ली | भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में शुरू हुई टैरिफ जंग में अब नरमी के संकेत दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ताजा सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी को दोस्त बताते हुए बातचीत की राह खोली है। कुछ दिनों पहले तक जब अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा दिया था, तब ऐसा लग रहा था कि रिश्तों में दरार पड़ गई है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। आखिर क्या हुआ कि ट्रंप का रुख अचानक नरम पड़ा? आइए जानते हैं।
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टैरिफ जंग से दोस्ती की ओर
अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया था, जिसे रूस से तेल खरीदने पर अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़कर 50% तक पहुंचा दिया था। इससे संकेत मिल रहा था कि ट्रंप प्रशासन रियायत देने के मूड में नहीं है। लेकिन अब ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर पोस्ट किया कि भारत और अमेरिका व्यापार बाधाओं को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को "दोस्त" कहते हुए आने वाले हफ्तों में उनसे बातचीत की इच्छा जताई।
पीएम मोदी का गर्मजोशी भरा जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रंप के इस कदम का स्वागत किया। एक्स पर उन्होंने लिखा, "मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए उत्सुक हूं। हमारी व्यापार वार्ता भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं को खोलेगी। हमारी टीमें इस दिशा में काम कर रही हैं और मिलकर अपने नागरिकों के लिए उज्जवल भविष्य बनाएंगे।"
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आखिर ट्रंप को क्या हुआ?
ट्रंप के इस नरम रुख के पीछे क्या वजह हो सकती है? विशेषज्ञों का मानना है कि दो कारण संभव हैं। पहला, यह व्यक्तिगत फैसला हो सकता है, क्योंकि ट्रंप ने अचानक भारत के साथ दोस्ती पर जोर दिया। दूसरा, अंतरराष्ट्रीय दबाव हो सकता है। हाल की एससीओ बैठक में चीन के साथ भारत की नजदीकी ने अमेरिका को सोचने पर मजबूर किया। लंबे टैरिफ विवाद से सामरिक रिश्तों पर असर पड़ने का खतरा है।
ईयू का दबाव और अमेरिकी रणनीति
इसी बीच यूरोपीय संघ ने भारत पर 100% टैरिफ लगाने की सिफारिश की थी। ऐसे में ट्रंप का नरम रुख यह संकेत देता है कि अमेरिका व्यापार से आगे बढ़कर रिश्तों को प्राथमिकता देना चाहता है। आने वाले हफ्तों में दोनों नेताओं की मुलाकात से यह साफ होगा कि यह बदलाव वास्तविक है या रणनीति।
भारत और अमेरिका की जनता के लिए यह बदलाव उम्मीद की किरण हो सकता है। व्यापारिक तनाव कम होने से दोनों देशों के कारोबारियों और आम लोगों को राहत मिलेगी। वहीं, ट्रंप-मोदी की दोस्ती एक बार फिर चर्चा में है।
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