कौन है जेन Z जिसने नेपाल का सत्ता पलट दिया ? जाने पीढ़ियों का सफर: साइलेंस से स्क्रॉलिंग तक
फटाफट पढ़े- जेन Z (1997-2012 जन्मे युवा) ने नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर सत्ता पलट दी। केपी ओली समेत कई नेताओं ने इस्तीफा दिया। उनकी डिजिटल जागरूकता और संगठन ने बदलाव लाया, लेकिन हिंसा ने 22 जानें लीं।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 11 सितंबर 2025, 08:30 AM IST
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नेपाल में हाल के दिनों में जो सत्ता पलट देखने को मिला, उसमें जेन Z की भूमिका सबसे अहम रही है।युवाओं ने काठमांडू से लेकर प्रांतों तक सड़कों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों ने सत्ता पर इतना दबाव बनाया कि सरकार और गठबंधन डगमगा गए। लेकिन आखिर ये जेन Z कौन है और कैसे इसने नेपाल की राजनीति को हिला कर रख दिया? आइए समझते हैं।
ये भी पढ़े-भारत-अमेरिका टैरिफ वॉर में नरमी, ट्रंप ने दिखाई दोस्ती की राह, अचानक ट्रंप को हुआ क्या?
जेन Z क्या है?
जेन Z आमतौर पर 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए लोगों को कहा जाता है, जो आज 13 से 28 साल की उम्र के बीच हैं। नेपाल में ये युवा पीढ़ी डिजिटल युग में पली-बढ़ी है, जो सोशल मीडिया और इंटरनेट से गहराई से जुड़ी हुई है। ये लोग नई तकनीक, वैश्विक मुद्दों और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूक हैं।
नेपाल में जेन Z का उदय
सितंबर 2025 में नेपाल में शुरू हुए प्रदर्शनों ने इस पीढ़ी की ताकत को दुनिया के सामने ला दिया। 4 सितंबर को सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने के बाद ये युवा सड़कों पर उतरे। उनका गुस्सा सिर्फ बैन तक सीमित नहीं था, बल्कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी (20% से अधिक), और राजनीतिक भाई-भतीजावाद (जिसे वे "नेपो बेबी" कहते हैं) के खिलाफ था। इन प्रदर्शनों में जेन Z ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर संगठित होकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई।
ये खबर भी पढ़े-कौन हैं सुशीला कार्की, जो बन सकती हैं नेपाल की अंतरिम PM...क्यों है जेन-जेड की पसंद ?
सत्ता पलट कैसे हुआ?
जेन Z के नेतृत्व में प्रदर्शन 8 सितंबर से तेज हुए, जब काठमांडू में सैकड़ों युवा सड़कों पर उतरे। हिंसा बढ़ने के साथ उन्होंने सिंह दरबार जैसे सरकारी भवनों पर हमला बोला और 9 सितंबर को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद राष्ट्रपति और 15 मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण इमारतों को निशाना बनाया, जिससे सरकार ढह गई। अब तक 22 लोगों की मौत और 500 से अधिक घायल हुए हैं।
जेन Z की ताकत
इन युवाओं ने पारंपरिक राजनीतिक दलों से दूरी बनाई और स्वतंत्र रूप से आंदोलन चलाया। संगठन जैसे "हामी नेपाल" और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने उन्हें एकजुट किया। उनकी मांगें साफ थीं - भ्रष्टाचार खत्म करना, पारदर्शिता लाना और सोशल मीडिया पर बैन हटाना, जो बाद में हटा भी लिया गया।
ये भी पढ़े-नेपाल के जलेश्वर जेल से दीवार तोड़ 572 कैदी फरार, तख्तापलट के बाद अराजकता में डूबा नेपाल
मानवीय पहलू
नेपाल के इन युवाओं के लिए ये सिर्फ एक आंदोलन नहीं, बल्कि अपने भविष्य की लड़ाई है। 20% बेरोजगारी और आर्थिक असमानता ने उन्हें मजबूर किया कि वे सत्ता के खिलाफ उठ खड़े हों। उनका जोश और हिम्मत देश की दशकों पुरानी राजनीति को चुनौती दे रही है।
पीढ़ियों का सफर: साइलेंस से स्क्रॉलिंग तक
हर पीढ़ी अपने युग की चुनौतियों और जीतों को ढोती है, जो उनके विश्व दृष्टिकोण और खबरों के उपभोग को आकार देती है। साइलेंट जेनरेशन से लेकर मिलेनियल्स तक, भारत में पीढ़ियों का सफर तकनीक और समाज के साथ बदलता रहा है। आइए जानते हैं इस सफर को।
साइलेंट जेनरेशन (1928-1945)
महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध की छाया में जन्मे ये लोग अनुशासित और मेहनती थे। भारत में, विभाजन और औपनिवेशिक प्रभावों ने उनकी जिंदगी को प्रभावित किया। स्थिरता उनकी प्राथमिकता थी। खबरें रेडियो प्रसारण या सामुदायिक सभाओं से आती थीं—सरल, आधिकारिक और बिना सवालों के।
बेबी बूमर्स (1946-1964)
युद्ध के बाद की आशावादिता ने जनसंख्या में उछाल लाया। भारत में स्वतंत्रता और आर्थिक पुनर्निर्माण का दौर था। दूरदर्शन के न्यूजरील्स ने राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया। लोग पारंपरिक नौकरियों को महत्व देते थे, और प्रिंट अखबार जैसे द टाइम्स ऑफ इंडिया उनकी रोजमर्रा की खबरों का स्रोत थे।
जेनरेशन X (1965-1980)
एनालॉग से डिजिटल की ओर पुल बनाने वाली यह पीढ़ी थी। भारत में 90 के दशक में उदारीकरण ने एमटीवी, पर्सनल कंप्यूटर और शुरुआती इंटरनेट की राह खोली। व्यावहारिक और स्वतंत्र, वे एनडीटीवी जैसे केबल न्यूज चैनलों की ओर बढ़े। वर्क-लाइफ बैलेंस महत्वपूर्ण था, और खबरें अभी भी रैखिक थीं—टीवी पर तय समय या पत्रिकाओं में।
मिलेनियल्स (जेन Y, 1981-1996)
इंटरनेट के अग्रदूतों ने मोबाइल फोन और सोशल मीडिया का विस्फोट देखा। भारत में फेसबुक और शुरुआती यूट्यूब ने खबरों को साझा बातचीत में बदला। अनुभवों को संपत्ति से ज्यादा महत्व देने वाले मिलेनियल्स ने वर्क फ्लेक्सिबिलिटी को अपनाया। खबरों का उपभोग टुकड़ों में होने लगा—ऐप्स, ब्लॉग्स और वायरल शेयर ने प्राइम-टाइम स्लॉट्स की जगह ले ली।
जेन Z ( 1997 से 2012)
जेन Z आमतौर पर 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए लोगों को कहा जाता है, जो आज 13 से 28 साल की उम्र के बीच हैं। जो सोशल मीडिया और इंटरनेट से गहराई से जुड़ी हुई है। ये लोग नई तकनीक, वैश्विक मुद्दों और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूक हैं।
कोई टिप्पणी नहीं
कोमेंट करनेके लिए धन्यवाद