नेपाल की जेन Z क्रांति: बालेन शाह की उड़ान या राजनीतिक जुआ?
फटाफट पढ़े- यह सम्पादकीय नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि में 2025 के जेन Z प्रदर्शनों पर केंद्रित है, जिन्होंने पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका। फोकस काठमांडू के मेयर बालेन शाह (रैपर, इंजीनियर, 35 वर्षीय स्वतंत्र नेता) पर है, जिन्हें युवा अंतरिम पीएम के रूप में देख रहे हैं। उनकी ताकतें: सोशल मीडिया पर लोकप्रियता, एन्टी-करप्शन छवि, शहरी सुधार (जैसे कचरा प्रबंधन, अवैध निर्माण पर कार्रवाई)। कमजोरियां: मेयर कार्यकाल में ट्रैफिक, प्रदूषण जैसे मुद्दों पर सीमित प्रगति, स्ट्रीट वेंडर्स पर कठोर कार्रवाई की आलोचना, और अनुभव की कमी।
📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » प्रकाशित: 12 सितंबर 2025, 05:30 AM IST
लेखक दीपक कुमार, वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली /काठमाडू :- नेपाल, वह हिमालय की गोद में बसा पड़ोसी देश, जहां सदियों से राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी जमी हुई हैं, आज एक नई पीढ़ी की आग में तप रहा है। सितंबर 2025 में, जेनरेशन Z के युवाओं ने सड़कों पर उतरकर इतिहास रच दिया। सोशल मीडिया बैन, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका, संसद में आग लगा दी और सेना को सड़कों पर उतार दिया। यह सिर्फ विरोध नहीं था, बल्कि एक पीढ़ी का विद्रोह था जो पुरानी राजनीतिक व्यवस्था से थक चुकी है। नेपाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि हमेशा से अस्थिर रही है—2008 में राजतंत्र का अंत होने के बाद से 13 सरकारें बदल चुकी हैं, और भ्रष्टाचार, जातीय विभाजन तथा आर्थिक असमानता ने देश को जकड़ रखा है। लेकिन इस बार, जेन Z ने न सिर्फ आवाज उठाई, बल्कि अंतरिम नेतृत्व चुनने की मांग की, और इसमें सबसे आगे निकला नाम है—बालेन शाह।
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बालेन शाह, या बालेंद्र शाह, एक 35 वर्षीय रैपर, सिविल इंजीनियर और काठमांडू के मेयर, नेपाल की जेन Z के लिए एक आइकन बन चुके हैं। उनके गाने देश की समस्याओं—भ्रष्टाचार, गरीबी और पर्यावरण—पर केंद्रित होते हैं, जो युवाओं के दिल की बात कहते हैं। 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मेयर चुने जाने के बाद, उन्होंने काठमांडू में कचरा प्रबंधन, अवैध निर्माण पर कार्रवाई और युवा-केंद्रित नीतियों से सुर्खियां बटोरीं। उनकी सोशल मीडिया टीम कमाल की है—इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर लाखों फॉलोअर्स, जहां वे सीधे जनता से जुड़ते हैं। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की मांग की, क्योंकि वह एन्टी-करप्शन की छवि रखते हैं और जेन Z के सपनों को प्रतिबिंबित करते हैं। टाइम मैगजीन ने उन्हें उभरते लीडर्स की लिस्ट में शामिल किया, और न्यू यॉर्क टाइम्स ने उनकी प्रशंसा की। युवाओं में उनकी लोकप्रियता ऐसी है कि वे उन्हें "नेपाल का भविष्य" कहते हैं, और प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने शांतिपूर्ण रहने की अपील की, जो उन्हें और मजबूत बनाती है।
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लेकिन हर चमकती चीज सोना नहीं होती। पुराने पत्रकारों और प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, मेयर के रूप में बालेन का कार्यकाल कुछ खास नहीं रहा। काठमांडू में ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और बुनियादी सुविधाओं की कमी अभी भी बरकरार है। कुछ आलोचक उन्हें "पॉपुलिस्ट" कहते हैं, जो सोशल मीडिया पर छवि बनाते हैं लेकिन जमीन पर बदलाव कम लाते हैं। प्रदर्शनकारियों के बीच भी अब निराशा है—बालेन ने खुद अंतरिम पीएम बनने से इनकार कर दिया और पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का समर्थन किया। पब्लिक राय बंटी हुई है: एक्स (पूर्व ट्विटर) पर कुछ उन्हें "जूनियर डेवलपर को लीडर बनाने जैसा" बताते हैं, जबकि अन्य कहते हैं कि वह 5 साल के लिए तैयार हैं, 6 महीने के लिए नहीं। जातीय राजनीति का मुद्दा भी उठा—बालेन मधेशी बौद्ध समुदाय से हैं, लेकिन नेपाल में पहाड़ी ब्राह्मण-क्षत्रिय वर्चस्व ने कभी गैर-जनजातीय नेता को पीएम नहीं बनने दिया।
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पड़ोसी भारत के नजरिए से देखें तो यह कहानी परिचित लगती है। हमारे यहां भी गायक और खिलाड़ी जैसे सेलिब्रिटी सांसद बने, लेकिन ज्यादातर नाकाम रहे—उनकी लोकप्रियता संसद में नीतियां बनाने में काम नहीं आई। बालेन प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, लेकिन क्या एक रैपर की ऊर्जा राष्ट्रीय स्तर पर काम करेगी? नेपाल की जेन Z क्रांति एशिया में युवा सक्रियता का नया पैटर्न दिखाती है—बांग्लादेश से लेकर श्रीलंका तक, युवा पुरानी व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन सवाल यह है: क्या बालेन जैसे नेता इस आग को रोशनी में बदल पाएंगे, या यह सिर्फ एक और राजनीतिक जुआ साबित होगा? आगे देखते हैं, क्योंकि नेपाल का भविष्य अब युवाओं के हाथों में है—और वहां की राजनीति कभी पूर्वानुमानित नहीं रही।
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