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    सोनम वांगचुक विवाद: पाकिस्तान लिंक या राजनीतिक साजिश? FCRA रद्द और गिरफ्तारी पर बड़ा सवाल

     लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान कनेक्शन और FCRA उल्लंघन के आरोप। जानें कौन सही और कौन गलत, जांच क्या कहती है।


    सोनम वांगचुक विवाद: पाकिस्तान लिंक या राजनीतिक साजिश? FCRA रद्द और गिरफ्तारी पर बड़ा सवाल

    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

    वरिष्ठ  संवाददाता,दीपक कुमार , प्रकाशित तिथि: 29 सितंबर, 2025


    नई दिल्ली :- लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर लगे पाकिस्तान कनेक्शन और FCRA उल्लंघन के आरोपों ने पूरे देश को हिला दिया है। 27 सितंबर 2025 को NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत उनकी गिरफ्तारी और जोधपुर जेल ट्रांसफर के बाद ये सवाल और तेज हो गया है—क्या ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है या राजनीतिक दमन? मैंने ताजा समाचार स्रोतों और सोशल मीडिया अपडेट्स से जानकारी इकट्ठा की है। ध्यान दें, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, इसलिए "सही-गलत" का फैसला अंतिम रूप से CBI, MHA या अदालत ही लेगी। नीचे संतुलित विश्लेषण है, जिसमें सरकारी दावे, वांगचुक पक्ष की प्रतिक्रिया और जांच की मौजूदा स्थिति शामिल है।




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    1. पाकिस्तान और बांग्लादेश कनेक्शन: संदिग्ध लिंक या राजनीतिक आरोप?


    सरकारी पक्ष: लद्दाख DGP एस.डी.एस. जम्वाल ने 27 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वांगचुक पर पाकिस्तान से कनेक्शन की जांच चल रही है। मुख्य दावे:

    वांगचुक ने पाकिस्तानी अखबार 'द डॉन' के एक इवेंट में हिस्सा लिया।

    वे बांग्लादेश भी गए थे, जहां से "उकसाने वाले" उदाहरण (जैसे अरब स्प्रिंग, नेपाल क्रांति) लिए।

    एक गिरफ्तार पाकिस्तानी ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) एजेंट से उनका संपर्क पाया गया, जो लद्दाख प्रदर्शनों को भड़काने से जुड़ा माना जा रहा है।

    DGP ने कहा कि वांगचुक के "भड़काऊ भाषणों" ने 24 सितंबर की हिंसक झड़पों को ट्रिगर किया। NSA गिरफ्तारी इसी आधार पर हुई।


    वांगचुक पक्ष: पत्नी गितांजली अंगमो ने NDTV को दिए 28 सितंबर के इंटरव्यू में आरोपों को "निराधार और राजनीतिक" बताया। उन्होंने कहा:

    पाकिस्तान विजिट 4 साल पहले क्लाइमेट चेंज पर थी, जहां वांगचुक ने PM मोदी की "क्लाइमेट मिशन" की तारीफ की थी।

    IB (इंटेलिजेंस ब्यूरो) ने अनशन शुरू होने पर ही FCRA चेतावनी दी, जो "पूर्व-निर्धारित" लगता है।

    "अगर भारत पाकिस्तान से क्रिकेट खेल सकता है, तो क्लाइमेट इवेंट में जाना क्यों गलत?"


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    जांच की स्थिति: प्रोब अभी चल रही है—कोई ठोस सबूत (जैसे दस्तावेज, चैट्स या फाइनेंशियल ट्रेल) सार्वजनिक नहीं। DGP ने "संभावित फॉरेन फंडिंग" का जिक्र किया, लेकिन डिटेल्स नहीं दीं। X पर विपक्षी नेता (जैसे राहुल गांधी) इसे "आवाज दबाना" बता रहे हैं, जबकि समर्थक इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा" का मामला मानते हैं। कोई नया अपडेट (29 सितंबर तक) नहीं—CBI को शामिल किया गया है।


    2. SECMOL और FCRA लाइसेंस रद्द: तकनीकी उल्लंघन या जानबूझकर छुपाव?

    सरकारी पक्ष: गृह मंत्रालय (MHA) ने 25 सितंबर को SECMOL (Students' Educational and Cultural Movement of Ladakh) का FCRA रद्द किया। आरोप:

    2021-22 में ₹3.5 लाख लोकल फंड (भारतीय स्रोत) को FCRA खाते में जमा किया, जो नियमों के खिलाफ।

    विदेशी फंड का इस्तेमाल "राष्ट्रीय संप्रभुता" से जुड़ी गतिविधियों (लद्दाख स्वायत्तता अध्ययन) में।

    5 संदिग्ध ट्रांजेक्शन में "फंड डायवर्जन" (गलत जगह भेजना)।

    SECMOL के स्पष्टीकरण "अपर्याप्त" माने गए।



    वांगचुक पक्ष: गितांजली ने कहा कि फंडिंग पूरी तरह शिक्षा और पर्यावरण (स्कूल सुधार, सोलर प्रोजेक्ट्स) पर थी। "सरकार ने हमारे जवाबों को गलत तरीके से व्याख्या किया—ये राजनीतिक बदला है।" SECMOL ने अदालत में अपील की योजना बनाई है।

    जांच की स्थिति: FCRA रद्दीकरण दस्तावेज-आधारित है, लेकिन CBI प्रोब (28 सितंबर शुरू) फंड फ्लो और एक्टिविटीज वेरिफाई करेगी। ये कई NGOs (जैसे ऑक्सफैम) पर लगे मामलों जैसा है—अक्सर तकनीकी, लेकिन गंभीर। कोई फाइनल रिपोर्ट नहीं; SECMOL अब विदेशी फंड नहीं ले सकता।


    3. विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग: वैध खर्च या सुरक्षा खतरा?


    सरकारी दावा: FCRA प्रोब में फंड को "गैर-परमिशिबल" एक्टिविटीज (प्रदर्शन भड़काना) में लगाने का आरोप। DGP ने कहा कि ये "विदेशी साजिश" से जुड़ा हो सकता है।

    वांगचुक पक्ष: "सभी खर्च पारदर्शी—शिक्षा पर 90% फंड।" गितांजली ने कहा कि अनशन राज्यhood मांग के लिए था, न कि तोड़फोड़ के लिए।

    जांच की स्थिति: प्रोब फोकस्ड है फाइनेंशियल ऑडिट पर। MHA ने "राष्ट्रीय सुरक्षा" का हवाला दिया, लेकिन स्पेसिफिक्स नहीं। X पर डिबेट: कुछ इसे "विच-हंट" बता रहे, अन्य "कानून का पालन"। कोई कन्विक्शन नहीं—अदालत में चैलेंज हो सकता है।


     जांच कहती है—अभी अधूरा चैप्टर


    कौन सही? सरकारी कार्रवाई (NSA, FCRA रद्द) ठोस है और दस्तावेजों पर आधारित, लेकिन पाक कनेक्शन जैसे दावे बयानों तक सीमित—ठोस सबूत गायब। वांगचुक पक्ष को "राजनीतिक दमन" लगता है, खासकर लद्दाख राज्य hood मांग के बीच (4 मौतें, हिंसा)।

    कानूनी कोण: NSA रिमांड 27 सितंबर से चला, लेकिन हाईकोर्ट अपील संभव। CBI रिपोर्ट (अक्टूबर तक?) निर्णायक होगी।

    राजनीतिक कोण: विपक्ष (कांग्रेस, AAP) इसे "लोकतंत्र पर हमला" बता रहा, BJP इसे "शांति बहाली"। X पर #StandWithSonamWangchuk ट्रेंडिंग।

    सुरक्षा कोण: अगर ISI लिंक साबित हुआ, तो गंभीर; वरना, ये FCRA जैसी रूटीन एनफोर्समेंट लगेगी।

    सच्चाई समय बताएगी—वांगचुक पर्यावरण नायक बने रहेंगे या सुरक्षा खतरे? 

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