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    बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी का 'गजवा-ए-हिंद' प्लान: 50 लाख लड़ाकों की धमकी, भारत पर इस्लामी हुकूमत का खुला ब्लूप्रिंट?

     

    बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी का 'गजवा-ए-हिंद' प्लान: 50 लाख लड़ाकों की धमकी, भारत पर इस्लामी हुकूमत का खुला ब्लूप्रिंट?


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

    वरिष्ठ  संवाददाता,दीपक कुमार , प्रकाशित तिथि: 28 सितंबर, 2025


    नई दिल्ली। शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद बांग्लादेश में उभरते इस्लामी कट्टरपंथ की आग अब भारत की ओर मुड़ रही है। जमात-ए-इस्लामी के नायब अमीर सैयद अब्दुल्लाह मोहम्मद ताहिर ने अमेरिका में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में 'गजवा-ए-हिंद' का खुला प्लान बयां किया, जिसमें 50 लाख युवा लड़ाकों को भारत के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध के लिए तैयार बताया। यह बयान न सिर्फ भारत के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि पड़ोसी मुल्क की राजनीतिक अस्थिरता को भी उजागर करता है। 


    सपने या साजिश—यह सवाल बांग्लादेश के इस्लामी कट्टरपंथियों के दिमाग में घूम रहा है। 27 सितंबर 2025 को न्यूयॉर्क में बांग्लादेश-अमेरिकन एसोसिएशन के कार्यक्रम में जमात-ए-इस्लामी के नायब अमीर सैयद अब्दुल्लाह मोहम्मद ताहिर ने चेतावनी दी: "अगर हम सत्ता में आए, तो कम से कम 50 लाख युवा भारत के खिलाफ आजादी की जंग लड़ेंगे।" यह 'गजवा-ए-हिंद' का संदर्भ है—एक पुरानी हदीस से प्रेरित अवधारणा, जो भारत पर इस्लामी विजय का सपना बुनती है। ताहिर ने कहा कि भारत अगर हस्तक्षेप करेगा, तो वे सात बहनों (नॉर्थईस्ट) से शुरुआत कर पूरे देश में फैल जाएंगे, भारत को 50 हिस्सों में बांट देंगे।



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    यह बयान मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के साथ यूएनजीए यात्रा के दौरान आया, जहां ताहिर प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। लेकिन यह सिर्फ शब्द नहीं; यह उन लाखों युवाओं की हताशा को छूता है जो आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं। भारत के लिए यह पड़ोसी की साजिश का संकेत है, जहां पाकिस्तान की छाया और कट्टरवाद का मिश्रण खतरनाक साबित हो सकता है। मानव भावना की बात करें, तो यह डरावना है—परिवार टूटने, सीमाओं पर तनाव बढ़ने का अंदेशा। लेकिन क्या यह खोखली धमकी है या असली खतरा? समय बताएगा, पर सतर्कता जरूरी है।



    भू-राजनीतिक विश्लेषण

    यह बयान बांग्लादेश की बदलती राजनीति का आईना है। शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद (अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन से शुरू हुई अशांति के बाद) मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी को राजनीतिक मंच पर वापस ला दिया। जून 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया, जिससे यह कट्टरपंथी संगठन फिर सक्रिय हो गया। ताहिर का भाषण न्यूयॉर्क के एक कार्यक्रम में हुआ, जहां वे यूनुस के प्रतिनिधिमंडल के साथ यूएन महासभा में थे। यह 'समावेशी' दृष्टिकोण का हिस्सा था, लेकिन अब यह भारत-विरोधी जहर फैला रहा है।



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    मुख्य बिंदु:


    गजवा-ए-हिंद का मतलब: यह इस्लामी कट्टरपंथियों की अवधारणा है, जो हदीसों पर आधारित बताई जाती है—भारत पर 'पवित्र युद्ध' से इस्लामी शासन स्थापित करने का। ताहिर ने इसे 'आजादी की जंग' बताया, जिसमें गुरिल्ला युद्ध, नॉर्थईस्ट से शुरुआत और भारत को बांटने की योजना शामिल है। X पर वायरल वीडियो में वे कहते हैं, "यह पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की भविष्यवाणी है।"


    पाकिस्तान का हाथ: जमात-ए-इस्लामी का पाकिस्तान से गहरा नाता है। अगस्त 2025 में पाकिस्तानी डिप्टी पीएम इशाक डार ने ताहिर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। यह भारत के खिलाफ साझा दुश्मनी को मजबूत करता है, खासकर जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिंदू) हमलों की खबरें आ रही हैं।


    भारत के लिए खतरा: 50 लाख लड़ाकों का दावा अतिशयोक्ति लगता है, लेकिन सीमावर्ती राज्यों (बंगाल, असम, त्रिपुरा) में घुसपैठ और कट्टरवाद का प्रसार चिंताजनक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यूनुस सरकार के बाद फरवरी 2026 चुनाव में जमात की भूमिका बढ़ सकती है, जो भारत के लिए सैन्य हस्तक्षेप की धमकी को आमंत्रित करेगी।


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    विपक्षी दृष्टि: बांग्लादेश में BNP और अन्य दल इसे 'समावेशी' बताते हैं, लेकिन भारत में यह पाक-प्रायोजित साजिश के रूप में देखा जा रहा है। X पर बहस तेज है—कुछ इसे खोखला बयानबाजी कहते हैं, तो कुछ सतर्कता की मांग कर रहे हैं।



    यह घटना सिर्फ बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। भारत को कूटनीतिक स्तर पर यूनुस सरकार से बातचीत बढ़ानी चाहिए, साथ ही सीमा सुरक्षा मजबूत करनी होगी। लेकिन सवाल यह है: क्या यह धमकी यथार्थ बनेगी, या सिर्फ चुनावी डर फैलाने का हथियार?

    क्या आपको लगता है कि भारत को सैन्य तैयारी करनी चाहिए, या कूटनीति ही काफी है? अपनी राय कमेंट्स में साझा करें!


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