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    सूडान के अल फशर में मस्जिद पर ड्रोन हमला: 75 से अधिक नमाजियों की मौत

    सूडान के अल फशर में मस्जिद पर ड्रोन हमला: 75 से अधिक नमाजियों की मौत


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

    मिडिया रिपोर्ट 


    नई दिल्ली, 20 सितंबर 2025 – सूडान की उत्तरी दारफुर प्रांत की राजधानी अल फशर शहर में शुक्रवार सुबह एक भयानक घटना ने दुनिया को झकझोर दिया। एक मस्जिद पर ड्रोन से किया गया हमला नमाज अदा कर रहे निर्दोष नागरिकों पर कहर बनकर टूट पड़ा। स्थानीय चिकित्सा समूहों और मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, इस हमले में कम से कम 75 लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं। यह हमला सूडान की चल रही गृहयुद्ध की क्रूरता का एक और उदाहरण है, जहां सैन्य बलों और अर्धसैनिक संगठनों के बीच झड़पें अब आम नागरिकों को निशाना बना रही हैं।


    घटना का विवरण: नमाज के दौरान खौफनाक हमला

    शुक्रवार की सुबह, जब अल फशर के अल-सफिया मस्जिद में सैकड़ों लोग जुमे की नमाज के लिए जुटे थे, तभी रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के ड्रोन ने हमला बोल दिया। सूडान डॉक्टर्स नेटवर्क (SDN) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि इस हमले में कई बुजुर्ग और बच्चे भी शिकार हो गए। SDN ने इसे "नृशंस अपराध" करार दिया, जो "मानवीय और धार्मिक मूल्यों तथा अंतरराष्ट्रीय कानून की खुलेआम अवहेलना" दर्शाता है।



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    स्थानीय रेसिस्टेंस कमेटीज ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें मस्जिद के मलबे में बिखरी लाशें और ध्वस्त दीवारें दिखाई दे रही हैं। सूडान की सेना की छठी इन्फैंट्री डिवीजन ने बयान जारी कर कहा कि हमले में 75 से अधिक नागरिक शहीद हुए, जिनमें विस्थापित लोग भी शामिल थे। यह हमला अल फशर में RSF की ओर से पिछले हफ्ते से चल रही आक्रामक कार्रवाइयों का हिस्सा है, जहां सेना का यह आखिरी गढ़ अब खतरे में है।


    अल फशर पर RSF का घेराबंदी पिछले 18 महीनों से जारी है। RSF ने शहर के चारों ओर 20 मील लंबी मिट्टी की दीवार खड़ी कर दी है, जो भोजन और दवाओं की आपूर्ति रोक रही है। शहर में 2.6 लाख से अधिक नागरिक फंस चुके हैं, जहां भुखमरी का साया मंडरा रहा है।


    सूडान का गृहयुद्ध: दारफुर का खूनी खेल

    सूडान में अप्रैल 2023 से सेना (SAF) और RSF के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है, जो अब तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इस संघर्ष में 40,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 1.2 करोड़ अन्य विस्थापित हो चुके हैं। दारफुर क्षेत्र, जहां RSF का मजबूत आधार है, सबसे अधिक प्रभावित है। अल फशर सेना का आखिरी किला है, और अगर यह गिर गया तो RSF पूरे दारफुर पर कब्जा जमा लेगा।


    संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की पहली छमाही में 3,384 नागरिक मारे गए – जो 2024 के कुल नागरिक हताहतों (4,238) का 80% है। अधिकांश मौतें तोपखाने, हवाई और ड्रोन हमलों से हुईं, खासकर घनी आबादी वाले इलाकों में। रिपोर्ट में जातीय हिंसा, यौन हिंसा और प्रतिशोधी कार्रवाइयों का भी जिक्र है।


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    RSF पर आरोप है कि यह संगठन संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से हथियार, चिकित्सा सहायता और चीनी ड्रोन प्राप्त कर रहा है। सूडान सरकार ने UAE पर RSF को समर्थन देने का आरोप लगाया है। RSF ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह उनकी रणनीति का हिस्सा है।


    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चिंता और चेतावनी

    संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अल फशर का गिरना "जनसंहार" का खतरा पैदा कर सकता है, जैसा कि 2023 में जिनीना और इस साल जामजाम में देखा गया। Avaaz जैसे संगठनों ने कहा कि RSF द्वारा जातीय लक्षित हमलों की आशंका है। WHO और अन्य एजेंसियां भुखमरी और महामारी के कगार पर खड़े सूडान को मानवीय सहायता पहुंचाने की मांग कर रही हैं।


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    भारत ने भी सूडान संकट पर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत शांति वार्ता का समर्थन करता है और मानवीय सहायता भेज रहा है। लेकिन वैश्विक स्तर पर, युद्ध की अनदेखी हो रही है – UN ने इसे "21वीं सदी का सबसे बुरा मानवीय संकट" बताया है।

    यह घटना सूडान के भविष्य पर सवाल खड़े करती है। क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय जागेगा, या दारफुर की मिट्टी और खून से लाल होती रहेगी? आपकी राय क्या है? कमेंट में बताएं।

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