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    मेहरौली का दर्द: बरसाती पानी की लहर में बह गया एक माँ का सपना, राजनीति भंवर में डूब गई युवक की जिन्दगी

    मेहरौली का दर्द: बरसाती पानी की लहर में बह गया एक माँ का सपना, राजनीति भंवर में डूब गई युवक की जिन्दगी


    📝We News 24 :डिजिटल डेस्क » 

     वरिष्ठ  संवाददाता, दीपक कुमार, प्रकाशित तिथि: 1 अक्टूबर 2025


    नई दिल्ली :- एक मां की गोद, जो कभी अपने 32 साल के लाल की हंसी से गूंजती थी, आज आंसुओं से भीग रही है। दक्षिणी दिल्ली के मेहरौली में बिन मौसम की बरसात ने एक युवक की जिंदगी छीन ली – तेज बहाव वाले पानी ने उसे नाले में समा लिया। नाम था देवेन्द्र उर्फ़ प्रभु  लेकिन एक नाम जो हर मां का बेटा बन गया)। क्या यह हत्या थी, या महज एक दुर्घटना? सवाल तो वही है, लेकिन जवाब छिपा है उन जिम्मेदारों की लापरवाही में, जो वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन सुविधाएं देने से कतराते हैं। अभी तक  देवेन्द्र उर्फ़ प्रभु  की बोदी नहीं मिली है पुलिस फायर बिग्रेड की संयुत ओपरेश चल रहा है .


    महरौली की गलियां, जहां हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह की मन्नतें और माता योगमाया के मंदिर की घंटियां गूंजती हैं, आज एक मां की चीख से थर्रा रही हैं। बिन मौसम की बरसात ने 32 साल के एक युवक को नाले के तेज बहाव में बहा लिया, लेकिन यह पहली बार नहीं। सात-आठ साल पहले, जब बीजेपी की आरती सिंह – जो खुद को पत्रकार बताती हैं और मौजूदा विधायक की पत्नी हैं – मेहरौली की पार्षद थीं, तब भी एक मासूम स्कूली बच्चा इसी तरह MCD स्कूल के पास नाले में बह गया था। इतिहास खुद को दोहरा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की जवाबदेही गायब। यह केवल एक मौत नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी की वह काली किताब है, जो बार-बार खुलती है और हर बार कोई मां रोती है।



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    बिन मौसम की बरसात ने 30 सितंबर को मेहरौली को भिगोया, लेकिन पानी ने साथ में ले लिया एक जिंदगी। युवक, जो शायद अपने सपनों को चूम रहा था, अचानक बहाव में फंस गया। जगह वही – दरगाह के पास का नाला, जहां मेहरौली का सारा पानी एकत्र होकर नदी की तरह उफनता है। MCD का खुला नाला, बिना किसी सुरक्षा के, मानो मौत का जाल बिछाए बैठा हो। युवक का शव बाद में मिला, लेकिन सवालों का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा। पुलिस ने इसे दुर्घटना करार दिया, लेकिन स्थानीयों का गुस्सा साफ कहता है: "यह हत्या है – लापरवाही की हत्या।" आखिर, क्यों नाले पर सुरक्षा जाल गायब था? क्यों बरसात का पानी शहर की सड़कों को नदियां बना देता है?



    बरसात की विभीषिका: मेहरौली का पुराना दर्द, नया आंसू

    मेहरौली – दिल्ली का वह कोना, जहां इतिहास की दीवारें खड़ी हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की नींव कमजोर। हर बरसात में यही होता है: पानी का तेज बहाव, जो गलियों को डुबो देता है। दरगाह के पास का नाला तो खासतौर पर खतरनाक – सारा इलाके का पानी यहीं से गुजरता है, और बहाव इतना जोरदार कि कुछ  भी बहा ले जाए। स्थानीय लोग  बताते हैं, "यह नाला नहीं, मौत का रास्ता है।" युवक की मौत ने पुरानी यादें ताजा कर दीं – जिस पर खूब बवाल मचा। तब भी राजनीति हुई, लेकिन कुछ बदला? नहीं। आज फिर वही सवाल: क्या यह प्राकृतिक आपदा थी, या प्रसासनिक चूक?



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    राजनीति का खेल: जाल कहां गया, जिम्मेदारी किसकी?

    घटना के बाद मेहरौली की सड़कों पर राजनीति का रंग चढ़ गया। पूर्व पार्षद पुष्पा सिंह (कांग्रेस ) ने तीखा प्रहार किया: "जब हम पार्षद थे, तो नाले पर बड़ा लोहे का जाल लगवाया था – ताकि कोई जान-माल का नुकसान न हो। अब सवाल ये: कब लगाया था, और उस जाल को किसने निकाला?"  वर्तमान पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी (आम आदमी पार्टी) पर उंगली उठी, जबकि विधायक (बीजेपी) पर भी सवाल। विधायक और पार्षदमेहरौली के ही ,  आम जनता का कहना है एक तरफ विधायक अपनी नई चमचमाती  लग्जरी गाड़ी पर Hooter-siren बजाते रौब झाड़ते महरौली से निकलते हैं (जो पूरी तरह गैरकानूनी है),  दूसरी तरफ पार्षद भी जिम्मेदारी से मुंह फेर लेते हैं।



    सांसद क्या कर रहे हैं? विधायक-पार्षद की जोड़ी क्या सिर्फ चुनावी मौसम में याद आती है? अगर ये लोग अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते, तो आज वह मां की गोद खाली न होती। स्थानीयों का गुस्सा फूट पड़ा: "ये जनप्रतिनिधि हैं या तमाशबीन? वोट लेने आते हैं, लेकिन नाला साफ करवाने की फिक्र नहीं।" राजनीतिक दलों के बीच दोषारोपण तेज हो गया – AAP ने MCD (बीजेपी) पर लापरवाही का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने पुरानी सरकार को कोसा। लेकिन सच्चाई? सबकी मिलीभगत। 



    मेहरौली का दर्द: बरसाती पानी की लहर में बह गया एक माँ का सपना, राजनीति भंवर में डूब गई युवक की जिन्दगी


    जाल का रहस्य: "किसने निकाला?" – पूर्व पार्षद का सवाल, जो अनुत्तरित है

    पूर्व पार्षद पुष्पा सिंह का सवाल अभी भी हवा में लटका है: "जब हम पार्षद थे, तो नाले पर बड़ा लोहे का जाल लगवाया था – ताकि कोई जान-माल का नुकसान न हो। अब सवाल ये: कब लगाया था, और किसने निकाला?" यह सवाल केवल तकनीकी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का है। वर्तमान पार्षद रेखा महेंद्र चौधरी (आम आदमी पार्टी) पर उंगली उठी, विधायक (बीजेपी) पर भी। विधायक मेहरौली के ही हैं, लेकिन बरसात आते ही गायब। एक तरफ विधायक अपनी लग्जरी गाड़ी पर हooter-siren बजाते रौब झाड़ते हैं – जो पूरी तरह गैरकानूनी है – दूसरी तरफ पार्षद जिम्मेदारी से मुंह फेर लेते हैं। सांसद क्या कर रहे हैं? विधायक-संसद की जोड़ी क्या सिर्फ चुनावी ड्रामा के लिए है?



    और अब इंदु शर्मा की एंट्री ने आग में घी डाल दिया। पूर्व पार्षद प्रत्याशी इंदु शर्मा, जो मेहरौली की गलियों की पुकार जानती हैं, ने कहा: "इन सभी को मेहरौली की समस्या अच्छी तरह से पता है। विधायक भी इनसे अनजान बनने की कोशिश नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी पत्नी आरती सिंह – जो अपने को पत्रकार कहती है – पांच साल पार्षद रही। क्या उन्होंने मेहरौली के लिए क्या किया? और अब विधायक भी अपने को पत्रकार बता रहे हैं। पता नहीं, इन लोगों ने कहा और कब पत्रकारिता किया?" उनका गुस्सा साफ है: पत्रकारिता का नाम लेकर सत्ता का दुरुपयोग। आरती सिंह पर तंज – जो पांच साल पार्षद रहीं, लेकिन इलाके के लिए क्या? नाले साफ न हुए, सड़कें टूटी रहीं, पानी की समस्या बनी रही। और अब, जब मौत हो गई, तो सब चुप। इंदु शर्मा की यह आवाज मेहरौली की उन बेटियों की है, जो बदलाव चाहती हैं।



    एक मां की चीख:  जो दिल दहला दे

    सोचिए उस मां को – बेटा गया काम पर, शाम को लौटना था। लेकिन लौटा ही नहीं। "मेरा बेटा... वह तो बस सपने बुन रहा था," वह रोते हुए कहती हैं। पड़ोसी बताते हैं, युवक एक साधारण परिवार से था – ऑटो चलता था और अपने परिवार का पेट पलता था। प्रशासन की लापरवाही और बरसात ने सब बहा दिया। यह कहानी हर उस परिवार की है, जो दिल्ली की चकाचौंध में छिपे दर्द से जूझ रहा है। राजनीति तो चलेगी, लेकिन क्या कोई मां की गोद भर पाएगा?



    आवाज उठाओ, बदलाव लाओ: मेहरौली की पुकार

    यह घटना एक सबक है – नेताओं के लिए, सिस्टम के लिए। जिम्मेदार कौन? सब! सांसद-विधायक-पार्षद सबकी जवाबदेही है। मेहरौली की जनता अब चुप नहीं रहेगी। डिमांड साफ: नालों पर जाल लगाओ, ड्रेनेज साफ करो, और Hooter बंद करो। अगर वोट की ताकत से ये नेता बने हैं, तो उसी से बदलाव लाना होगा।

    क्या आप मेहरौली के हैं? या किसी और इलाके के, जहां बरसात मौत लाती है? अपनी कहानी शेयर करें – क्योंकि एक आवाज हजारों बदलाव ला सकती है। उस मां को सलाम, और उन नेताओं को चेतावनी: जिम्मेदारी निभाओ, वरना वोट की लहर तुम्हें बहा लेगी।


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