अमेरिका में 6 साल बाद फिर सरकारी शटडाउन: क्या है इसका मतलब, और क्यों बनेगा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सिरदर्द?
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वॉशिंगटन डीसी, व्हाइट हाउस के बाहर खड़े हजारों फेडरल कर्मचारी, हाथों में साइनबोर्ड लिए चुपचाप खड़े, जबकि कैपिटल हिल पर राजनीतिक जंग चरम पर है। 2019 के बाद पहली बार – यानी पूरे 6 साल बाद – अमेरिकी सरकार आंशिक रूप से ठप हो गई है। मिडनाइट के ठीक बाद सीनेट में फंडिंग बिल 55-45 के वोट से गिर गया, और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत संघीय कर्मचारियों की छंटनी की धमकी दे दी। यह केवल वॉशिंगटन की सियासी लड़ाई नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दिल धड़कना बंद हो गया है। हवाई अड्डों पर लंबी कतारें, आर्थिक रिपोर्ट्स की रुकावट, छोटे व्यवसायों के लोन अटके – लाखों जिंदगियां प्रभावित। लेकिन सवाल वही पुराना: क्या यह शटडाउन सिर्फ कुछ दिनों का तमाशा बनेगा, या महीनों तक चलेगा?
यह शटडाउन 30 सितंबर 2025 को खत्म हुए फिस्कल ईयर 2025 के फंडिंग का नतीजा है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच बजट पर गतिरोध ने सरकार को "नॉन-एसेंशियल" सेवाओं से बंद कर दिया। ट्रंप प्रशासन ने इसे "डेमोक्रेट्स की जिद" बताया, जबकि विपक्ष इसे "ट्रंप की कट्टरता"। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स का सत्र न होने से आखिरी मिनट का कोई समझौता मुश्किल लग रहा है। लेकिन इसका मतलब क्या है, और असर कितना गहरा होगा? आइए समझते हैं।
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सरकारी शटडाउन का मतलब: फंडिंग का सूखा, सेवाओं का संकट
अमेरिका में शटडाउन तब होता है जब कांग्रेस फेडरल बजट पास न कर सके। संविधान के मुताबिक, सरकार बिना फंडिंग के चल नहीं सकती। "शटडाउन" का मतलब है:
आंशिक बंद: एसेंशियल सर्विसेज (जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, एयर ट्रैफिक कंट्रोल) चलती रहेंगी, लेकिन नॉन-एसेंशियल (जैसे नेशनल पार्क, IRS रिफंड) रुक जाएंगी।
फरलो और बैक पे: लगभग 7.5 लाख फेडरल कर्मचारी बिना पे के फरलो पर भेजे जाएंगे। बाद में बैक पे मिलेगा, लेकिन ट्रंप ने कुछ को "फायर" करने की धमकी दी है।
ऐतिहासिक संदर्भ: 2018-19 में ट्रंप के समय 35 दिनों का सबसे लंबा शटडाउन हुआ था। अब 2025 में फिर वही तस्वीर।
यह कोई नई बात नहीं – 1976 से 20 बार हो चुका है, लेकिन हर बार अर्थव्यवस्था को झटका लगता है।
असर: अमेरिका से दुनिया तक, हर कोने पर छाया संकट
शटडाउन का असर तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों होगा। यहां मुख्य प्रभावों की झलक:
क्षेत्र :- फेडरल कर्मचारी तात्कालिक असर :- 7.5 लाख फरलो पर; 50,000 को तुरंत छुट्टी। वेतन रुकेगा, लेकिन बाद में मिलेगा। दीर्घकालिक प्रभाव :- आर्थिक तंगी से उपभोग घटेगा; GDP पर 0.1-0.2% असर।
क्षेत्र :- हवाई यात्रा तात्कालिक असर :-TSA स्टाफ कम, लंबी लाइनें; FAA उड़ानें प्रभावित। दीर्घकालिक प्रभाव :- पर्यटन और व्यापार प्रभावित; एयरलाइंस को नुकसान।
क्षेत्र :-आर्थिक रिपोर्ट्स तात्कालिक असर :- मासिक जॉब रिपोर्ट (BLS) डिले; GDP डेटा रुकेगा। दीर्घकालिक प्रभाव :-निवेशक भरोसा कम; स्टॉक मार्केट अस्थिर।
क्षेत्र :- छोटे व्यवसाय तात्कालिक असर :- SBA लोन बंद; ग्रांट्स रुकेंगी। दीर्घकालिक प्रभाव :- 10 लाख+ व्यवसाय प्रभावित; नौकरियां खतरे में।
क्षेत्र :- सुरक्षा और स्वास्थ्य तात्कालिक असर :- IRS रिफंड रुकेंगे; CDC रिसर्च प्रभावित, लेकिन जरूरी दवाएं जारी। दीर्घकालिक प्रभाव :- महामारी निगरानी कमजोर; स्वास्थ्य बजट कट।
क्षेत्र :-वैश्विक अर्थव्यवस्था तात्कालिक असर :- डॉलर मजबूत, लेकिन सप्लाई चेन बाधित। दीर्घकालिक प्रभाव :- भारत जैसे देशों पर अप्रत्यक्ष असर; निर्यात घटेगा।
ट्रंप की धमकी से 50,000 कर्मचारियों को तुरंत छुट्टी पर भेजा जा सकता है। आर्थिक रूप से, हर सप्ताह 10-15 अरब डॉलर का नुकसान अनुमानित है।
राजनीतिक बैकग्राउंड: ट्रंप vs डेमोक्रेट्स की जंग
ट्रंप की दूसरी पारी (2024 इलेक्शन के बाद) में बजट पर विवाद गहरा गया। रिपब्लिकन्स ने "क्लीन बिल" मांगा, जबकि डेमोक्रेट्स ने इमिग्रेशन और हेल्थकेयर पर शर्तें लगाईं। सीनेट में 55-45 वोट से बिल गिरा, और हाउस सत्र न होने से कोई राह नहीं। व्हाइट हाउस ने इसे "डेमोक्रेट्स की विफलता" बताया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह 2018 जैसा लंबा हो सकता है।
कितना चलेगा, और क्या होगा भारत पर असर?
शटडाउन जितना लंबा, उतना नुकसान। 2018 में 35 दिनों में 110 अरब डॉलर का खर्च आया। अब ट्रंप की "मास लेऑफ" धमकी से जल्द समाधान मुश्किल। भारत के लिए: अमेरिकी आयात घटने से निर्यात प्रभावित, IT सेक्टर पर दबाव। लेकिन डॉलर मजबूत होने से रेमिटेंस बढ़ सकता है।
यह शटडाउन अमेरिकी लोकतंत्र की कमजोरी उजागर करता है – जहां राजनीति अर्थव्यवस्था को बंधक बना लेती है। क्या ट्रंप का दांव उल्टा पड़ेगा? पाठकों, आपकी क्या राय है? कमेंट्स में बताएं – क्योंकि दुनिया की धड़कन वॉशिंगटन में थम गई है!
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