मोकामा हत्याकांड: चुनावी रंजिश में दुलारचंद यादव की बेरहमी से हत्या, अनंत सिंह पर गंभीर आरोप
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संवाददाता,ललित भगत
अपडेटेड: 31 अक्टूबर 2025, शाम 7:26 बजे (IST)
बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी आग उग्र हो चुकी है। जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार अभियान के दौरान उनके समर्थक और स्थानीय दबंग नेता दुलारचंद यादव (70) की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई। यह घटना गुरुवार दोपहर साढ़े तीन बजे भदौर थाना क्षेत्र के बसावनचक गांव के पास हुई, जब दोनों पक्षों के काफिले आमने-सामने आ गए। हत्या के बाद इलाके में तनाव चरम पर है, पूरा मोकामा पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। ग्रामीणों का आक्रोश इतना भयानक था कि पुलिस को 16 घंटे तक शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाना पड़ा।
दुलारचंद यादव, जो कभी लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे और अब जनसुराज के प्रति समर्पित थे, की यह हत्या न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि बिहार की राजनीति में हिंसा की चेतावनी का प्रतीक बन गई है। उनके पोते नीरज कुमार ने रोते हुए कहा, "दादाजी ने पीयूष जी को बचाने के लिए खुद को आगे किया, लेकिन अनंत सिंह के गुंडों ने पहले गोली मारी और फिर गाड़ी चढ़ा दी। यह साजिश थी, न्याय मिलना चाहिए।" परिवार की यह पीड़ा हर उस परिवार को झकझोर रही है, जो चुनावी हिंसा का शिकार होता है।
तीन FIR दर्ज: नामजद और अज्ञातों पर गंभीर आरोप
पुलिस ने भदौर थाने में तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की हैं, जो इस घटना की गंभीरता को उजागर करती हैं।
पहली FIR: मृतक के पोते नीरज कुमार की शिकायत पर दर्ज। इसमें जदयू प्रत्याशी और पूर्व विधायक अनंत सिंह, उनके भतीजे कर्मवीर सिंह, राजवीर सिंह, कंजय सिंह और छोटन सिंह को नामजद किया गया है। आरोप है कि पीयूष प्रियदर्शी के प्रचार के दौरान इन्होंने सुनियोजित तरीके से हमला करवाया। अनंत सिंह की बढ़ती मुश्किलें साफ नजर आ रही हैं, क्योंकि यह FIR हत्या, आर्म्स एक्ट और IPC की कई धाराओं के तहत है।
पहली FIR: नालंदा जिले के हरनौत थाना क्षेत्र के पुआरी गांव निवासी जितेंद्र कुमार (बलराम सिंह के बेटे) की शिकायत पर। इसमें जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, लखन महतो, बाजो महतो, नीतीश महतो, ईश्वर महतो, अजय महतो समेत 100 से अधिक अज्ञात लोगों पर हत्या की नीयत से पिस्तौल चलाने, लाठी-डंडों से हमला करने और वाहनों की तोड़फोड़ का आरोप है।
तीसरी FIR: थानाध्यक्ष रविरंजन चौहान ने अपनी ओर से दर्ज की। इसमें दोनों उम्मीदवारों के अज्ञात समर्थकों पर सार्वजनिक स्थल पर फायरिंग, पथराव और वाहनों में तोड़फोड़ का आरोप लगाया गया है। दहशत फैलाने और कानून-व्यवस्था भंग करने के लिए IPC की धारा 307, 120B समेत कई धाराएं जोड़ी गई हैं।
पुलिस अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है, लेकिन अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। एसपी विक्रम सिहाग ने कहा, "जांच तेजी से चल रही है, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"
मोकामा से बाढ़ तक बवाल: ग्रामीणों का आक्रोश फूटा
हत्या के तुरंत बाद दुलारचंद के समर्थकों का गुस्सा भड़क उठा। ग्रामीणों ने शव को छुआ तक नहीं जाने दिया, जिससे पुलिस हिल गई। गुरुवार शाम से शुक्रवार सुबह तक 16 घंटे का ड्रामा चला। आखिरकार, राजद प्रत्याशी वीणा देवी, पीयूष प्रियदर्शी और परिवार की सहमति से ट्रैक्टर-ट्रॉली पर शव लादा गया। लेकिन रास्ते में उत्पात शुरू हो गया।
मोर चौक से सुल्तानपुर तक अनंत सिंह के पोस्टर-बैनर फाड़े गए, नारेबाजी गूंजी। कन्हाईपुर गांव में तो ट्रैक्टर रोककर 10 मिनट तक हंगामा हुआ। पंडारक सीमा पर वीणा देवी की गाड़ी पर पथराव हुआ, शीशे टूट गए। बाढ़ अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचने में छह घंटे लग गए। इस दौरान तारतार से बाढ़ तक परिवहन व्यवस्था ठप रही। सांसद पप्पू यादव भी तारतर गांव पहुंचे और उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
वीणा देवी ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "यह लोकतंत्र पर हमला है। दोषियों को सजा मिले, वरना बिहार फिर जंगलराज की ओर लौटेगा।" वहीं, अनंत सिंह ने पलटवार किया, "यह सूरजभान सिंह का खेल है। दुलारचंद उनके साथ रहता था, हमारी गाड़ियों पर भी हमला हुआ।" जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, "गरीब दबने वाला नहीं है। यह NDA का महान जंगलराज है।"
दुलारचंद यादव: एक दबंग नेता की दर्दनाक विदाई
दुलारचंद यादव मोकामा टाल के बाहुबली थे, जिनका बाढ़-मोकामा में जबरदस्त दबदबा था। लालू-नीतीश के दौर में सक्रिय रहे, लेकिन हाल में जनसुराज से जुड़े। उन्होंने पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार गीत तक रिकॉर्ड करवाया था। उनका आपराधिक रिकॉर्ड रहा, लेकिन इलाके में वे न्याय के प्रतीक थे। पीयूष प्रियदर्शी ने भावुक होकर कहा, "मैं निशाना था, लेकिन दुलारचंद जी ने मुझे बचाया। यह उनकी कुर्बानी नहीं भूलेंगे।"
यह हत्या बिहार चुनाव 2025 की हिंसक तस्वीर पेश कर रही है। जेडीयू प्रवक्ता नीज कुमार ने निंदा की, लेकिन केंद्रीय जांच की मांग तेज हो रही है। फिलहाल, मोकामा में शांति बहाल करने के लिए गश्त बढ़ाई गई है, लेकिन घाव गहरे हैं। क्या यह चुनावी हिंसा थमेगी, या बिहार फिर रक्तरंजित सड़कों का गवाह बनेगा? समय ही बताएगा।
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