'2013 के बाद देश सुरक्षित, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं': एनएसए अजीत डोभाल का दावा,
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संवाददाता,प्रियंका जयसवाल .अपडेटेड: 1 नवंबर 2025, सुबह 10:30 बजे (IST)
नई दिल्ली | देश की सुरक्षा की मजबूत दीवार का श्रेय देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने एक बड़ा दावा किया है। सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 2013 के बाद से जम्मू-कश्मीर को छोड़कर भारत के किसी भी आंतरिक इलाके में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। यह बयान न केवल सरकारी नीतियों की सफलता का प्रतीक है, बल्कि उन लाखों भारतीयों के लिए आश्वासन भी, जो रोजमर्रा की जिंदगी में सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं। डोभाल ने 2005 की दिल्ली बम धमाकों और 2013 की पटना ब्लास्ट जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बाद दुश्मनों की साजिशें नाकाम रही हैं।
एनएसए डोभाल की यह बातें सरदार पटेल के विजन से प्रेरित लगती हैं, जहां उन्होंने एक मजबूत, एकीकृत भारत की कल्पना की थी। आज, जब वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की आग फैली हुई है, भारत का यह रिकॉर्ड निश्चित रूप से गर्व का विषय है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? आइए, तथ्यों की पड़ताल करें और समझें कि कैसे भारत ने अपनी आंतरिक सुरक्षा को लोहे की तरह अटल बनाया है।
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2013 के बाद 'शून्य' बड़े हमले: तथ्य क्या कहते हैं?
एनएसए ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "तथ्य तथ्य हैं, इन पर विवाद नहीं हो सकता। 1 जुलाई 2005 को दिल्ली में बड़ा आतंकी हमला हुआ था, और आखिरी घटना 2013 में आंतरिक इलाकों में। उसके बाद जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरा देश आतंकी हमलों से मुक्त रहा।" उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित प्रॉक्सी वॉर को जम्मू-कश्मीर की अलग चुनौती बताया, जो बाकी देश से अलग है।
यह दावा सरकारी आंकड़ों से मेल खाता है। गृह मंत्रालय के अनुसार, 2014 से 2024 तक आंतरिक क्षेत्रों (हिंटरलैंड) में बड़े पैमाने के आतंकी हमलों की कोई घटना दर्ज नहीं हुई। छोटी-मोटी घटनाएं या नक्सली हिंसा को 'बड़े आतंकी हमले' की श्रेणी में नहीं गिना जाता। उदाहरण के लिए:
2016 उरी हमला: जम्मू-कश्मीर में।
2019 पुलवामा: फिर जम्मू-कश्मीर।
2023 राजौरी: सीमा क्षेत्र।
आंतरिक इलाकों में 2013 के बाद कोई ऐसा हमला नहीं, जहां दर्जनों निर्दोष मारे गए हों। यह सफलता खुफिया तंत्र, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की सतर्कता का नतीजा है। डोभाल ने कहा, "दुश्मन सक्रिय रहे, लेकिन हमारी रोकथाम ने उन्हें सफल नहीं होने दिया। गिरफ्तारियां हुईं, विस्फोटक बरामद हुए।"
वामपंथी उग्रवाद: 89% क्षेत्र मुक्त, विकास की नई सुबह
एनएसए ने वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) में आई जबरदस्त कमी पर भी प्रकाश डाला। 2014 में जहां 126 जिले प्रभावित थे, वहीं अब यह सिर्फ 11% क्षेत्र तक सिमट गया है। अधिकांश जिले अब 'सुरक्षित' घोषित हो चुके हैं। छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं, जहां कभी नक्सली छाया थी।
डोभाल ने इसे 'सौभाग्य' बताया, लेकिन पीछे सालों की मेहनत है। सरकारी योजनाओं जैसे 'समग्र सशक्तिकरण' और 'सिविल आर्म्ड फोर्सेस' की भूमिका ने उग्रवादियों को मुख्यधारा में लौटाया। आज, पूर्व नक्सली क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल और सड़कें बन रही हैं, जो गरीबी और अलगाव की जड़ को काट रही हैं।
'प्रतिरोधक क्षमता': जवाब देने की ताकत और हर नागरिक का भरोसा
एनएसए ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा सिर्फ उपाय नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति है। भारत ने 'डिटरेंस कैपेसिटी' विकसित की है, यानी जरूरत पड़ी तो सख्त जवाब दे सकते हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक इसका जीता-जागता प्रमाण हैं। लेकिन डोभाल ने याद दिलाया, "सुरक्षा का मतलब सिर्फ बंदूक नहीं, बल्कि हर भारतीय को आंतरिक-बाहरी खतरों से सुरक्षित महसूस कराना है।"
उन्होंने हाशिए पर रहने वालों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर फोकस किया। "वंचितों को सशक्त बनाना, महिलाओं को संरक्षण-समानता देना सुशासन का आधार है। आधुनिक भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा है।" यह बातें सरदार पटेल के 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन से जुड़ती हैं।
चुनौतियां बाकी: लेकिन भारत मजबूत
हालांकि डोभाल का बयान सकारात्मक है, कुछ आलोचक छोटी घटनाओं का हवाला देते हैं। लेकिन 'बड़े हमले' की परिभाषा स्पष्ट है—जो बड़े नुकसान का कारण बने। साइबर हमले और सीमा घुसपैठ जैसी नई चुनौतियां हैं, लेकिन भारत का जवाब मजबूत है। जैसा कि डोभाल ने कहा, "हम कानून के दायरे में निपटेंगे, लेकिन जरूरत पड़ी तो पूरी ताकत से।"
यह लेक्चर न केवल सुरक्षा पर, बल्कि एकजुट भारत पर भी था। सरदार पटेल की जयंती पर यह संदेश प्रासंगिक है: एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत। क्या आप सहमत हैं? कमेंट में बताएं।
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