मुंबई में एक स्टूडियो में 15-20 बच्चों को बंधक बनाए जाने से फैल गई सनसनी ।
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संवाददाता,अनिल पाटिल
Updated: Thu, 30 Oct 2025 03:59PM (IST)
नई दिल्ली। मुंबई के पवई इलाके में गुरुवार दोपहर एक ऐसी घटना घटी कि मां-बापों का दिल डूब गया। एक्टिंग क्लासेस के बहाने RA स्टूडियो में जमा हुए 17 मासूम बच्चों को एक युवक ने बंधक बना लिया। आरोपी रोहित आर्या ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर धमकी दी कि अगर उसकी 'नैतिक मांगें' पूरी न हुईं तो वह सब कुछ आग के हवाले कर देगा। सौभाग्य से, मुंबई पुलिस की फुर्ती भरी कार्रवाई से सभी बच्चे सुरक्षित बच निकले, और आरोपी को हिरासत में ले लिया गया। लेकिन सवाल ये उठ रहा है – क्या मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी ऐसी त्रासदियों को जन्म दे रही है?
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क्या घटी वो डरावनी घटना?
पिछले चार-पांच दिनों से RA स्टूडियो (जो अंधेरी के पास पवई में स्थित है) में एक्टिंग ऑडिशन चल रहे थे। गुरुवार सुबह करीब 100 बच्चे पहुंचे, लेकिन 80 को वापस भेज दिया गया। बाकी 17 बच्चों (लगभग 15 साल के लड़के-लड़कियां) को अंदर कमरे में बंद कर दिया गया। बच्चे खिड़कियों से चिल्लाते हुए बाहर झांकने लगे, जिसे देखकर आसपास के लोग घबरा उठे। माता-पिता सड़क पर इकट्ठा हो गए, अफरा-तफरी मच गई। किसी ने फोन पर तुरंत पुलिस को खबर की।
रोहित आर्या, जो स्टूडियो का कर्मचारी है और खुद एक यूट्यूब चैनल चलाता है, ने खुद को 'मानसिक रूप से अस्थिर' बताया। उसके वीडियो में कहा गया, "मैं रोहित आर्या हूं। आत्महत्या करने के बजाय, मैंने एक योजना बनाई है। मेरी ज्यादा मांगें नहीं हैं – नैतिक मांगें हैं, कुछ सवाल हैं। मैं कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं। अगर नहीं दिया गया, तो सब कुछ आग लगा दूंगा और खुद को, बच्चों को नुकसान पहुंचाऊंगा। मैं आतंकवादी नहीं हूं, न पैसे की मांग कर रहा हूं। बस बात करनी है।" वीडियो वायरल होते ही हड़कंप मच गया।
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पुलिस की त्वरित कार्रवाई: बच्चे सुरक्षित, आरोपी गिरफ्तार
मुंबई पुलिस ने फौरन मोर्चा संभाला। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) दत्ता नलावड़े के नेतृत्व में टीमें पहुंचीं। फायर ब्रिगेड की मदद से बाथरूम के रास्ते जबरन घुसकर बच्चों को रिहा कराया गया। घटनास्थल पर एयर गन्स और केमिकल्स बरामद हुए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "सभी 17 बच्चे सुरक्षित हैं। रोहित आर्या को हिरासत में ले लिया गया है। हम उससे पूछताछ कर रहे हैं कि उसने ऐसा कदम क्यों उठाया। प्रारंभिक जांच में वह मानसिक तनाव में था।"
"बच्चों की चीखें सुनकर दिल कांप गया। पुलिस का धन्यवाद, लेकिन ऐसे स्टूडियो पर नजर रखनी चाहिए।" – एक मां की गुजारिश
क्या है असली मुद्दा? मानसिक स्वास्थ्य पर बहस
ये घटना सिर्फ एक बंधक क्राइसिस नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य संकट की चेतावनी है। रोहित जैसे कई लोग चुपचाप जूझ रहे हैं, लेकिन मदद न मिलने पर ये रूप ले लेते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं – समय रहते काउंसलिंग और हेल्पलाइन (जैसे किरन हेल्पलाइन: 1800-599-0019) का सहारा लें। क्या सरकार और समाज अब जागेंगे?
परिवारों को सांत्वना, बच्चों को हिम्मत। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए सबकी जिम्मेदारी है। आपका क्या ख्याल है?
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